Dev Deepawali: 39 वर्ष पहले पांच घाटों पर दीप जलाकर काशी में हुई थी देव दीपावली की शुरुआत, बनारसियों ने चाय-पान की दुकान पर दान दिया था तेल, जानिए इतिहास

देवताओं की दीपावली कहे जाने वाले देव दीपावली का पर्व काशी के घाटों पर हर साल भव्यता के साथ मनाया जाता है। कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर गंगा के तटों पर लाखों दीप प्रज्ज्वलित होते हैं, जिससे घाटों का दृश्य देवलोक जैसा प्रतीत होता है। इस पर्व का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व उत्तर भारत की धार्मिक परंपराओं

admin | 15-11-2024

काशी में गंगा घाट की सीढ़ियों पर विराजमान हैं भगवान वेंकटेश बाला जी: पेशवा शासनकाल में रंगमहल था मंदिर, 1857 में सिंधिया परिवार ने खरीदा, बिस्मिल्लाह खान से भी जुड़ा है इतिहास

काशी के प्रमुख रत्नों में से एक बिस्मिल्लाह खान को ‘उस्ताद’ बनाने में इस मंदिर का काफी योगदान रहा है। बिस्मिल्लाह खान अक्सर गंगा घाट किनारे स्थित बालाजी मंदिर में सूर्योदय के पहले ही शहनाई वादन का रियाज किया करते थे। वे गंगा से बालाजी मंदिर तक की 508 सीढियां चढ़ कर ऊपर जाते और मंदिर प्रांगण में बैठक

admin | 30-10-2024

दीपावली पर जगमग होगा प्रदेश, काशी से अयोध्या तक जलेंगे लाखों दीप: दीये, खिलौने व मूर्तियां बनाने में जुटे कुम्हार, करोड़ों का होगा कारोबार, युवा पीढ़ी पारम्परिक व्यवसाय में नहीं ले रही रूचि

पांच दिवसीय प्रकाश के महोत्सव के लिए कुम्हार भी युद्धस्तर पर लगे हुए हैं। कुम्हार मिट्टी के दीये, खिलौने, लक्ष्मी-गणेश की प्रतिमा आदि बनाने में जुटे हुए हैं। हालांकि बीते एक दशक में इस परम्परा में भी परिवर्तन आया है। अब मिट्टी के दीयों की जगह तमाम तरह के इलेक्ट्रॉनिक्स और झालर ने ले ली है। युवा पीढ़ी

admin | 28-10-2024

किस्से: भारत-चीन युद्ध के कारण सफल नहीं हो पाया रतन टाटा का पहला प्यार, किताबों और संगीत से कर ली दोस्ती, कोरोना काल में किया था 500 करोड़ का दान

रतन टाटा का जन्म 28 दिसंबर 1937 को नवल और सूनू टाटा के घर हुआ था। वे टाटा समूह के संस्थापक जमशेदजी टाटा के परपोते थे। रतन टाटा का बचपन दादी के संरक्षण में बीता, क्योंकि उनके माता-पिता उनके बचपन में ही अलग हो गए थे। 1991 में उन्हें टाटा समूह का चेयरमैन नियुक्त किया गया।

admin | 10-10-2024

लखनऊ के ऐशबाग से जुड़ी हैं काशी के रामलीला की जड़ें, 16वीं शताब्दी में गोस्वामी तुलसीदास ने कराया था शुरू

किवदंतियां हैं कि कई रामलीलाओं (Ramleela) में स्वयं भक्तों ने अपने आराध्य भगवान श्रीराम के दर्शन किए हैं। यूं तो काशी की रामलीला विश्व भर में विख्यात है। लेकिन क्या आपको पता है कि गोस्वामी तुलसीदास ने काशी से पहले ही लखनऊ में रामलीला की शुरुआत करा दी थी। जी हां, काशी में होने वाली रामलीला की जड़ें ल

admin | 27-09-2024

नरेंद्र मोदी के 10 साल: जिन्हें कांग्रेसी-वामपंथी सरकारों ने किया उपेक्षित, 10 साल में समाज के उस अंतिम व्यक्ति तक पहुंचे ‘मोदी’

मोदी सरकार ने विभिन्न देशों के साथ भारत के संबंधों को मज़बूत किया है। अमेरिका, रूस, जापान, और कई यूरोपीय देशों के साथ रणनीतिक और आर्थिक साझेदारियां स्थापित की गईं। मोदी की "एक्ट ईस्ट" और "नेबरहुड फर्स्ट" नीतियों ने दक्षिण एशिया और आसियान देशों के साथ भारत के संबंधों को बेहतर बनाया है।

admin | 18-09-2024

सवा सौ साल से भी पुरानी है काशी में गणेशोत्सव की परम्परा, अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ बाल गंगाधर तिलक ने कराया था शुरू, जानिए इस परम्परा का इतिहास

श्रीकाशी मराठा गणेशोत्सव समिति द्वारा 2007 में रेशम कटरा में गणेशोत्सव का आयोजन शुरू किया गया। 2013 में मुंबई के कलाकारों द्वारा निर्मित 'लालबाग के राजा' की प्रतिमा की स्थापना ने इस आयोजन को और भव्य बना दिया। यह उत्सव ठठेरी बाजार में शेरवाली कोठी में आयोजित होता है, जिसमें मराठी कलाकारों की विशेष भा

admin | 08-09-2024

यशोदा बनकर बच्चों को सनातन की दीक्षा दे रहीं काशी की ‘प्रतिभा’, मुस्लिम बच्चों को गीता व रामायण के श्लोक हैं कंठस्थ

सुंदरपुर स्थित उर्मिला देवी मेमोरियल सोसाइटी की निदेशिका प्रतिभा सिंह यशोदा बनकर इन बच्चों को तैयार कर रही हैं। नि:शुल्क पाठशाला में शिक्षा ग्रहण करने वाले इन मुस्लिम बच्चों को गीता कंठस्थ है और वह इनका अर्थ भी समझाते हैं। यहां सबसे बड़ी बात है कि ये बच्चे उन बस्तियों के रहने वाले हैं, जहां बच्चों क

admin | 28-08-2024

यूपी के इस जिले में है भगवान श्रीकल्कि का मंदिर, 5241 वर्ष पूर्व कदंब के नीचे रुक्मिणी संग श्रीकृष्ण ने किया विश्राम, यहीं कल्कि अवतार लेकर आने का दिया वचन

उत्तर प्रदेश का संभल जिला अत्यंत पौराणिक माना जाता है। यहां स्थित श्रीवंश गोपाल कल्कि धाम 68 तीर्थ 19 कूपों में शामिल है। मान्यता है कि लगभग 5 हजर वाढ पूर्व जब भगवान कृष्ण ने देवी रुक्मिणी का हरण किया, तब वह यहीं पर रुके थे। उन्होंने यहां जंगल में कदंब के वृक्ष ने नीचे विश्राम किया था। यहां उन्होंने

admin | 26-08-2024

जन्माष्टमी विशेष: इस्लाम के सिद्धांतों को त्याग श्रीकृष्ण भक्ति में डूबे रसखान, बालरूप में कन्हैया ने दिए दर्शन, बदल गया जीवन - Shri Krishna Janmashtami Special

रसखान का जन्म एक मुस्लिम परिवार में हुआ था, लेकिन उनका जीवनकाल भगवान कृष्ण की भक्ति में पूरी तरह से डूबा हुआ था। इस कहानी में, हम रसखान के जीवन के उस महत्वपूर्ण पहलू को जानेंगे जब उन्हें भगवान श्रीकृष्ण के दर्शन प्राप्त हुए।

admin | 25-08-2024

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