
प्रयागराज में शनिवार को हुए अतीक अशरफ हत्या (Atiq Ashraf Murder) के मामले में पुलिस लगातार जांच पड़ताल कर रही है। इस मामले में रोज नए-नए खुलासे हो रहे हैं। अब अतीक और अशरफ की हत्या में शक की सुई पश्चिमी यूपी के गैंगस्टर सुन्दर भाटी पर जा रही है। अतीक और अशरफ की हत्या में शामिल सनी सिंह भी सुन्दर भाटी के साथ हमीरपुर जेल में बंद था। दोनों की नजदीकियां उसी समय बढ़ी थीं।
इस मामले में सुंदर भाटी के ईशारे पर हत्या (Atiq Ashraf Murder) की आशंका जताई जा रही है। दोनों माफियाओं की हत्या के वारदात को पाकिस्तान से लाई गई जिगाना पिस्टल से अंजाम दिया गया। आशंका जताई जा रही है कि गैंगस्टर सुन्दर भाटी के गुर्गों ने ही आरोपियों को पिस्टल उपलब्ध कराई थी। हालांकि इसकी अभी तक अधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है।
पश्चिमी यूपी के गैंगस्टर सुंदर भाटी पर हत्या, हत्या की कोशिश व रंगदारी के 60 से अधिक मुकदमे दर्ज हैं। पिछले वर्ष सुंदर भाटी को हरेंद्र प्रधान की हत्या के केस में जिला न्यायालय ने आजीवन करावास की सजा सुनाई थी। इसके बाद से ही सुन्दर भाटी जेल में बंद है।

Atiq Ashraf Murder: पाकिस्तानी पिस्टल, जिसका नहीं कोई सुराग
वहीं अतीक और अहमद की हत्या (Atiq Ashraf Murder) में शामिल सनी सिंह पर 14 केस दर्ज हैं। सनी सिंह हमीरपुर जेल में सुंदर भाटी के साथ बंद रहा है। साधारण परिवार से ताल्लुक रखने वाले अतीक की हत्या में शामिल तीनो आरोपियों के पास पिस्टल कहां से आई। इसका अभी तक कोई ठोस जवाब नहीं मिल पाया है।
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ट्रक यूनियन पर कब्जे को लेकर पहली बार आमने-सामने
वर्ष 1990 का दौर था, तब उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी की सरकार थी। मुलायम सिंह यादव यूपी के मुख्यमंत्री थे। ग्रटर नोएडा के एक गाँव के रहने वाले नरेश भाटी ने परिवार के कई लोगों की हत्या के बाद अपराध की दुनिया में कदम रखा। उस दौरान उसका संपर्क सतवीर गुर्जर से हुआ। नरेश के गाँव का ही सुंदर भाटी कभी नरेश के साथ रहता था। सिकंदराबाद में ट्रक यूनियन पर कब्जे को लेकर नरेश और सुंदर के गुर्गे आपस में भिड गए। इस भिड़ंत में एक गुर्गे की जान चली गयी। जिसके बाद दोनों गैंग की दुश्मनी ने और जोर पकड़ लिया।
राजनीतिक संरक्षण पाने को हुई हत्या
नरेश भाटी राजनीतिक संरक्षण पाने के लिए जिला पंचायत अध्यक्ष बनना चाहता था। इधर, सुंदर भाटी भी यही मंशा रखने लगा था। दोनों की स्थिति तू डाल-डाल मैं पात-पात… वाली हो गई थी। राजनीतिक संरक्षण पाने की लालसा ने दोनों की दुश्मनी को और भी गहरा कर दिया। नरेश भाटी ने जिला पंचायत का चुनाव लड़कर अध्यक्ष की कुर्सी पा ली। जिसके बाद सुंदर आग बबूला हो गया। वर्ष 2004 में सुंदर भाटी गिरोह ने नरेश भाटी की हत्या कर दी।

अतीक की हत्या में पत्रकार और पुलिसकर्मी भी घायल
बता दें कि प्रयागराज में माफिया अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ की शनिवार रात में गोली मारकर हत्या (Atiq Ashraf Murder) कर दी गई। मीडियाकर्मी बनकर आए तीन हमलावारों ने इस वीभत्स घटना को अंजाम दिया। इस घटना में एक पुलिसकर्मी और के पत्रकार भी घायल हुए हैं। तीनों आरोपियों ने घटना (Atiq Ashraf Murder) को अंजाम देने के बाद पुलिस के सामने सरेंडर किया।
अपराध की दुनिया में कई वर्ष पहले रखा कदम
इस मामले (Atiq Ashraf Murder) में तीनों आरोपियों ने पुलिस को जो बयान दिया है, वह काफी सोचनीय है। हत्या करने वाले शूटर्स ने बताया कि उन्होंने बड़ा डॉन बनने के ख्वाब पाल रखा था। इन तीनों की उम्र 18-23 वर्ष के बीच की है। सबसे बड़ा हमीरपुर का सनी सिंह है जो 23 साल का है। इसके अलावा बांदा का लवलेश 22 साल का है तो हत्याकांड में शामिल तीसरा शूटर अरुण कुमार मौर्य महज 18 साल का है। चौंकाने वाली बात यह भी है कि शूटआउट को अंजाम देने वाले शूटरों की उम्र भले ही बहुत ज्यादा न हो। लेकिन अपराध की दुनिया में इन्होंने कई साल पहले ही कदम रख दिया था।
जेल में ही सनी और सुन्दर की बढ़ी नजदीकियां
अतीक और अशरफ पर गोलियां (Atiq Ashraf Murder) बरसाने वाले सनी पर कुल 14 मुकदमे दर्ज हैं। वह 12 साल से वांछित चल रहा था। 2012 में यह एक लूट के मुकदमे में हमीरपुर से ही जेल में गया और इसके बाद ही वह अपराध की दुनिया में रम गया। वहां इसकी मुलाकात पश्चिमी यूपी के कुख्यात सुंदर भाटी से हुई और फिर वह उसके गैंग में शामिल हो गया इसके बाद एक के बाद एक उसने कई वारदातें अंजाम दी। उस पर गुंडा एक्ट के साथ ही गैंगस्टर के भी कई मुकदमे दर्ज हुए। उसके पिता का निधन हो चुका है और घर में सिर्फ मां और भाई हैं।
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