
Muncipal Election 2023: उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में निकाय चुनाव (Muncipal Election 2023) के दुसरे चरण के लिए 38 जिलों में गुरुवार को मतदान होना है. ऐसे में सभी राजनीतिक पार्टियों ने कमर कस ली है. 2017 के मुकाबले 2023 के चुनाव में भाजपा (BJP) के राह में कई रोड़े हैं. इसके पीछे का कारण 2024 के लोकसभा चुनाव भी माने जा रहे हैं.
राजनीतिक विशेषज्ञों के अनुसार, 2024 लोकसभा की दशा और दिशा नगर निकाय चुनाव (Muncipal Election 2023) के परिणामों से ही तय होगी. इनके परिणामों को देखते हुए ही राजनीतिक पार्टियां अपनी आगे की तैयारी को गति देंगी.
2017 के नगर निकाय चुनाव (Muncipal Election 2023) में अलीगढ़ और मेरठ के नगर निगम सीट पर बसपा (Samajwadi Party) का परचम लहराया था. अयोध्या और बरेली में बीजेपी की जीत तो हुई थी, लेकिन इसमें बहुत ज्यादा अंतर नहीं था. हालांकि गाज़ियाबाद और कानपुर में भाजपा (BJP) प्रचंड रूप से जीती थी.

इस बार का चुनाव इसलिए भी खास माना जा रहा है, क्योंकि टिकट के बंटवारे के बाद से ही भाजपा (BJP) में बागियों की संख्या बढ़ी है. कई बीजेपी पत्याशी टिकट न मिलने से निर्दल चुनाव लड़ रहे हैं. भाजपा (BJP) के शीर्ष नेताओं को इस बार अपनों का ही विरोध झेलना पड़ा है. कई जगहों पर जातीय समीकरणों के लिहाज से विपक्षी दलों के प्रत्याशी बीजेपी प्रत्याशी को कड़ी टक्कर देते हुए दिखाई पड़ रहे हैं.
Muncipal Election में अयोध्या में लहराएगा BJP का परचम?
अयोध्या भाजपा (BJP) के लिए एक बड़ी चुनौती बनती दिखाई पड़ रही है. यहां पर भाजपा (BJP) ने निवर्तमान महापौर ऋषिकेश उपाध्याय का टिकट काटकर भगवान राम के गुरु वशिष्ठ पीठ के महंत गिरीशपति त्रिपाठी को मेयर का टिकट दिया है. सीएम योगी ने अयोध्या के विकास को धार देने के लिए साफ़-सुथरी छवि के चेहरे को चुना है.

वर्ष 2017 के आंकड़ों के अनुसार, अयोध्या में बीजेपी से ऋषिकेश उपाध्याय ने 3,601 मतों से सपा (Samajwadi Party) प्रत्याशी किन्नर गुलशन बिन्दू को शिकस्त दी थी. इस बार समाजवादी पार्टी ने आशीष पाण्डेय को अपना प्रत्याशी बनाया है. यहां भी प्रत्याशी चयन को लेकर स्थानीय नेताओं में नाराजगी रही. केंद्र व राज्य की बीजेपी सरकार और संगठन ने राम मंदिर निर्माण के चलते अयोध्या में अयोध्या में महापौर की जीत को प्रतिष्ठा का प्रश्न बनाया है.
कानपुर
वर्ष 2017 के चुनाव में बीजेपी की प्रमिला पाण्डेय ने कांग्रेस (Congress) की वंदना मिश्रा को 1,05,134 मतों से हराया था. इस वर्ष भाजपा (BJP) आरएसएस में आंतरिक राजनीतिक उथल-पुथल के बावजूद बीजेपी ने प्रमिला पाण्डेय को प्रत्याशी बनाया है. वोट बैंक साधने के लिए सपा (Samajwadi Party) भी पूरी तरह से मैदान में उतर चुकी है.

सपा (Samajwadi Party) ने ब्राहम्ण वोट में सेंध लगाने के लिए MLA अमिताभ वाजपेयी की पत्नी वंदना वाजपेयी को मैदान में उतारा है. वहीं बीजेपी सांसद सत्यदेव पचौरी अपनी बेटी नीतू सिंह को टिकट न मिल पाने के वजह से पार्टी से काफी नाराज चल रहे हैं. यहां भाजपा (BJP) और सपा (Samajwadi Party) में सीधा मुकाबला है.
अलीगढ़
अलीगढ़ में 2017 के चुनावों में बसपा (Samajwadi Party) के मोहम्मद फुरकान ने बीजेपी के 10,045 वोटों से हराया था. इसे देखते हुए बीजेपी ने प्रशांत सिंघल को प्रत्याशी बनाया है. वहीं इस बार बसपा (Samajwadi Party) ने सलमान शाहिद, सपा (Samajwadi Party) से ज़मीर उल्लाह खां और कांग्रेस (Congress) से सीपी गौतम को मैदान में उतारा है. राजनीतिक विशेषज्ञों के अनुसार, मुस्लिम वोट बैंक का यदि सपा (Samajwadi Party) और बसपा (Samajwadi Party) में बंटवारा नहीं हुआ, तो भाजपा (BJP) को कड़ी टक्कर मिलेगी.
गाज़ियाबाद
भाजपा (BJP) के गढ़ गाजियाबाद में 2017 के निकाय चुनाव (Muncipal Election 2023) में बीजेपी की आशा शर्मा ने कांग्रेस (Congress) की डॉली शर्मा को 1.63 लाख वोटों से शिकस्त दी थी. इस बार बीजेपी ने प्रति की प्रदेश उपाध्यक्ष सुनीता दयाल को प्रत्याशी बनाया है. यहां बीजेपी के दावों को देखते हुए सपा (Samajwadi Party) ने पहले नीलम गर्ग को टिकट दिया, लेकिन बाद में बसपा (Samajwadi Party) से सपा (Samajwadi Party) में शामिल हुए सिंकदर यादव की पत्नी पूनम यादव को टिकट दिया.
शाहजहाँपुर
शाहजहांपुर में नगर निगम के महापौर पद के लिए पहली बार चुनाव हो रहा है. बीजेपी ने नामांकन के अंतिम दिन से एक दिन पहले सपा (Samajwadi Party) की महापौर प्रत्याशी अर्चना वर्मा को प्रत्याशी बनाया. अर्चना वर्मा सपा (Samajwadi Party) से नाराज होकर बीजेपी में शामिल हो गईं थी.
वहीँ उन्हें टक्कर देने के लिए सपा (Samajwadi Party) ने माला राठौर, बसपा (Samajwadi Party) ने शगुफ्ता अंजुम और कांग्रेस (Congress) ने निकहत इक़बाल को चुनावी मैदान में उतारा है. जातीय समीकरण की बात की जाय, तो शाहजहांपुर नगर पालिका में सपा (Samajwadi Party) का कब्ज़ा रहा है, लिहाजा, महापौर चुनाव में भी बीजेपी के लिए कांटे की टक्कर है.
Muncipal Election के पहले चरण से कितना सीखेगी BJP ?
भाजपा (BJP) ने प्रबंधन स्तर पर पहले चरण की गलती को दूसरे चरण में न होने देने के लिए कमर कस ली है. पन्ना प्रमुखों को सक्रिय करने के साथ ही बूथ समितियों की तैनाती पर ध्यान दिया जा रहा है. वहीं बीजेपी ने मतदाता पर्ची भी घर-घर भेजने की तैयारी की है.