भारत-पाकिस्तान के बीच शनिवार को घोषित युद्धविराम की उम्मीदें चंद घंटों में ही टूट गईं, जब पाकिस्तान ने शाम 5 बजे सीजफायर लागू होने के महज तीन घंटे बाद ही संघर्षविराम का उल्लंघन कर दिया। जम्मू-कश्मीर, पंजाब, राजस्थान और गुजरात के सीमावर्ती इलाकों में ड्रोन हमले और गोलेबारी की घटनाएं सामने आईं, जिन्हें भारतीय सेना ने तत्परता से विफल किया।
विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने रात 11 बजे आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में इस घटनाक्रम की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि पाकिस्तान ने भारतीय सीमा में घुसपैठ की कोशिश की, जिसका सेना ने मुंहतोड़ जवाब दिया। सरकार ने सेना को पूरी छूट दे दी है कि वह हालात के अनुसार निर्णय ले सके।
सीमा पर हुई घटनाओं में जम्मू-कश्मीर के राजौरी, पुंछ, अखनूर, नौशेरा, श्रीनगर, उधमपुर, आरएसपुरा और सांबा सबसे अधिक प्रभावित रहे। रातभर सीमाई इलाकों में ब्लैकआउट लागू रहा ताकि ड्रोन अटैक की आशंका को न्यूनतम किया जा सके। हालांकि कुछ घंटों बाद पाकिस्तान की ओर से फायरिंग और ड्रोन हमले रुक गए, लेकिन एहतियातन जम्मू-कश्मीर, पंजाब, राजस्थान और गुजरात के सीमावर्ती जिलों में रेड अलर्ट बरकरार रखा गया है।
22 अप्रैल को पहलगाम में हुए पाकिस्तानी आतंकी हमले के बाद से अब तक पाकिस्तान की ओर से की गई फायरिंग और हमलों में भारतीय सेना के पांच जवान शहीद हो चुके हैं, जबकि 60 से अधिक घायल हुए हैं। इसके अलावा, आम नागरिकों में 25 की मौत और 50 से ज्यादा लोग घायल बताए जा रहे हैं।
इससे पहले शनिवार शाम 5:30 बजे अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर सीजफायर की घोषणा करते हुए कहा था कि यूएस की मध्यस्थता में रातभर चली गहन बातचीत के बाद भारत और पाकिस्तान पूरी तरह युद्धविराम पर सहमत हुए हैं। ट्रंप ने दोनों देशों को "समझदारी से भरा फैसला" लेने के लिए बधाई दी थी।
ट्रंप के बयान के ठीक 30 मिनट बाद विदेश सचिव मिसरी ने शाम 6 बजे प्रेस ब्रीफिंग कर बताया था कि दोनों देश सैन्य कार्रवाई रोकने पर सहमत हो गए हैं। पाकिस्तान के विदेश मंत्री इशाक डार ने भी सार्वजनिक रूप से युद्धविराम को स्वीकार किया था।
हालांकि इन प्रयासों के बावजूद पाकिस्तान द्वारा किए गए विश्वासघात ने न केवल सीजफायर की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े किए हैं, बल्कि भविष्य की शांति प्रक्रियाओं को लेकर भी संशय पैदा कर दिया है।
पूर्व सेनाध्यक्ष जनरल वीपी मलिक ने सोशल मीडिया पर इस घटनाक्रम पर टिप्पणी करते हुए लिखा, "22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने सैन्य और असैन्य दोनों स्तरों पर कार्रवाई की, लेकिन क्या इससे कोई दीर्घकालिक रणनीतिक या राजनीतिक लाभ मिला, यह तय करना भविष्य के इतिहासकारों के जिम्मे रहेगा।" जनरल मलिक कारगिल युद्ध के दौरान भारतीय सेना के प्रमुख थे।
वहीं, पूर्व सेनाध्यक्ष जनरल मनोज मुकुंद नरवणे ने कहा, "समुद्र और आकाश में सैन्य कार्रवाई का रुकना स्वागत योग्य है, लेकिन हर बार हमला झेलकर प्रतिक्रिया देना अब व्यवहारिक नहीं है। यह तीसरी बार है जब पाकिस्तान ने वादा तोड़ कर हमला किया है। अब और मौका नहीं दिया जाना चाहिए।"