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पढ़िए, यूपी के टॉप 5 Mafia की क्राइम कुंडली

उत्तर प्रदेश में माफिया (Mafia) शब्द आजकल काफी चर्चा में है। बीते मार्च में 2 माफियाओं की माफियागिरी खत्म हुई। एक ओर जहां यूपी के खूंखार माफिया अतीक अहमद (Ateek Ahmad) की पुलिस कस्टडी में ही तीन हमलावरों ने गोली मारकर हत्या कर दी। वहीं दूसरी ओर, मुख्तार अंसारी को कोर्ट ने 10 साल की सजा सुनाई। अतीक अहमद पर 101 मुकदमे दर्ज थे, वहीं मुख्तार अंसारी पर भी 60 के आसपास मुकदमे दर्ज थे। वहीं हालांकि अतीक अहमद या मुख्तार, पहले ऐसे माफिया नहीं है, जो चर्चा में हैं।


अतीक अहमद को लेकर चर्चाएं इसलिए भी हैं क्योंकि अतीक की पुलिस कस्टडी में हत्या हुई है। अतीक पहला ऐसा माफिया भी नहीं है, जिसकी यूपी में हत्या हुई है। इससे पहले भी पुलिस कस्टडी में माफिया मुन्ना बजरंगी की हत्या हो चुकी है। कई बड़े बदमाशों को पुलिस ने एनकाउंटर में भी मार गिराया है। आज हम आपको उत्तर प्रदेश के 5 सबसे बड़े माफियाओं के अंत की कहानी बताते हैं। इसमें जो नाम सबसे पहले आता है, वह है श्रीप्रकाश शुक्ला। आज हम श्रीप्रकाश शुक्ला, मुन्ना बजरंगी, विकास दुबे, अतीक अहमद और मुख्तार अंसारी के अपराध के अंत की कहानी जानेंगे।


श्रीप्रकाश शुक्ला (Shri Prakash Shukla)


उत्तर प्रदेश कभी माफियाओं (Mafia) का गढ़ हुआ करता था। इसमें श्रीप्रकाश शुक्ला का नाम सबसे ऊपर है। श्रीप्रकाश शुक्ला सुपारी लेकर अपने टारगेट को खत्म करता था। श्रीप्रकाश के बारे में कहा जाता था कि वह हमेशा अपने साथ एके-47 रखता था। शुक्ला ने उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह को मारने की सुपारी ली थी। इस खबर की भनक प्रशासन को लगते ही प्रशासन फौरन हरकत में आ गया। एसटीएफ की टीम बनाई गई और तलाश शुरू हुई।


23 सितंबर 1998 को प्रभारी अरुण कुमार को खबर मिली कि श्रीप्रकाश दिल्ली से गाजियाबाद की ओर आ रहा है। श्रीप्रकाश की कार जब वसुंधरा एनक्लेव पहुंची, तो एसटीएफ (STF) की टीम उसका पीछा करने लगी। जैसे शुक्ला की कार इंदिरापुरम के सुनसान वाले इलाके में पहुंचे, एसटीएफ ने कार को ओवरटेक किया और रास्ता रोक लिया। पुलिस ने सरेंडर करने को कहा लेकिन बजाय इसके वह फायरिंग करने लगा। इसके बाद दोनों ओर से गोलियों की बौछार होने लगी। इस फायरिंग में यूपी का सबसे बड़ा माफिया (Mafia) और अपराधी श्रीप्रकाश शुक्ला मारा गया। श्रीप्रकाश को मारने के पूरे अभियान में पुलिस ने कुल एक करोड़ रुपए खर्च किए थे।


Mafia मुन्ना बजरंगी (Munna Bajrangi)


मुन्ना बजरंगी (Munna Bajrangi) अपराध जगत में एक प्रसिद्ध नाम हुआ करता था ।यूपी के कुख्यात माफिया डॉन प्रेम प्रकाश सिंह उर्फ मुन्ना बजरंगी ने वर्ष 1984 में पहली बार एक व्यापारी की हत्या की थी। इसके बाद यह सिलसिला चल निकला और जल्दी ही मुन्ना पूर्वांचल के बड़े अपराधियों में शुमार हो गया। 90 के दशक में बाहुबली मुख्तार अंसारी के गैंग में शामिल हो गया।


वर्ष 2005 में मुन्ना बजरंगी विधायक कृष्णानंद राय की हत्या करके प्रदेश का बड़ा शूटर बन गया। इस हत्या की गाज (Mafia) मुख्तार और मुन्ना दोनों पर गिरी थी। मुन्ना पर दर्जनों मामले दर्ज थे। वर्ष 2009 में मुन्ना को मुंबई से गिरफ्तार किया गया और यूपी की जेलों में रखा गया। 9 जुलाई 2018 को मुन्ना बजरंगी की जेल में हत्या कर दी गई। बजरंगी को 10 गोलियां मारी गई थी बताया जाता है कि सुनील राठी के शूटर्स ने मुन्ना बजरंगी को मारा था।


विकास दुबे (Vikas Dubey)


अपराधियों (Mafia) में विकास दुबे (Vikas Dubey) के नाम से भी लोग परिचित होंगे। 3 जुलाई 2020 को कानपुर के एक गांव में हिस्ट्रीशीटर और गैंगस्टर विकास दुबे को पकड़ने गई। पुलिस की टीम पर फायरिंग हुई, जिसमें 8 पुलिसवाले शहीद हो गए थे। इस कांड के बाद विकास दुबे फरार हो गया था। पुलिस उसकी खोज में जुट गई।


एसटीएफ की टीम लगातार उसकी तलाश कर रही थी। 9 जुलाई 2020 को उज्जैन के महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर से विकास को दबोचा गया। इसके बाद यूपी पुलिस कानपुर लेकर आ रही थी। 10 जुलाई की सुबह रास्ते में कार पलट गई और विकास दुबे भागने की कोशिश करने लगा। पुलिस ने फायरिंग की, खूंखार अपराधी विकास दुबे मारा गया।


अतीक अहमद (Ateek Ahmed)


प्रयागराज में माफिया (Mafia) अतीक अहमद (Ateek Ahmed) की 15 अप्रैल को गोली मारकर हत्या कर दी गई उसके साथ उसके भाई अशरफ की भी हत्या कर दी गई। जिस वक्त अतीक अहमद (Ateek Ahmed) की हत्या की गई, उस वक्त वह पुलिस कस्टडी में था। उसे मेडिकल रूटीन चेकअप के लिए ले जाया जा रहा था। अतीक अहमद (Ateek Ahmed) के खिलाफ 100 से ज्यादा मामले दर्ज थे। एक मामले में अभी कुछ दिन पहले उसे उम्र कैद की सजा सुनाई गई थी।


मुख्तार अंसारी (Mukhtar Ansari)


वर्ष 2017 में योगी आदित्यनाथ की सरकार बनने के बाद माफिया (Mafia) मुख्तार अंसारी (Mukhtar Ansari) और उसके करीबियों का साम्राज्य एक-एक ढहता चला गया। मुख़्तार अंसारी और उसके भाई अफजल अहमद पर कोर्ट का शिकंजा कस चुका है। दोनों को गैंगस्टर एक्ट में दोषी पाया गया है। मुख़्तार को 10 वर्ष और उसके भाई व सांसद अफजाल अंसारी को 4 वर्ष की सजा सुनाई गई है।


माफिया (Mafia) से नेता बने मुख़्तार पर दिल्ली से लेकर गाजीपुर और  वाराणसी तक कई संगीन धाराओं में 61 मुकदमे दर्ज हैं। इन मुकदमों में सबसे ज्यादा मुकदमे उसके गृह जिले गाजीपुर में दर्ज हैं। वहीं, 9 मुकदमे मऊ और 9 मुकदमे  वाराणसी में दर्ज हैं। इसके अलावा प्रदेश की राजधानी लखनऊ में भी 7 मामले दर्ज हैं।


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