
कर दिया शंखनाद पांचजन्य का
पार्थ तू युद्ध कर।
न सोच अब के कर्ण होगा निहत्था,
न सोच अब के गुरुवर द्रोण धरेंगे शस्त्र,
न सोच अब के भीष्म छोड़ेंगे शिखंडी को,
किया है आह्वाहन मैंने युद्ध का,
नहीं बचेगा एक पापी धरा पर,
पार्थ तू युद्ध कर।
ले ले प्रण आज तू भी,
रक्षक बन जा धर्म का,
काल बन के टूट पड़ अधर्म पर,
हे ! पार्थ, तू युद्ध कर।
पकड़ा था जिसने द्रौपदी के बाल को,
छीना था जिसने सम्मान तेरा,
रूप धर के तू काल का,
सर्वनाश कर इस पाप का,
पार्थ तू युद्ध कर।
- अभिषेक सेठ