
Gadar Ek Prem Katha: वर्ष 2001 में आई फिल्म ग़दर ने बॉक्स ऑफिस पर तहलका मचा दिया था। इसके 22 साल बाद इसके सिक्वल ने भी दर्शकों के दिलों पर अपनी छाप छोड़ी है। पहले पार्ट में तारा सिंह (सनी देओल) पाकिस्तान से सकीना को ले आते हैं। वहीँ इसके दूसरे पार्ट में वे मुस्कान को ले आते हैं। दोनों ही पार्ट में तारा सिंह को पाकिस्तानी ही पसंद आती हैं। एक बार वे अपने लिए सकीना को पत्नी बनाकर हिंदुस्तान ले आए थे, वहीँ इस बार वे मुस्कान को अपनी बहू बनाकर भारत ला रहे हैं।
क्या इस फिल्म को देखकर आपको कभी ख्याल आया कि यह फिल्म (Gadar Ek Prem Katha) काल्पनिक है या फिर इसमें कोई सच्चाई? तो आज हम आपको इसके बारे में बताते हैं। ये कहानी है, ब्रिटिश आर्मी में तैनात बूटा सिंह नाम के एक सैनिक की है। हालांकि इससे परे फिल्म के डायरेक्टर अनिल शर्मा ने कहा था कि फिल्म (Gadar Ek Prem Katha) की कहानी रामायण और महाभारत से प्रेरित है।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, यह कहानी बूटा सिंह की कहानी पर आधारित है। 24 वर्ष पहले इस पर एक पंजाबी फिल्म ‘शहीद-ए-मोहब्बत बूटा सिंह’ (Gadar Ek Prem Katha) बनी थी। जिसमें बूटा सिंह की कहानी को जस का तस दिखाया गया है। इस फिल्म को नेशनल अवार्ड भी मिला था।

Gadar Ek Prem Katha: बूटा सिंह ने बचाई जैनब की जान
बूटा सिंह का जन्म पंजाब के जालंधर में हुआ था। वे ब्रिटिश सेना में सैनिक थे। द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान लॉर्ड माउंटबेटन की कमान के तहत बर्मा मोर्चे पर तैनात थे। साल 1947 में भारत के बँटवारे के समय दोनों तरफ से हिंदुओं और मुस्लिमों को खदेड़ा जा रहा था। इसी दौरान पाकिस्तान जा रहे मुस्लिमों के एक काफिले में से जैनब नाम की लड़की का अपहरण कर लिया गया। बाद में बूटा सिंह ने जैनब की जान बचाई और उसे अपने घर में पनाह दी। इसके बाद दोनों के बीच प्यार हो गया। आखिरकार दोनों ने शादी कर ली।
बँटवारा के करीब एक दशक बाद भारत-पाकिस्तान सरकार (Gadar Ek Prem Katha) ने निर्णय लिया कि दोनों तरफ की उन महिलाओं को उनके घर वापस भेजा जाए, जिन्हें अगवा कर लिया गया था। कहा जाता है कि बूटा सिंह के भतीजे ने जायदाद के चक्कर में जैनब के बारे में जाँच करने वालों को बता दिया था। उसके बाद जैनब को पाकिस्तान उसके परिवार के पास भेज दिया गया। उस समय जैनब की दो बेटियाँ थी। जैनब के साथ उसकी छोटी बेटी भी साथ गई।
Gadar Ek Prem Katha: जब बदली जैनब की ज़िन्दगी
रिपोर्ट्स के अनुसार, जैनब लाहौर में अपने परिवार से मिली। कुछ सालों बाद जब उसके माता-पिता का निधन हुआ तो जैनब की जिंदगी बदल गई। जैनब की बहन उसके माँ-बाप के जायदाद की कानूनी वारिस बन गई। जैनब के चाचा चाहते थे कि उनके भाई की संपत्ति उनके पास आ जाए, इसलिए वे जैनब पर अपने बेटे के साथ निकाह करने का दबाव बनाने लगे।

बतौर रिपोर्ट्स, इस बीच बूटा सिंह के पास एक पत्र आया था, जिसमें लिखा था कि जैनब (Gadar Ek Prem Katha) पर उसके परिजन दूसरी शादी के लिए दबाव डाल रहे हैं। इसके बाद बूटा सिंह ने दिल्ली में अधिकारियों से उनकी पत्नी को वापस बुलाने की गुजारिश की, लेकिन इसका कोई फायदा नहीं हुआ। आखिरकार उन्होंने खुद पाकिस्तान जाकर अपनी पत्नी को अपने साथ लाने का निर्णय लिया।
इसके लिए उन्होंने अपनी जमीन बेच दी और इस्लाम अपनाकर अपना नाम जमील अहमद (Gadar Ek Prem Katha) रख लिया। फिर वह अपने बच्चों और पत्नी को लाने के लिए गैर-कानूनी तरह से वह पाकिस्तान चले गए। जब बूटा सिंह पाकिस्तान पहुँचे तो जैनब के परिवार ने उन्हें अपने परिवार का हिस्सा बनाने से साफ मना कर दिया। इतना ही नहीं, उन्होंने पाकिस्तानी पुलिस को बुलाकर बूटा सिंह को उसके हवाले कर दिया।

Gadar Ek Prem Katha: इस तरह बने शहीद-ए-आज़म बूटा सिंह
इसके बाद मामला कोर्ट में पहुँचा। कहा जाता है इस मामले में जैनब को कोर्ट में पेश किया गया। जैनब ने बूटा सिंह से प्यार करने के बावजूद दबाव में आकर उनके साथ जाने से इनकार कर दिया। हालाँकि, बेटी को बूटा सिंह के साथ भेज दिया।
कहा जाता है कि बूटा सिंह अपनी पत्नी से इस जुदाई को बर्दाश्त नहीं कर सके। उन्हें गहरा सदमा लगा। उन्होंने सामने से आ रही ट्रेन के आगे कूदकर अपनी जान दे दी। इस घटना में उनकी बेटी बच गई।
बूटा सिंह ने अपनी सुसाइड नोट में लिखा था कि उन्हें नूरपुर के कब्रिस्तान में दफनाया जाए, लेकिन जैनब के परिजनों ने ऐसा नहीं करने दिया। इसके बाद उन्हें लाहौर के मियाँ साहिब में दफनाया गया। बूटा सिंह का यह मजार आज भी पाकिस्तान में स्थित है और यहाँ युवा प्रेमी आते हैं। उन्हें लोग शहीद-ए-आजम बूटा सिंह के नाम से याद करते हैं। जैनब और बूटा सिंह की दो बेटियाँ हैं, जिनका नाम तनवीर और दिलवीर है।
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