
Bhakti Sagar: 90s का एक दौर अलग था. जब सुबह – सुबह टीवी ऑन करते ही दूरदर्शन और डीडी मेट्रो पर भक्ति गानों का अंबार लगा होता था. सुबह 6:30 बजे डीडी मेट्रो पर भक्ति सागर के क्या कहने ! घरों के अलावा लोग मंदिरों, सुबह खुलने वाले दुकानों आदि पर भी ये गाने बजाते रहते थे.
उस समय के गायक/गायिकाओं की आवाज़ ही ऐसी थी कि लोग पल भर में मंत्रमुग्ध हो जाते थे. आज हम बात करेंगे उन टॉप सिंगर्स की, जिन्होंने अपने गानों के जरिए आम जनमानस को भक्ति रस (Bhakti Sagar) में डुबो दिया.
Bhakti Sagar: के अनमोल रत्न गुलशन कुमार
5 मई 1956 को एक पंजाबी परिवार में जन्मे गुलशन कुमार का असली नाम ‘गुलशन दुआ’ था. वे दिल्ली के दरियागंज में फलरस विक्रेता के पुत्र थे. गुलशन कुमार की आवाज़ सुनते ही आम जनमानस अपना सुधबुध खोकर भक्ति आराधना में जुट जाते थे. गुलशन कुमार ने न सिर्फ भक्ति (Sung in famous show Bhakti Sagar at Doordarshan) गाने गाए, बल्कि कई भक्ति आधारित फिल्मों का निर्माण भी किया.
12 अगस्त 1997 को उनकी प्रसिद्धि से बेचैन होकर अंडरवर्ल्ड ने उनकी हत्या करा दी. वर्तमान में उनकी म्यूजिक इंडस्ट्री उनके बेटे भूषण कुमार संभाल रहे हैं. उनकी बेटी तुलसी कुमार भी एक गायिका हैं. गुलशन कुमार की हत्या बॉलीवुड इंडस्ट्री में भक्ति युग का अंत मानी जाती है. क्योंकि उनकी मृत्यु के बाद बॉलीवुड में भक्ति गानों का प्रचलन कम हो गया था.
अनुराधा पौंडवाल
सुरीली आवाज़ की धनी अनुराधा पौंडवाल में लोग दूसरी लता मंगेशकर देखते थे. सुबह सुबह (Bhakti Sagar) टीवी अथवा रेडियो पर जब अनुराधा के मुख से श्री राम अमृतवाणी की गूंज सुनाई देती थी, पूरा माहौल भक्तिमय हो जाता था. 27 अक्टूबर, 1954 को कर्नाटक के पास कारवार में एक महाराष्ट्रियन फैमिली में जन्मीं अनुराधा पौडवाल ने अपने सिंगिंग करियर की शुरुआत 1973 में आई अमिताभ बच्चन और जया भादुड़ी की फिल्म ‘अभिमान’ से की थी. हालांकि, उन्हें बड़ा ब्रेक 1976 में सुभाष घई की फिल्म ‘कालीचरन’ से मिला.
इस मूवी में उन्होंने ‘एक बटा दो, दो बटे चार’ गाना गाया था. इसके बाद तो अनुराधा ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा और एक से बढ़कर एक गाने गाए. जिसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. जितना आदर सम्मान लोग गुलशन कुमार को देते हैं, उतना ही आदर सम्मान लोगों के नजर में अनुराधा पौंडवाल की भी है.

विशु कुमार
भक्ति गानों की बात हो या कबीर अमृतवाणी, गुलशन कुमार के बाद विशु कुमार का ही नाम आता है. विशु कुमार का असली नाम विशु भटनागर है. उन्होंने भारत के प्रमुख गायकों और टी-सीरीज़ , HMV, वीनस, Sonotek और KVC संगीत सहित भारत के प्रमुख रिकॉर्ड लेबलों के साथ 200 से अधिक भक्ति एल्बम गाए हैं. विशु को राष्ट्रपति पुरस्कार, सिनेमा सेंचुरी पुरस्कार और अन्य मिले हैं. उन्होंने पंजाबी, राजस्थानी और अन्य भारतीय भाषाओं सहित कई भाषाओं में गाया है और टी-सीरीज़ द्वारा सात वर्षों के लिए साइन किया गया था.
विशु को भजन, भक्ति संगीत, ग़ज़ल और सुंदरकांड के गायन (Bhakti Sagar) की मधुर शैली के लिए जाना जाता है. टी-सीरीज़ के साथ उनका एल्बम रामायण की चौपाइयाँ और प्यासे को पानि पिलाया नहीं भक्ति एल्बम श्रेणी में सर्वश्रेष्ठ विक्रेता रहा है. उनके कुछ प्रमुख गीतों में कभी प्यासे कोई पानी पिलाया नहीं, खज़ाना मइया का, घर घर में है रावण बैठा, उड़ जा हंस अकेला, कबीर अमृत वाणी, हनुमान गाथा, कर्मो की है माया और अन्य शामिल हैं. उन्होंने भारत और विदेशों में कई स्टेज परफॉर्मेंस दिए हैं, एक लोकप्रिय भक्ति गायक के रूप में उभरे हैं. अपने गायन के अलावा, उन्होंने एक गायन और वाद्य प्रशिक्षण संस्थान की भी स्थापना की.
अनूप जलोटा
भजन सम्राट अनूप जलोटा को हिंदू भक्ति संगीत, भजन, और उर्दू कविता, ग़ज़ल में उनके प्रदर्शन के लिए जाना जाता है. उन्होंने अपने संगीत करियर की शुरुआत महान गायक किशोर कुमार के साथ मंच प्रदर्शन से की थी, जिसके चलते वह जूनियर किशोर से नाम से प्रसिद्ध हुए. मुंबई में अपने संघर्ष के दिनों के बाद, उन्हें ऑल इंडिया रेडियो में कोरस गायक के रूप में नौकरी मिली.
अपने दिव्य गायन के कारण उन्हें अक्सर भारत के भजन सम्राट के रूप में जाना जाता है. उन्होंने दुनिया भर में 5000 से अधिक लाइव संगीत कार्यक्रमों का प्रदर्शन किया है. उन्हें 2012 में पद्मश्री से नवाजा गया था. वे रियलिटी शो बिग बॉस 12 में एक प्रतियोगी थे. 2015 में, उन्होंने “सत्य साईं बाबा” फिल्म में प्रसिद्ध आध्यात्मिक गुरु सत्य साईं बाबा की भूमिका निभाई.
लता मंगेशकर
लता मंगेशकर के आवाज़ में जब ‘सत्यम शिवम् सुन्दरम’ की आवाज़ आज भी कानों में पड़ती है, तो ऐसा लगता है, मानो कोई दैवीय शक्ति भक्ति रस (Bhakti Sagar) जगा रही हो. लता जी को सर्वाधिक गीत रिकार्ड करने का भी गौरव प्राप्त है. फ़िल्मी गीतों के अतिरिक्त आपने भक्ति गीत भी बहुत खूबी के साथ गाए हैं. लता जी की प्रतिभा को पहचान मिली सन् 1947 में, जब फ़िल्म “आपकी सेवा में” उन्हें एक गीत गाने का मौक़ा मिला.
इस गीत के बाद तो आपको फ़िल्म जगत में एक पहचान मिल गयी और एक के बाद एक कई गीत गाने का मौक़ा मिला. इन में से कुछ प्रसिद्ध गीतों का उल्लेख करना यहाँ अप्रासंगिक न होगा. जिसे आपका पहला शाहकार गीत कहा जाता है वह 1949 में गाया गया “आएगा आने वाला”, जिस के बाद आपके प्रशंसकों की संख्या दिनो दिन बढ़ने लगी.
इस बीच आपने उस समय के सभी प्रसिद्ध संगीतकारों के साथ काम किया. अनिल बिस्वास, सलिल चौधरी, शंकर जयकिशन, एस. डी. बर्मन, आर. डी. बर्मन, नौशाद, मदनमोहन, सी. रामचंद्र इत्यादि सभी संगीतकारों ने आपकी प्रतिभा का लोहा माना. लता जी ने दो आँखें बारह हाथ, दो बीघा ज़मीन, मदर इंडिया, मुग़ल ए आज़म, आदि महान फ़िल्मों में गाने गाये है. आपने “महल”, “बरसात”, “एक थी लड़की”, “बडी़ बहन” आदि फ़िल्मों में अपनी आवाज़ के जादू से इन फ़िल्मों की लोकप्रियता में चार चाँद लगाए. इस दौरान आपके कुछ प्रसिद्ध गीत थे: “ओ सजना बरखा बहार आई” (परख-1960), “आजा रे परदेसी” (मधुमती-1958), “इतना ना मुझसे तू प्यार…