
वाराणसी। वाराणसी में ज्ञानवापी-मां श्रृंगार गौरी (Gyanwapi Row) से जुड़े सभी सात मामलों की सुनवाई अब एक साथ होगी। इससे सम्बंधित प्रार्थना पत्र पर सोमवार को जिला जज डॉ० कृष्ण विश्वेश की अदालत ने आदेश सुनाया।
उल्लेखनीय है कि मां श्रृंगार गौरी केस की चार वादिनी लक्ष्मी देवी, सीता साहू, मंजू व्यास और रेखा पाठक की ओर से कोर्ट में आवेदन दिया गया था। इस आवेदन में कहा गया था कि किरण सिंह विसेन व अन्य की ओर से ज्ञानवापी-मां-श्रृंगार गौरी के सम्बन्ध में दाखिल मुकदमों को जिला जज की कोर्ट में स्थानांतरित कर एक साथ सुना जाय।
चारों वादिनियों के ओर से दी गई इस अर्जी में सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद आदेश के लिए तिथि तय कर दी गई थी। लक्ष्मी देवी, सीता साहू, मंजू व्यास और रेखा पाठक के अधिवक्ता सुभाष नंदन चतुर्वेदी, सुधीर त्रिपाठी ने मामलों की सुनवाई एक साथ किये जाने के पक्ष में अपनी बात रखी थी। अधिवक्ताओं ने कहा कि ज्ञानवापी के मामले एक जैसे हैं। इनकी अलग-अलग सुनवाई नहीं होनी चाहिए।

बता दें कि ये सभी मामले लम्बे समय से तारीखों के फेरे में अटके पड़े थे। लम्बे समय से इन मामलों को केवल तारीखें मिल रही थीं। बैक-टू-बैक तारीख मिलने के बाद अब न्यायलय ने फैसला सुना दिया है। इस दौरान कोर्ट ने ज्ञानवापी में पूजा और राग-भोग से संबंधित 18 मामलों की फाइलें तलब की हैं। इस अध्ययन करने के बाद देखा जाएगा कि कौन सा मामला सुनने योग्य है या नहीं। हिन्दू पक्ष के अधिवक्ता सुभाष चतुर्वेदी और मदन मोहन यादव ने कहा कि हिन्दू पक्ष के लिए यह बड़ी जीत है।
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इन मामलों की होगी सुनवाई
ये सभी केस ज्ञानवापी परिसर में राग-भोग और पूजा के अधिकार, कब्ज़ा से जुड़े हैं। वादिनी महिलाओं ने माता श्रृंगार गौरी की नियमित पूजा और सभी विग्रहों के संरक्षण की मांग की है। वहीं ज्ञानवापी में एक केस शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने भी किया है।
ज्ञानवापी परिसर में जहां शिवलिंग मिलने की बात कही गई है,वहां पर नियमित भोग आरती की मांग से सम्बंधित प्रार्थना पत्र दाखिल किया गया है। कुल केसेज की संख्या 30 है। महिला वादियों के अनुसार, परिसर में जिस तरह से नमाज अदा की जाती है, ठीक वैसे ही पूजा का भी अधिकार हो।

ये हैं वे 7 मामले
• लक्ष्मी देवी बनाम श्रीआदि विश्वेश्वर
• लक्ष्मी देवी बनाम मां गंगा
• लक्ष्मी देवी बनाम स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद
• लक्ष्मी देवी बनाम विश्वेश्वर
• लक्ष्मी देवी बनाम सत्यम त्रिपाठी
• लक्ष्मी देवी बनाम मां श्रृंगार गौरी
• लक्ष्मी देवी बनाम नंदी महराज
हिंदू पक्ष के बड़े दावे
• मुकदमा सिर्फ मां श्रृंगार गौरी के दर्शन-पूजन के लिए दाखिल किया गया है। दर्शन-पूजन सिविल अधिकार है और इसे रोका नहीं जाना चाहिए।
• मां श्रृंगार गौरी का मंदिर विवादित ज्ञानवापी परिसर के पीछे है। वहां अवैध निर्माण कर मस्जिद बनाई गई है।
• वक्फ बोर्ड ये तय नहीं करेगा कि महादेव की पूजा कहां होगी। देश की आजादी के दिन से लेकर वर्ष 1993 तक मां श्रृंगार गौरी की नियमित पूजा होती थी।
• श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर एक्ट में आराजी नंबर-9130 देवता की जगह मानी गई है। सिविल प्रक्रिया संहिता में संपत्ति का मालिकाना हक खसरा या चौहद्दी से होता है।
• हिंदू पक्ष का दावा है कि ज्ञानवापी मस्जिद के वजूखाने में कथित शिवलिंग मिला है। वहीं, मुस्लिम पक्ष का दावा है कि वह शिवलिंग नहीं बल्कि पुराना पड़ा फव्वारा है।
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