Ghazipur Lok Sabha:राजनीति में गंगाधर कब शक्तिमान बन जाए, यह कोई नहीं जानता। खासकर, जब बात भारत के राजनीति का हृदय कहे जाने वाले यूपी की हो। सत्ता का सुख पाने के लिए नेता हर वह काम करते हैं, जिससे उन्हें सफलता मिल सके और जिसकी उनसे कभी अपेक्षा ही नहीं कि जा सकती।
ऐसा ही कुछ नजारा इस समय यूपी के गाजीपुर से सामने आ रहा है। जहां माफिया मुख्तार की भतीजी अपने पिता को लोकसभा चुनाव में जीत दिलाने के लिए मंदिरों के दर पर मत्था टेक रही है। मुख्तार की भतीजी अपने पिता और सपा प्रत्याशी अफ़ज़ाल अंसारी को जिताने के लिए मंदिरों में पूजा-पाठ करती नजर आ रही हैं।
यूपी के गाजीपुर लोकसभा सीट इस समय चर्चा का विषय है। इसकी वजह माफिया मुख्तार अंसारी और उसके बड़े भाई अफ़ज़ाल अंसारी हैं। अफ़ज़ाल ने पिछले लोकसभा चुनाव में सपा-बसपा प्रत्याशी के तौर पर भाजपा के मनोज सिन्हा को हराकर इस लोकसभा सीट पर जीत हासिल की थी। अब अफ़ज़ाल अंसारी की बेटी नुसरत अंसारी की एक तस्वीर सामने आई है। जिसमें वह अपने पिता को जिताने के लिए मंदिरों में पूजा-पाठ कर रही हैं।
सपा कार्यालय में अफ़ज़ाल अंसारी और सदर विधायक जैकिशन साहू के साथ मंत्रणा करते हुए नुसरत की एक फोटो सामने आई है जिसमें वह डोर टू डोर प्रचार करती हुई नजर आ रही हैं। नुसरत की यह तस्वीर सामने आते ही उन अटकलों को और हवा मिल गई है जिसमें कहा जा रहा है कि अगर अफजाल के चुनाव लड़ने पर रोक लगती है, तो उनकी बेटी मैदान में उतर सकती हैं।
Ghazipur Lok Sabha: सुप्रीम कोर्ट ने अफजाल की संसद सदस्यता की थी बहाल
बता दें कि अफ़ज़ाल अंसारी को 29 अप्रैल 2023 की गाजीपुर के एमपी-एमएलए कूएत ने गैंगस्टर मामले में 4 साल की सजा सुनाई थी। जिसके बाद उनकी संसद सदस्यता रद्द हो गई थी। सजा के खिलाफ अफ़ज़ाल ने इलाहाबाद हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया, जिसके बाद उन्हें जमानत तो मिली, लेकिन सजा से राहत नहीं मिली। इसके बाद अफ़ज़ाल सुप्रीम कोर्ट पहुंचे, जहां कोर्ट ने उनकी संसद सदस्यता बहाल कर दी और उन्हें चुनाव लड़ने योग्य करार दिया। इसके साथ ही इलाहाबाद हाईकोर्ट को 30 जून 2024 तक मामले के निस्तारण का आदेश दिया।
इलाहाबाद हाइकोर्ट में इस मामले में 2 मई को सुनवाई होनी है और गाजीपुर में 7 मई से नामांकन शुरू होना है। इस बीच यदि अफजाल की सजा बहाल हो जाती है, तो अफ़ज़ाल चुनाव नहीं लड़ पाएंगे। यदि सुनवाई टलती है, तो अफजाल पर सजा की तलवार लटकती रहेगी।
इसी कारण से कयास लगाए जा रहे हैं कि अफ़ज़ाल चुनाव में अपनी बेटी को उतार सकते हैं। फिलहाल नुसरत का चुनाव प्रचार और सपा कार्यालय पर आना इसी रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है। इस मामले में अफजाल अंसारी कुछ भी बोलने को तैयार नहीं हैं।
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