
अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (AMU) के प्रोफेसर अब बकरियों और गधों की जानकारी इकट्ठे करेंगे। उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में बकरे बकरियों की तादाद में करीब 36000 की गिरावट दर्ज की गई है। जिसके लिए बकरे बकरियों की संख्या कम होने के कारणों पता लगाने की जिम्मेदारी AMU के भूगोल विभाग के प्रोफेसर निजामुद्दीन खान को दी गई है। इसके लिए उन्हें भारतीय सामाजिक विज्ञान अनुसंधान परिषद नई दिल्ली से दस लाख रुपए भी मिले हैं। इसी बीच भाजपा सांसद मेनका गांधी का भी एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। जिसमें वे किसानों और ग्रामीणों को गधी और बकरियों के दूध से साबुन बनाने की विधि बताते नजर आ रही हैं।
पूर्व केंद्रीय मंत्री व भाजपा सांसद मेनका गांधी ने सुल्तानपुर के बल्दीराय में 2 अप्रैल 2023 को एक जनसभा संबोधित करते हुए कहा, ‘लद्दाख में लोगों का समूह है, उन्होंने देखा कि गधों की संख्या कम हो रही है।’ इसके बाद उन्होंने वहां मौजूद लोगों से पूछा कि बताओ कितने दिन हो गए, आप लोगों को गधे देखे हुए, फिर वह बोली, ‘उनकी संख्या कम हो गई है, धोबी ने भी अब गधों का उपयोग करना बंद कर दिया है। लेकिन लद्दाख में लोगों ने गधी से दूध निकालना शुरू किया और उसके दूध से साबुन बनाया।’
मेनका गांधी ने आगे कहा, ‘ऐसा माना जाता है कि गधी के दूध का साबुन औरत के शरीर को हमेशा सुंदर रखता है। एक मशहूर विदेशी रानी होती थी ‘क्लियोपैट्रा’। वह गधी के दूध से नहाती थी। इसलिए गधी के दूध से बने साबुन दिल्ली में 500 रू० में एक बिक रहा है। क्यों न हम लोग बकरी और गधी के दूध का साबुन बनाएं।‘
"गधे के दूध का साबुन औरत के शरीर को खूबसूरत रखता है"
— News24 (@news24tvchannel) April 2, 2023
◆ BJP सांसद @Manekagandhibjp का बयान #BJP | BJP | #ManekaGandhi | Maneka Gandhi pic.twitter.com/15failxa5Y
इसके आलवा मेनका गाँधी ने लोगों को उपले बनाने और बेचने की सलाह भी दी। उन्होंने कहा, ‘पेड़ गायब हो रहे हैं। लकड़ी इतनी महँगी हो गई है कि आदमी मरते वक्त भी अपने पूरे परिवार को कंगाल करता है। दाह संस्कार में 15-20 हजार रुपए की लकड़ी लगती है। इससे अच्छा है कि हम गोबर के लंबे कंडे बनाए। उसमें खुशबूदार सामग्री लगा दें। एक ऑर्डर बना दें कि जो भी मरता है, उसको गोबर के कंडों से हम लोग जला दें। इसमें 1500 से 2000 रुपए में सारे रस्म रिवाज पूरे हो जाएँगे। आप लोग कंडे बेचोगे तो एक महीने में लाखों रुपए के कंडे बिक जाएँगे।’
सांसद ने अंत में कहा, ‘मैं नहीं चाहती कि आप जानवरों से पैसे कमाएँ। आज तक कोई भी बकरी-गाय पालकर अमीर नहीं हुआ है। हमारे पास इतने डॉक्टर नहीं हैं। पूरे सुल्तानपुर में 25 लाख लोगों में मुश्किल से 3 डॉक्टर होंगे। या कभी-कभी वह भी नहीं। गाय बीमार होगी, भैंस बीमार होगी, बकरा बीमार हो गया तो वहीं आपके लाखों रुपए लग जाते हैं। इसलिए मैं बकरी पालने या गाय पालने वाले किसी भी व्यक्ति के सख्त खिलाफ हूँ। पशु चिकित्सकों को प्रशिक्षित करने में कई साल लग जाते हैं। आप 10 साल कमाओगे और एक रात में मर जाएगा जानवर। फिर खत्म हो गई बात।’
बता दें कि अलीगढ़ में अभी 136507 में बकरे-बकरियाँ हैं। 19वीं पशुगणना के आधार पर एक लाख 73 हजार 119 बकरे-बकरियाँ थीं, जबकि 20वीं पशुगणना के आधार पर एक लाख 36 हजार 507 बकरे-बकरियाँ हैं। यानी यहाँ बकरे-बकरियों की संख्या में काफी गिरावट आई है।