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राजस्थान के धौलपुर से पांच किलोमीटर दूर चंबल नदी के किनारे बीहड़ों में स्थित अचलेश्वर महादेव मंदिर किसी रहस्य से कम नहीं है। दरअसल कई वर्षों पहले नागपुर में भोला नाम का एक व्यक्ति रहता था, जिसने तीन वर्ष की आयु में ही एक दुर्घटना में अपने माता पिता को खो दिया था।
admin | 21-07-2024
काशी का तिल भांडेश्वर मंदिर अत्यंत ही प्राचीन है। इस मंदिर का नाम इसके आकार के वजह से पड़ा है। मान्यता है कि यह मंदिर प्रतिदिन तिल भर बढ़ जाता है। महाशिवरात्रि और सावन के दिनों में यहां पैर रखने तक की जगह नहीं होती। महादेव का यह मंदिर काशी के सोनारपुरा क्षेत्र में पड़ता है। इस मंदिर का जिक्र शिवपुरा
admin | 13-07-2024
इस मंदिर की सबसे बड़ी खासियत ये है कि यहां की सीढ़ियों से संगीत की धुन निकलती है, जिस वजह से ये मंदिर काफी अलग है। मंदिर का न केवल धार्मिक महत्व है, बल्कि ये प्राचीन वास्तुक्ला के लिए भी प्रसिद्ध है। मंदिर की आकृति और दीवारों पर उकरे गए चित्र लोगों को काफी आकर्षित करते हैं।
admin | 13-07-2024
बत्रा होली के त्योहार के दौरान छुट्टी पर अपने होमटाउन आए थे। जब पड़ोसी देश पाकिस्तान ने भारत को कारगिल युद्ध के लिए मजबूर कर दिया गया था। विक्रम ने अपने दोस्तों और मंगेतर डिंपल चीमा से ये वादा किया था कि “मैं कारगिल में तिरंगा लहराकर या उसमें लपेटकर वापस आऊंगा, लेकिन मैं निश्चित रूप से वापस लौटूंगा”
admin | 12-07-2024
काशी की परम्परा के तहत काशीनरेश परिवार के अनंत नारायण सिंह ने भगवान का विधि-विधान से पूजन अर्चन किया तथा 56 भोग लगाया जिसमें छौंका, मूंग, चना, पेड़ा, गुड़, खांडसारी नीबू के शर्बत का तुलसी युक्त भोग भी शामिल है। पूर्व काशी नरेश डा० विभूति नारायण सिंह आजीवन इस परम्परा का निर्वहन करते थे। अब काशीराज पर
admin | 07-07-2024
अंशुमान सिंह की वीरता और शहादत को देखते हुए उन्हें मरणोपरांत कीर्ति चक्र से सम्मानित किया गया। राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कैप्टन अंशुमान सिंह की पत्नी स्मृति और मन मंजू सिंह को कीर्ति चक्र दिया। राष्ट्रपति भवन में शहीद कैप्टन अंशुमान सिंह की वीर गाथा सुनाई गई। बताया गया कि कैसे
admin | 07-07-2024
बुनकर स्टूडियो के मैनेजर राजू ने बताया कि अब तक आठ लाख रुपये की छह बनारसी साड़ियां भेजी भी जा चुकी हैं। वहीं, दुल्हन राधिका मर्चेंट - के लिए लहंगा-दुपट्टा के अलावा आठ साड़ियों का काम अंतिम दौर में है। इन्हें 30 जून तक मुंबई भेज देना है। इनकी कीमत 12 लाख रुपये से अधिक है।
admin | 29-06-2024
काशी खण्ड में चंद्रेश्वर लिंग एवं चंद्रकूप के महात्म्य का उल्लेख है। पौराणिक कथा के अनुसार स्वयं चन्द्रमा ने भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए काशी में अपने नाम के शिवलिंग को स्थापित कर अनेकों वर्षों तक तपस्या करते रहे एवं इसी तपस्या के दौरान भगवान चंद्र ने अमृतोद कूप की स्थापना की। इसके जल को पीने स
admin | 24-06-2024
पं. लक्ष्मीकांत के सुपुत्र पं. जयकृष्ण दीक्षित ने बताया कि वे लोग महापंडित गागाभट्ट की 11वीं पीढ़ी के हैं। राज्याभिषेक के पश्चात जब छत्रपति शिवाजी काशी आए थे, तो उनके साथ गागाभट्ट भी आए थे। उनके परिवार की एक शाखा काशी में रह गई थी और वे लोग उसी वंश परंपरा से हैं। उनका परिवार रामघाट के समीप मंगला गौर
admin | 23-06-2024
प्राचीन काल में भारत शिक्षा का केंद्र हुआ करता था। इस विश्वविद्यालय की स्थापना गुप्त शासनकाल में कुमार गुप्त प्रथम (450-470) ने की थी। नौवीं शताब्दी से बारहवीं शताब्दी तक इस विश्वविद्यालय को अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त थी। यहां इतनी किताबें रखी थीं कि जिन्हें गिन पाना आसान नहीं था। हर विषय की किताब
admin | 19-06-2024