End of Mafia: योगी सरकार बनते ही प्रदेश के माफियाओं का काउंटडाउन शुरू हो गया। माफिया अतीक अहमद और मुख्तार अंसारी के साम्राज्य पर पुलिस प्रशासन ने लगातार शिकंजा कसना शुरू कर दिया। माफियाओं के अरबों की संपत्ति कुर्क की गई। इसके साथ ही अवैध कब्जा जमीन और बिल्डिंग पर बुलडोजर चला। इतना ही नहीं माफियाओं के गुर्गे पर लगातार कार्रवाई जारी है। हालांकि, अतीक अहमद की शूटरों ने गोली मारकर हत्या कर दी। वहीं मुख्तार अंसारी की हार्ट अटैक के बाद मौत हो गई।
दोनों माफियाओं की मौत के बाद प्रदेश से इन माफियाओं के आतंक का खात्मा हो गया। योगी सरकार के निर्देश पर पूरे प्रदेश में माफियाओं के खिलाफ अभियान चलाया जा रहा है। प्रदेश के सूचीबद्ध माफिया पर उनके ठिकानों पर पुलिस लगातार कार्रवाई की जा रही है। अभियान के तहत करीब 36 वर्षों बाद माफिया डॉन मुख्तार अंसारी को पहली बार 21 सितंबर 2022 को सजा सुनाई गई। इस सजा के बाद डेढ़ वर्ष में आठ मुकदमों मे सजा हुई। मुख्तार की बांदा जेल में हार्ट अटैक आने के बाद मौत हो गई। उसकी मौत के बाद कई राज दफन हो गए।
कानूनी दांवपेंच का था मास्टरमाइंड
अपराध की दुनिया में आतंक का पर्याय बने मुख्तार अंसारी की मौत के बाद प्रदेश के माफियाओं में हड़कंप मच गया। मुख्तार को जरायम की दुनिया में कानूनी दांवपेंच का मास्टरमाइंड कहा जाता था। तमाम केस दर्ज होने के बावजूद पुलिस गवाह और कोई साक्ष्य के अभाव में सजा नहीं कर सका था। कानून से कैसे बचा जाता है इसको वह बखूबी जानता था।
जेल की सलाखों में रहकर चलाता था अपनी सरकार
मुख्तार अंसारी जेल की सलाखों में रहकर कई राजनीतिक दलों का इस्तेमाल अपने ढंग से करता था। बाहुबल के दम पर माफिया से राजनेता बन बैठा। राजनीति के सभी दांव पेच वह भली भांति जानता था। बसपा से 1996 में पहली बार विधायक बना उसके बाद सपा में शामिल हो गया। वह सत्ताधारी पार्टी का इस्तेमाल करता था। लेकिन योगी सरकार में उसका सभी दांव पेच फेल हो गया।
मुख्तार दो बार निर्दलीय उम्मीदवार रहकर भी विधानसभा चुनाव जीता। सपा-बसपा से दूरी होने पर अपनी पार्टी कौमी एकता दल बनाया। मुख्तार पांच बार विधायक बना और बसपा के टिकट पर 2009 के लोकसभा चुनाव में वाराणसी सीट से भी चुनाव लड़ा। लेकिन उसको हार का सामना करना पड़ा।
मुख्तार अंतिम बार बसपा के टिकट पर 2017 में विधानसभा पहुंचा। इसके बाद अपने बाहुबल के बल पर बड़े बेटे अब्बास अंसारी को भी विधायक बनाया।
End of Mafia: पहला मुकदमा 1986 में दर्ज
मुख्तार के विरुद्ध हत्या का पहला मुकदमा 1986 में दर्ज हुआ। तब प्रदेश में कांग्रेस की सरकार थी। मुख्तार पर तत्कालीन कांग्रेस नेताओं का भी हाथ रहा। प्रदेश में सरकारें बदलती रहीं, लेकिन किसी ने बाहुबली के विरुद्ध कार्रवाई नहीं की।
मुख्तार अंसारी आई एस गैंग 191 का सरगना था। कृष्णानंद राय हत्याकांड के बाद उसका पूरे प्रदेश में अपराध जगत में डंका बजने लगा। इस हत्याकांड के बाद इसने गाजीपुर जिले में दर्जनों हत्याएं कराई। लेकिन योगी सरकार आते ही इस पर शिकंजा कसने लगा। वह 19 साल तक जेल की सलाखों में गुजारी। उसे 32 साल बाद पहली बार वाराणसी की अदालत ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी।
पत्नी के खिलाफ भी दर्ज 11 मुकदमे
मुख्तार अंसारी की पत्नी अफसा के विरुद्ध 11 मुकदमे दर्ज हैं। बड़े भाई पूर्व विधायक सिबगतुल्ला अंसारी के विरुद्ध तीन मुकदमे दर्ज हैं। भाई अफजाल अंसारी के विरुद्ध सात मुकदमे दर्ज हैं। पुत्र अब्बास के विरुद्ध आठ मुकदमे दर्ज हैं। अब्बास की पत्नी निखत के विरुद्ध चित्रकूट में भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम व आपराधिक षड्यंत्र समेत अन्य धाराओं में मुकदमा दर्ज हुआ था। पुत्र उमर अंसारी के विरुद्ध धोखाधड़ी समेत अन्य धाराओं छह मुकदमे दर्ज हैं।
फरार पत्नी अफशां अंसारी पर टिकी पुलिस की निगाहें
मुख्तार की मौत के बाद लंबे समय से फरार उसकी पत्नी अफशां अंसारी पर पुलिस की निगाहें टिकी है। पुलिस अतिम दर्शन के लिए इनामी अफसां अंसारी के लिए टीम लगा दी है। पुलिस ने माफिया की पत्नी पर एक दर्जन मुकदमा कायम कर तलाश में जुटी है। उस पर 75 हजार का इनाम भी रखा गया है। गैंगस्टर एक्ट के तहत भी कार्रवाई की जा चुकी है। पुलिस के मुताबिक आफसां पर गाजीपुर, मऊ से लेकर लखनऊ तक फर्जी तरीके से भूमि पर कब्जा करने और रसूख के दम पर सरकारी जमीन पर कब्जा कर आर्थिक लाभ लेने के मामले दर्ज है।
जेल में लगाता था दरबार
मुख्तार ने पूर्वांचल में अपने अपराध का साम्राज्य फैला रखा था। करीब 36 सालों से वह अपराध की दुनिया में सक्रिय था। किसी जमाने में यूपी की सियासत में भी मुख्तार का सिक्का चलता था। जेल में वह दरबार लगाता था। 36 साल के आपराधिक इतिहास में मुख्तार का नाम कई चर्चित मामलों में आया। उस पर विश्व हिंदू परिषद के कोषाध्यक्ष और कोयला कारोबारी नंद किशोर रूंगटा को किडनैप करवाने का आरोप लगा था। जेल की बात करें तो जिले के आला अधिकारी भी जेल जाकर बैडमिंटन खेलते थे। वहीं जेल में तालाब खुदवाया था। जिस पर कोई रोक नहीं था।
चुनाव जीतता रहा लेकिन जेल में ही बीता कार्यकाल
जेल में होने के बावजूद मुख्तार मऊ से यूपी विधानसभा का चुनाव जीतता रहा। वह साल-2002 से 2017 तक विधायक रहा। लेकिन अपने पूरे कार्यकाल के दौरान वह जेल में ही रहा।
अवधेश राय हत्याकांड में हुई थी उम्रकैद
32 साल पुराने अवधेश राय हत्याकांड में जून 2023 में उम्रकैद और एक लाख बीस हजार जुर्माने की सजा सुनाई गई थी। यह पांचवां मामला था जिसमें मुख्तार को सजा मिली थी। मुख्तार पर 65 मुकदमे हैं। करीब पांच दर्जन संगीन मुकदमे दर्ज होने के बावजूद मुख्तार को दो साल पहले तक सजा किसी मामले में नहीं हो सकी थी।
कभी गवाहों को धमकाकर, कभी उन्हें खरीदकर, कभी फाइलें गायब कराकर तो कभी पेशी से गैरहाजिर रहकर मुख्तार ने अपने खिलाफ अदालत में चल रहे किसी मामले को मुकाम तक नहीं पहुंचने दिया था। लेकिन 2017 में उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ की सरकार बनने के बाद मुख्तार के मुश्किल दिन शुरू हुए। सरकार की कोशिशों से मुख्तार को पंजाब की रोपड़ जेल से बांदा जेल लाया गया।
मुख्तार अंसारी के खिलाफ चर्चित मामले –
- भाजपा विधायक कृष्णानंद राय की हत्या
- मन्ना हत्याकांड के गवाह रामचंद्र मौर्य की हत्या
- फर्जी शस्त्र लाइसेंस हासिल करने पर केस
- कांग्रेस नेता अजय राय के भाई की हत्या
- मऊ जिले के ए श्रेणी ठेकेदार मन्ना सिंह की हत्या
- रामचंद्र मौर्य के बॉडी गार्ड सिपाही सतीश की हत्या
- इलाहाबाद की स्पेशल एमएलए कोर्ट गैंगस्टर के चार केस
- आजमगढ़ के ऐराकला गांव में मजदूर की हत्या
- 1996 को एएसपी शंकर जायसवाल पर जानलेवा हमला
- 1997 में पूर्वांचल के कोयला कारोबारी रुंगटा अपहरण
माफिया मुख्तार के खिलाफ पुलिस प्रशासन ने ताबड़तोड़ कई कार्रवाई की थी। 11 नवंबर 20 को मुख्तार की पत्नी और सालों की 22 करोड़ की संपत्ति को कुर्क किया। 13 नवंबर को दलितों की जमीन पर बने मुख्तार के गोदाम पर बुलडोजर चलाया गया। नौ जून 2021 को बेटे अब्बास और उमर के नाम पर रजिस्टर्ड जमीन को जब्त किया गया।
तीन अगस्त को मुख्तार के साले आतिफ का आलीशान बंगला सील किया गया। इसी साल 26 अक्टूबर को मुख्तार का काम्प्लेक्स सील कर दिया गया। पुलिस प्रशासन ने नवंबर में लखनऊ के हुसैनगंज में मुख्तार की तीन करोड़ की संपत्ति को कुर्क किया। 22 दिसंबर को मुख्तार की 17 दुकानें सील की। 23 फरवरी 2022 को विधानसभा चुनाव के दौरान मुख्तार के गजल होटल पर बुलडोजर चला।
मुख्तार को इन केस में मिली सजा
लखनऊ के आलमबाग थाने में 2003 में दर्ज मुकदमा , हजरतगंज थाने में 1999 में गाजीपुर के कोतवाली थाने में 1996 में मोहम्मदाबाद थाने में 2007 में करंडा थाने में 2010 में वाराणसी के भेलूपुर थाने में 1997 में दर्ज मुकदमे में सजा हुआ है।
योगी सरकार के चिन्हित 68 माफियाओं की लिस्ट में मुख्तार गैंग के सदस्यों के विरुद्ध 161 मुकदमे दर्ज किए गए। उनसे संबंधित 175 लाइसेंसी शस्त्रधारकों के खिलाफ एक्शन लिया गया। गैंग से संबंधित पांच माफियाओं को पुलिस ने मुठभेड़ में मार गिराए। गैंग से संबंधित 164 अभियुक्तों के विरुद्ध गैंगस्टर एक्ट और छह अभियुक्तों के विरुद्ध एनएसए के तहत कार्रवाई की गई। जिसमें 608 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति का ध्वस्तीकरण व जब्तीकरण किया गया। इसके साथ ही कई करोड़ के अवैध व्यवसाय बंद कराए गए।
मुठभेड़ में मारे गए थे गैंग के पांच सदस्य
योगी आदित्यनाथ के सत्ता संभालते ही अपराधियों के प्रति जीरो टॉलरेंस की नीति के फैसले से माफिया डॉन मुख्तार अंसारी के बुरे दिनों की शुरूआत हो गई थी। साल 2017 में वह एक बार जेल गया तो फिर बाहर नहीं आ पाया। बांदा जेल में बंद रहे मुख्तार को पिछले 18 महीने में आठ मुकदमों में दोषी ठहराते हुए सजा सुनाई गई थी। इनमें से दो मुकदमों में तो उसे उम्रकैद की सजा मिली थी।
मुख्तार के विरुद्ध लंबित कुल 65 मुकदमों में से 21 मुकदमों का इस समय विभिन्न न्यायालयों में ट्रायल चल रहा था। अभी 13 मार्च 2024 को 36 साल पुराने फर्जी शस्त्र लाइसेंस के एक मामले में मुख्तार को वाराणसी के एमपी-एमएलए कोर्ट द्वारा उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी। इससे पहले पांच जून 2023 को भी उसे आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी।
मुख़्तार और बृजेश की कट्टर दुश्मनी
मुख्तार अंसारी और बृजेश सिंह के बीच कट्टर दुश्मनी है। वर्चस्व की लड़ाई काफी सालों तक चलती आ रही। वहीं मुख्तार अंसारी का पूरी परिवार राजनीति में सक्रिया है। भाई अफजाल अंसारी मुहम्मदाबाद से लगातार पांच बार विधायक और गाजीपुर से सांसद है और समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार हैं। वहीं मुहम्मदाबाद सीट से ही भतीजे मुन्नू अंसारी विधायक हैं। इसके अलावा पुत्र भी विधायक है।
मुख्तार की हत्या के लिए दी गई थी 6 करोड़ की सुपारी
मुख्तार अंसारी की हत्या के लिए ब्रजेश सिंह ने लंबू शर्मा को 6 करोड़ रुपए की सुपारी दी थी। इसका खुलासा साल 2014 में लंबू शर्मा की गिरफ्तारी के बाद हुआ था। इसके बाद से जेल में अंसारी की सुरक्षा बढ़ा दी गई थी।
कृष्णानंद हत्याकांड में स्वचालित हथियार का हुआ प्रयोग
साल 2005 में मुख्तार अंसारी जेल में बंद था। इसी दौरान बीजेपी विधायक कृष्णानंद राय और उनके 5 साथियों की दिनदहाड़े गोलीमार हत्या कर दी गई। हमलावरों ने एके-47 राइफलों से 500 राउंड गोलियां चलाई थी। पुलिस के मुताबिक मारे गए लोगों के शरीर से 67 गोलियां बरामद की गई थी। इस हमले का एक महत्वपूर्ण गवाह शशिकांत राय 2006 में रहस्यमई परिस्थितियों में मृत पाया गया था। उसने कृष्णानंद राय के काफिले पर हमला करने वालों में से अंसारी और बजरंगी के निशानेबाजों अंगद राय और गोरा राय को पहचान लिया था।
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