वाराणसी। ज्ञानवापी परिसर में जिला न्यायालय द्वारा पूजा-पाठ का आदेश दिए जाने के बाद पूरा परिसर घंटे-घड़ियाल की ध्वनि से गूंज उठा। ज्ञानवापी के व्यासजी तहखाने में गुरुवार बुधवार रात व्यासजी परिवार ने पूजा पाठ शुरू कर दिया। विश्वसनीय सूत्रों के मुताबिक, यह पूजा रात 2 बजे तक चली।
वाराणसी के जिला न्यायालय ने बुधवार को हिन्दू पक्ष की मांग पर व्यासजी तहखाने में पूजा की इजाजत दी थी। हिन्दू पक्ष ने तर्क दिया था कि यहां 1993 से पहले परिसर में नियमित रूप से पूजा पाठ होता था, जिसे तत्कालीन मुलायम सरकार ने मौखिक आदेश के बाद बंद करा दिया था। पिछले 31 वर्षों से तहखाना सरकार व जिला प्रशासन के आदेश पर बैरिकेडिंग करा दिया था।
जिला न्यायालय ने यहां पश्चिमी दीवार का क्षेत्र हिन्दुओं को सौंपने का आदेश जिला प्रशासन को दिया था। साथ ही इसके लिए सात दिनों के भीतर इसकी व्यवस्था कराने के लिए कहा था।
कोर्ट के आदेश के बाद वाराणसी के रात 10 बजे व्यासजी परिवार के लोगों के साथ जिलाधिकारी, कमिश्नर और अन्य अधिकारी पहुंचे। इस दौरान यहां के बैरिकेड हटाए गए। इसके बाद यहां काशी विश्वनाथ ट्रस्ट के पुजारी ने यहां मूर्तियां स्थापित कीं और भगवान की शयन आरती की। इस पूजा में व्यासजी परिवार भी शामिल रहा। फ़िलहाल यह तहखाना आम श्रद्धालुओं के लिए नहीं खोला गया है।
वाराणसी के जिला प्रशासन ने बताया कि यहां न्यायालय के आदेश के अनुसार, सभी प्रबंध कर दिए गए हैं। यहाँ बैरिकेड हटाने, रास्ते तैयार करने और सुरक्षा सम्बन्धी कामों को पूरा कर लिया गया है। जिलाधिकारी एस राजलिंगम ने कहा कि कोर्ट के आदेश का पालन किया गया है।
#WATCH | Varanasi, Uttar Pradesh: District Magistrate (DM) S Rajalingam says, "We have complied with the court's order." https://t.co/XQYyCO84oj pic.twitter.com/2oJFSduQ3H
— ANI (@ANI) January 31, 2024
ज्ञानवापी में पूजा शुरू किए जाने को लेकर हिन्दू पक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन ने बताया, “राज्य सरकार ने न्यायालय के निर्देश का पालन किया है। काशी विश्वनाथ ट्रस्ट के एक पुजारी द्वारा मूर्तियाँ स्थापित करने के बाद शयन आरती की गई है। अखंड ज्योति भी उनके सामने जला दी गई है। अब इन देवी-देवताओं के लिए रोज सभी आरतियाँ और भोग प्रसाद होगा।”
The SG has complied with the orders of the court. Shayan arti done by a pujari of KVM Trust after putting up idols. An Akhand Jyoti started in front of them. Daily Arti of all above deities- Morning Mangla Arti, Bhog Arti, evening arti, late sunset evening arti, Shayan arti.
— Vishnu Shankar Jain (@Vishnu_Jain1) February 1, 2024
इस वजह से बंद हुआ था ज्ञानवापी के व्यासजी का तहखाना
ज्ञानवापी स्थित नंदी के मुख के सामने दक्षिणी दीवार के पास मौजूद तहखाने में वर्ष 1551 से व्यास पीठ स्थापित रहा। इसी व्यास पीठ से मां श्रृंगार गौरी की पूजा, भोग, आरती की जाती रही। वर्ष 1993 में राज्य सरकार व जिला प्रशासन के मौखिक आदेश के जरिये पूजा-पाठ और परंपराओं को बंद करा दिया था। ज्ञानवापी परिसर के चारों ओर लोहे की बैरिकेडिंग भी करा दी गई थी।
दिसंबर 1993 में तत्कालीन मुलायम सरकार ने तत्कालीन जिलाधिकारी ने व्यास पीठ के तत्कालीन पुजारी पंडित सोमनाथ व्यास के प्रवेश पर प्रतिबंध लगाते हुए पूजा-पाठ पर रोक लगा दी। तहखाने में भी ताला लगा दिया था। वर्ष 1996 में दायर आदि विश्वेश्वर बनाम राज्य सरकार के वाद में नियुक्त अधिवक्ता आयुक्त ने अपनी रिपोर्ट में तहखाने के एक ताले की दो चाबी का जिक्र किया था। तत्कालीन जिलाधिकारी के ताला खोलने से मना करने के बाद व्यास पीठ के पं सोमनाथ व्यास ने एक चाबी से ताला खोला था। इसके बाद ज्ञानवापी परिसर में एएसआई सर्वे के दौरान नंदी के सामने स्थित इस तहखाने का दरवाजा खुला था।
हिंदू पक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन ने कहा कि तहखाने में पूजा पाठ करने का अधिकार व्यास जी के नाती शैलेन्द्र पाठक को दे दिया है। उन्होंने बताया कि जिला न्यायाधीश ने अपने आदेश में जिलाधिकारी को निर्देशित करते हुए कहा है कि वादी शैलेन्द्र व्यास तथा काशी विश्वनाथ ट्रस्ट द्वारा तय किये गए पुजारी से व्यासजी के तहखाने में स्थित मूर्तियों की पूजा और राग भोग कराए जाने की व्यवस्था सात दिन के भीतर कराएं। पूजा कराने का कार्य काशी विश्वनाथ ट्रस्ट करेगा।
ज्ञानवापी मस्जिद के वजूखाने के दक्षिणी ओर बैठे नंदी के सामने लगी बैरिकेडिंग को हटाकर रास्ता खोला जाएगा। अदालती आदेश में कहा गया है कि जिला मजिस्ट्रेट वाराणसी/ रिसीवर को निर्देश दिया जाता है कि वह सेटेलमेंट प्लॉट नं० 9130 थाना—चौक, जिला वाराणसी में स्थित भवन के दक्षिण की तरफ स्थित तहखाने, जो कि वादग्रस्त सम्पत्ति है, वादी तथा काशी विश्वनाथ ट्रस्ट बोर्ड के द्वारा नाम निर्दिष्ट पुजारी से पूजा, राग—भोग, तहखाने में स्थित मूर्तियों का कराये और इस उद्देश्य के लिये सात दिन के भीतर लोहे की बाड़ आदि में उचित प्रबंध करें।
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