पूर्वांचल की सबसे बड़ी कोयला मंडी पर वर्चस्व कायम करने को कोल व्यापारी का अपहरण और फिर हत्या, दहशतगर्दी की वह शाम आज तक नहीं भूले परिजन

Rungta Kidnapping Case: यूपी के दुर्दांत माफिया मुख्तार अंसारी की मौत हो चुकी है। मुख्तार अंसारी के खिलाफ कई मामले दर्ज थे। जिनमें आठ मामलों में उसे सजा भी हो चुकी थी। इनमें से अधिकतर अपराध उसने अपना वर्चस्व कायम करने के लिए किए थे। इनमें अवधेश राय हत्याकांड और नंदकिशोर रुंगटा का अपहरण प्रमुख थे।

 

मुख्तार अंसारी ने मुख्य रूप से पूर्वांचल के व्यापारियों में अपनी हनक कायम रखी थी। चंदौली जिले के मुगलसराय में मुख्तार अंसारी ने 27 वर्ष पहले चंधासी स्थित कोयला मंडी के प्रमुख व्यवसायी व विहिप के कोषाध्यक्ष नंदकिशोर रुंगटा का अपहरण कर पूरी कोयला मंडी में अपना वर्चस्व स्थापित करने का प्रयास किया था। नंदकिशोर रूंगटा के अपहरण की गाज मुख्तार अंसारी और उसके गुर्गों पर गिरी थी।

 

भेलूपुर थाना क्षेत्र के जवाहर नगर के रहने वाले कोयला व्यवसायी नंद किशोररुंगटा(Rungta) का 22 जनवरी 1997 को अपहरण कर लिया गया था। इस अपहरण के बाद कोयला व्यापारी व विश्व हिन्दू परिषद के तत्कालीन कोषाध्यक्ष रहे नंद किशोर का क्या हुआ? इसका राज वारदात के 26 साल 24 दिन बाद भी बरकरार है। घटना के बाद से ही रुंगटा (Rungta) के परिजन इतना सहमे रहे कि आज तक सार्वजनिक रूप से उनकी कोई तस्वीर या फिर उनका कोई बयान सामने नहीं आया।

मुख़्तार के दो गुर्गों पर दो-दो लाख का ईनाम

 

नंद किशोर रुंगटा (Rungta) के अपहरण औरहत्यासंबंधित जो मूल मुकदमा है, उसमें मुख़्तार समेत अन्य आरोपी निचली अदालतों में बरी हो चुके थे। सीबीआई इस मामले की पैरवी कर रही थी, जो कि अभी तक हाईकोर्ट में लंबित था। मुकदमे में नामजद मुख़्तार को दो गुर्गे अताउर रहमान उर्फ़ बाबू उर्फ़ सिकंदर और शहाबुद्दीन अब तक नहीं पकड़े जा सके हैं। सीबीआई ने दोनों पर दो-दो लाख रुपए का ईनाम घोषित किया है।

 

Rungta Kidnapping Case: 27 वर्ष पहले दर्ज हुआ था मुकदमा

 

भेलूपुर थाना अंतर्गत जवाहर नगर एक्सटेंशन निवासी महावीर प्रसाद रुंगटा ने 23 जनवरी 1997 को भेलूपुर थाने में नंद किशोर रुंगटा के अपहरण का मुकदमा दर्ज कराया था। जिसमें उन्होंने आरोप लगाया था कि 22 जनवरी 1997 को सफ़ेद रंग की मारूति वैन में सवार विजय सिंह और उसके साथियों ने उनके भाई का अपहरण कर लिया। पुलिस ने इस मामले की जांच शुरू की तो सामने आया कि विजय सिंह के रूप में मुख़्तार अंसारी ही झारखण्ड का कोयला व्यापारी बनकर व्यापार के सिलसिले में नन्द किशोर रुंगटा से मिला था। चुनाव के लिए मुख़्तार को पैसा चाहिए था।

 

उसने कारोबार के सिलसिले में बात करने के लिए रुंगटा (Rungta) को अपनी कार में बैठाया और फिर उनका अपहरण कर तीन करोड़ रुपए की फिरौती मांगी थी। पुलिस से शिकायत करने पर परिजनों को बम से उड़ाने की धमकी देकर मुख़्तार अंसारी ने सवा करोड़ रुपए की पहली क़िस्त वसूल भी ली थी। लेकिन उसके बाद रुंगटा का आज तक पता नहीं चला।

 

सहमे सहमे परिवार ने दर्ज कराया मुकदमा

 

वादी महावीर प्रसाद रुंगटा ने धमकी देने के मामले में 26 वर्ष पहले मुकदमा दर्ज कराया था। उस दौरान रुंगटा (Rungta) के परिजन डर से सहम गए थे। वादी ने अदालत में अपने बयान में कहा था कि डर के कारण ही हमने डीआईजी रेंज को तहरीर दी और मामले को गोपनीय रखने को कहा था। वादी ने यह भी कहा कि अभियुक्त के खिलाफ पहले से ही अपहरण, हत्या और हत्या के प्रयास समेत कई मुकदमे दर्ज हैं। ऐसे में हमारे पास झूठा मुकदमा दर्ज कराने का कोई कारण नहीं था।

 

अभियुक्त घटना से पहले राजनीति में था। वर्ष 1996 में विधायक चुना गया। वह जगह-जगह जनसभाओं को संबोधित करता था और सामान्य व्यकित भी उसकी आवाज़ से परिचित था। ऐसे में आवाज़ पहचानने के लिए अभियुक्त से मिलना आवश्यक नहीं तय। वादी ने टेलीफोन पर अभियुक्त की आवाज़ पहचान ली थी। उसने स्वयं अपने नाम से फोन किया था।

 

22 जनवरी 1997 दहशत की एक शाम

 

सीबीआई की ओर से कोर्ट में दाखिल आरोप पत्र में बताया गया कि अपहरण के बाद नंदकिशोर को इलाहाबाद में रखा गया था। हालांकि उनका शव अब तक नहीं मिला। परिजनों ने उनके जिंदा होने की आस बहुत पहले ही छोड़ दी है लेकिन आज भी 22 जनवरी 1997 की शाम परिवार के लोग भूल नहीं पाते हैं।

 

जीवित होने की आस पर परिजन पहुंचे पटना

 

परिजनों के मुताबिक 11 फरवरी को उनके पड़ोसी के घर भी फोन आया था। जिसमें बताया गया कि मुगलसराय से लगभग 35 किलोमीटर दूर सासाराम 42 किलोमीटर लिखे माइलस्टोन पर रखे एक पैकेट में नंदकिशोर रूंगटा के जीवित होने के सबूत मौजूद हैं। पैकेट में ऑडियो कैसेट था। इसके बाद परिजन उन्हें ढूंढने पटना तक भी गए थे। इस मामले में काफी प्रयास के बाद भी नंदकिशोर रुंगटा का पता नहीं लग पाने पर उनकी पत्नी शांति देवी की मांग पर हाईकोर्ट ने पूरे मामले की जांच सीबीआई की सौंप दी थी।

 

फरवरी 1998 में सीबीआई में लखनऊ स्थित न्यायालय में मुख्तार अंसारी समिति 9 लोगों के विरुद्ध अपहरण कार्ड में आरोप पत्र दाखिल किया था। इस संबंध में न्यायालय ने जून 2000 में मुख्तार अंसारी समेत अन्य आरोपियों को अपहरण की साजिश समेत धाराओं से मुक्त कर दिया। हालांकि 27 वर्ष बाद आज भी नंदकिशोर रुंगटा का पता नही लग पाया।

 

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