लखनऊ। उत्तर प्रदेश में वक्फ बोर्ड की 78 प्रतिशत जमीन सरकारी रिकॉर्ड में दर्ज है। यह जानकारी मंगलवार को संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) की अंतिम बैठक में दी गई। वक्फ संशोधन विधेयक पर सुझाव लेने के लिए आयोजित इस बैठक की अध्यक्षता सांसद जगदंबिका पाल ने की। लखनऊ के एक होटल में हुई बैठक में वक्फ बोर्ड और अल्पसंख्यक समुदाय के प्रतिनिधियों की भी राय सुनी गई।
वक्फ संपत्तियों पर सरकारी दावा
बैठक में उत्तर प्रदेश शासन की ओर से बताया गया कि राज्य में कुल 14 हजार हेक्टेयर वक्फ भूमि है, जिसमें से 11 हजार हेक्टेयर भूमि सरकारी राजस्व रिकॉर्ड में दर्ज है। राजस्व विभाग के मुताबिक, प्रदेश की 58 हजार वक्फ संपत्तियां श्रेणी 5 और 6 के तहत सरकारी और ग्राम सभा की जमीन के रूप में पंजीकृत हैं।
राजस्व विभाग के खुलासे:
• बलरामपुर अस्पताल, आवास विकास प्राधिकरण और लखनऊ विकास प्राधिकरण (एलडीए) की जमीनों पर वक्फ बोर्ड दावा कर रहा है, जबकि ये जमीनें सरकारी हैं।
• भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) की जमीनें भी वक्फ बोर्ड के दावों के दायरे में हैं।
• आवास विकास और एलडीए की जमीनें नगर निकायों से नियमानुसार ली गई थीं, जिन पर वक्फ बोर्ड के दावे को सरकार ने खारिज कर दिया है।
बड़ी संपत्तियों पर विवाद
राजस्व विभाग के अधिकारियों ने यह भी जानकारी दी कि लखनऊ का बड़ा इमामबाड़ा, छोटा इमामबाड़ा और अयोध्या का बेगम का मकबरा भी सरकारी जमीन पर स्थित हैं।
वक्फ संपत्तियों पर नई नियमावली
उत्तर प्रदेश सरकार ने वक्फ संपत्तियों को लेकर नई नियमावली लागू की है। इसके तहत, वक्फ बोर्ड के किसी संपत्ति पर दावा किए जाने से पहले उसका 1952 के राजस्व रिकॉर्ड से मिलान किया जाएगा। अगर संपत्ति सरकारी साबित होती है, तो वक्फ बोर्ड का दावा रद्द कर दिया जाएगा।
जेपीसी की बैठक में शामिल सदस्य
बैठक में जेपीसी के सदस्य सांसद इमरान मसूद, ए. राजा, लवु श्रीकृष्णा देवरायलु, बृज लाल, गुलाम अली, असदुद्दीन ओवैसी, मो. नदीमुल हक, संजय जायसवाल और मोहिब्बुल्लाह ने हिस्सा लिया।
सच्चर कमेटी की संपत्तियों पर स्थिति स्पष्ट
बैठक में यूपी शासन ने सच्चर कमेटी की रिपोर्ट में उल्लिखित 60 वक्फ संपत्तियों की स्थिति स्पष्ट की। यह बताया गया कि इन संपत्तियों को लेकर वक्फ बोर्ड का दावा गलत है।