
Subrat Roy: कहावत बड़ी पुरानी है कि सारी ज़िन्दगी जिसके लिए जिया, अंत में उसने ही साथ छोड़ दिया। ऐसा ही कुछ सहारा इंडिया परिवार के चीफ सुब्रत रॉय के साथ हुआ। दुनिया को सहारा देने वाले सुब्रत रॉय को उनके अंतिम समय में सहारा देने के लिए उनके बेटे ही नहीं मौजूद हैं।
जी हां, यह सच है। उनके दोनों बेटे विदेश में है और वे नहीं आ पाएंगे। हालांकि सहारा प्रमुख के पोते हिमांक रॉय उनके अंतिम संस्कार में शामिल होंगे। लेकिन हिंदू धर्म में परंपरा है कि पिता की मृत्यु पर उनकी अंतिम संस्कार में उनके बेटे ही उन्हें सहारा देकर उनकी चिता को मुखाग्नि प्रदान करते हैं।
ताउम्र चकाचौंध से घिरे रहने वाले सुब्रत रॉय (Subrat Roy) सहारा अपने मौत के समय बिल्कुल अकेले हो गए। यहां तक कि उनके परिवार का कोई सदस्य तक उनके पास नहीं था। कभी अपने बेटों की शादी में राजनीति से लेकर फिल्म जगत के सभी दिग्गजों को लखनऊ की धरती पर बुलाने वाले सुब्रत रॉय के बेटे ही अपने पिता की अंतिम संस्कार में शामिल नहीं हो पाएंगे। लेकिन उनके पोते हिमांक रॉय अपने दादा की अंत्येष्टि में जरूर शामिल होंगे। लेकिन वह कहते हैं ना कि बुढ़ापे का सहारा बेटे ही होते हैं। यही दोनों बेटे अपने पिता की अंत्येष्टि में नहीं आ पाएंगे।
बताया जा रहा है कि सुब्रत रॉय (Subrat Roy) के दोनों बेटे सुशांत और सीमांतो विदेश में हैं। जिस कारण वे अपने पिता के अंतिम संस्कार में शामिल नहीं होंगे। इन्हीं बेटों की शादी में दुनिया ने सुब्रत रॉय की राजनीतिक और फिल्मी ताकत का नमूना देखा था। लेकिन समय-समय की बात है।
समय का पहिया जब घूमता है, तो दिग्गजों को भी तन्हा कर देता है। एक समय तब था, एक समय अब है। 2023 के समय में सुब्रत रॉय गुमनामी में चुपचाप इस संसार को छोड़कर चले गए। हालत यह है कि उनके बच्चे उनके अंतिम संस्कार में पास नहीं है। पर वह भी क्या समय था, जब उनके आसपास फिल्म इंडस्ट्री के दिग्गजों का मेला लगा रहता था। यहां तक कि उनसे मिलने के लिए राजनेताओं की लाइन लगी रहती थी। लेकिन समय बदला तो लोगों ने उनसे मुंह मोड़ लिया।

Subrat Roy के बुरे समय में सबने साथ छोड़ा
दुनिया भी बड़ी मतलबी है। कॉर्पोरेट की दुनिया में अपना परचम रहाने वाली सहारा कंपनी के बुरे दिन क्या शुरू हुए? सुब्रत रॉय (Subrat Roy) के करीबी एक-एक करके उनके साथ छोड़ने गए। हालत यहां तक हो गए कि उन्हें जेल तक जाना पड़ा और तमाम बदनामियां झेलनी पड़ी। जिसने भी सुब्रत के चढ़ते साम्राज्य को देखा है, उन्हें सहाराश्री सुब्रत रॉय की कमजोरी पर विश्वास नहीं हुआ। दरअसल अर्श से फर्श तक पहुंचने के पीछे सुब्रत रॉय की ही कुछ ऐसी गलतियां थी, जिन्हें वक्त रहते वह पहचान नहीं पाए।
समय जब कमजोर होता है, तो इसका असर बच्चों पर भी पड़ता है। सुब्रत रॉय के दोनों बेटे विदेश में हैं और वह अपने पिता के संस्कार में इसी कारण शामिल नहीं हो पाएंगे। उनकी पत्नी सपना रॉय और छोटे बेटे सीमांतो के बड़े बेटे हिमांक रॉय लखनऊ पहुंचे हैं। हिमांक ही अपने दादा को अंतिम विदाई देंगे।
सुब्रत रॉय (Subrat Roy) ने अपने अच्छे समय में कई लोगों की दिल खोलकर मदद की थी। लेकिन आज कुछ लोगों को छोड़ दें, तो उनके साथ कोई भी खड़ा नहीं है। गीता में भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन से कहा था कि कर्म पर ही किसी का अधिकार होता है। लेकिन कर्म के फलों पर कभी नहीं। लेकिन सुब्रत रॉय (Subrat Roy) के कर्म के फल उन पर भारी पड़े थे। सेबी के चक्कर में सहारा समूह ऐसा फंसा कि उसमें कंपनी का सब कुछ स्वाहा हो गया।

सुब्रत रॉय (Subrat Roy) को जेल जाना पड़ा और बड़ी मशक्कत के बाद भी जेल से रिहा हुए। जेल से रिहा होने के बाद भी गुमनामी में चले गए। जब अच्छा समय रहने पर उनके आसपास मजमा लगा करता था, लेकिन जेल से निकलने के बाद उनके कभी करीबी रहे भी उनके उनसे मिलने से कतराते रहे। खैर, मौत तो अंतिम सत्य है और सुब्रत रॉय भी इसी सत्य की यात्रा पर चले गए।
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