
वाराणसी। नगर निकाय चुनाव (Nikay Chunav 2023) के तिथियों की घोषणा के उपरांत नामांकन की प्रक्रिया जारी है। चुनाव की तिथि भी दिन-प्रतिदिन निकट आ रही है किन्तु प्रमुख राजनीतिक दलों ने अभी तक अपने उम्मीदवारों के नाम के पत्ते नहीं खोले हैं। इसको लेकर टिकट के दावेदार आवेदकों की धड़कनें भी बढ़ने लगी हैं। नेतागण अपनी दावेदारी व टिकट की आशा लिए पार्टी कार्यालयों पर डटे हैं। यही कारण है कि इन दिनों पार्टी के दफ्तरों पर भीड़भाड़ का माहौल देखने को मिल रहा है।

पर्चा ख़रीदा लेकिन नामांकन नहीं किया दाखिल
वाराणसी में प्रथम चरण में होने वाले मतदान हेतु 11 अप्रैल से नामांकन का दौर शुरू हो गया है। जिसमें नामांकन के लिए पर्चे तो खरीदे जा रहे हैं। लेकिन दाखिले की संख्या काफी कम है। पहले दिन शुन्य और दूसरे दिन मात्र एक नामांकन दाखिल की गई। महापौर की सीट के अलावा पार्षद पद के लिए भी नामांकन दाखिल करने वालों की संख्या कम ही है। उम्मीद जताई जा रही है कि राजनीतिक पार्टियों की ओर से प्रत्याशियों की सूची जारी होते ही नामांकन की संख्या में बढ़ोतरी होगी।

वहीं 17 तक होने वाले नामांकन के मद्देनजर पार्टियों की ओर से आज-कल में तस्वीरें साफ कर दी जाएंगी। इसमें आम लोगों की समाजवादी पार्टी, भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस के उम्मीदवारों पर खास निगाह अटकी हैं तो वहीं अपनी दावेदारी सफल होने के इंतजार में बैठे उम्मीदवारों को पार्टी सिंबल की आश है। प्रत्याशियों की घोषणा होते ही नामांकन स्थलों पर नामांकन दाखिल करने वालों की संख्या में भी इजाफा हो जाएगा। जिसके लिए उम्मीदवार दस्तावेज तैयार कर समर्थकों को इकट्ठा करने में भी जुट गए हैं।
पार्टी का सिंबल मिलते ही तय होगी जीत
उम्मीदवारों की ओर से पूरा प्रयास किया जा रहा है कि किसी तरह से पार्टी का सिंबल मिल जाए। क्योंकि ज्यादातर उम्मीदवारों का मानना है कि सिंबल मिलने पर जीत का रास्ता पूरी तरह साफ हो जाएगा। वहीं इस बार के निकाय चुनाव में पूर्व में विजेता कुछ उम्मदवारों के अरमानों पर पानी भी फिरने की संभावना जताई जा रही है।
बागी उम्मीदवारों से पार्टियों को खतरा
पार्टी की ओर से टिकट बटवारे में सिंबल न मिलने पर उम्मीदवारों की ओर से बगावत के भी आसार नजर आ रहे हैं। इनमें कुछ का कहना है कि इस बार जो भी चुनाव में पीछे नहीं हटना है। वहीं पूर्व में प्रतीक्षा कर रहे उम्मीदवार भी इस बार पार्टी सिंबल मिलने की आश लगाए बैठे हैं। ऐसे में सभी राजनीतिक दलों को उन बागी उम्मीदवारों से खतरा भी बना रहेगा। इस लिए राजनीतिक दल फूंक-फूंक कर कदम रख रहे हैं।