
Karvachauth: आज करवाचौथ है। देशभर में करवाचौथ की धूम है। इस दिन हर सुहागिन अपने अखंड सुहाग के लिए व्रत रखती हैं व शाम के समय में पूजा करती हैं। लेकिन आज हम आपको ऐसे गांव के बारे में बताने जा रहे, जहां की महिलाएं करवाचौथ का नाम सुनते ही दहशत में आ जाती हैं। पूजा तो छोड़िये, इस दिन महिलाएं श्रृंगार तक करना उचित नहीं समझतीं। यह गांव उत्तर प्रदेश के मथुरा जिले में स्थित है। हालांकि यहां की महिलाएं गाँव में ही बने छोटे से मंदिर में पूजा करती हैं और अपने सुहाग की लम्बी उम्र की कामना करती हैं।
करवाचौथ (Karvachauth) पर पसर जाता है सन्नाटा
मथुरा से करीब 40 किलोमीटर दूर मांट तहसील में स्थित है क़स्बा सुरीर। यहां करवाचौथ (Karvachauth) पर्व पर अजीब सा सन्नाटा पसर जाता है, महिलाएं अनजाने डर से सहमी नजर आती हैं। यहां के बघा मोहल्ले में करवा चौथ पर महिलाएं न व्रत रखती हैं और न ही श्रृंगार करती हैं। नव विवाहिता हो या फिर शादी के 50 वर्ष गुजार चुकीं महिलाएं। यहां सुहागिन महिला छोटे से मंदिर में बने सती के मंदिर में पूजा करती हैं और उनसे मांगती हैं अपने जीवन साथी की लंबी उम्र की कामना।

नहीं दिया गया चांद को अर्घ्य
बुधवार को करवा चौथ पर चांद तो निकला, लेकिन इस गांव में चांदनी नहीं दिखी। मथुरा के सुरीर गांव में महिलाओं की चांद को अर्घ देने की ख्वाहिश 250 वर्षों से अधूरी है। यहां तो चांद तो दिखा, लेकिन गांव की परंपरा के बंधन में बंधी चांदनी पर मायूसी ही छाई रही। गांव की नव विवाहिताएं इस रूढ़िवादी परम्परा के कारण बिना श्रृंगार के ही रहीं।
सती ने दिया श्राप
सुरीर कस्बे में करवा चौथ (Karvachauth) का पर्व क्यों नहीं मनाया जाता तो पता चला कि इसका कारण सती का श्राप है। किवदंतियां हैं कि करीब ढाई सौ वर्ष पूर्व राम नगला का एक युवक अपनी पत्नी को भैंसा गाड़ी से विदा कराकर लौट रहे थे। सुरीर कस्वे के बघा मोहल्ले में जब पहुंचे तो वहां के लोगों ने भैंसा को अपना बताते हुए युवक से झगड़ा करना शुरू कर दिया। वाद विवाद के दौरान लाठी डंडे चले जिसमें युवक की मौत हो गयी।
जिसके बाद युवक की पत्नी ने मोहल्ले वालों को श्राप दिया कि यहां की महिलाएं कभी श्रृंगार नहीं करेंगी और न ही करवा चौथ का व्रत रखेंगी। इसके बाद विवाहिता पति की चिता पर लेट गयीं और सती हो गयी।
सुरीर कस्वे के बघा मोहल्ले में 250 वर्षों से सती के श्राप के कारण सुहागिन महिला करवा चौथ (Karvachauth) का व्रत नहीं रखतीं। गांव की वृद्ध महिला सरोज ने बताया कि पहले सती के श्राप को अनदेखा कर सुहागिन महिला व्रत रखती लेकिन उनका सुहाग एक वर्ष तक जीवित नहीं रहे। मोहल्ले में अनहोनी होने लगी। जिसके बाद महिलाओं ने श्रृंगार बंद कर दिया और करवा चौथ का व्रत नहीं रहने लगी।

बघा मोहल्ले में हो रही अनहोनी रोकने के लिए गांव के बुजुर्गों ने निर्णय लिया कि मोहल्ले में सती का मंदिर बनाया जाये और उनकी पूजा अर्चना कर माफ़ी मांगी जाये। मोहल्ले में सती का मंदिर बनाया गया और शुरू कर दी पूजा अर्चना। जिसका नतीजा यह हुआ कि मोहल्ले में हो रही अनहोनी घटनाओं में कमी आई। ग्रामीणों ने सती का श्राप मानते हुए करवा चौथ पर सुहागिन महिलाओं के व्रत न रखने और उस दिन श्रृंगार न करने की बात कही। इसके अलावा करवा चौथ पर सती की पूजा करने का निर्णय लिया।

Karvachauth पर नहीं लगती हाथों में मेंहदी
करवा चौथ पर्व पर यहां सबसे ज्यादा करवा चौथ (Karvachauth) न मनाने की टीस नव विवाहिता के मन में होती है। करवा चौथ पर्व पर नव विवाहिता न हाथों में मेंहदी रचाती हैं और न ही श्रृंगार करती हैं। नव विवाहिता रेखा ने बताया कि उसका पहला करवा चौथ है मन में बहुत आस थी। लेकिन जब ससुराल आई तब पता चला कि करवा चौथ का व्रत नहीं रखते। यह सुनकर मन में उदासी छा गयी। इस त्योहार पर हाथों में मेंहदी नहीं लगाते न श्रृंगार करते।