
एक कहावत तो आपने सुनी ही होगी, ‘चोर-चोर मौसेरे भाई…’ अरे नहीं, नहीं, जो आप सोच रहे हैं, ऐसा बिल्कुल नहीं है। इस कहावत का विपक्ष के नए गठबंधन (I.N.D.I.A.) से कोई लेना- देना नहीं है। वह अलग बात है कि आज हम इसी गठबंधन के बारे में बात करने वाले हैं। जहां सब अपने-आप को सर्वश्रेष्ठ साबित करने में लगे हुए हैं।
Opposition Alliance: महाराष्ट्र की राजधानी मुंबई में विपक्ष की नई बैठक होने वाली है। इससे पहले पटना और बेंगलुरु में दो बैठकें हो चुकी हैं। जिसमें दो दर्जन से अधिक पार्टियों ने हिस्सा लिया। अब इस नए बैठक में संयोजक तय किये जाने की उम्मीद है। कयास लगाए जा रहे हैं कि इसी बैठक में प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार भी तय किया जाएगा।
अब चूंकि सामने नरेन्द्र मोदी हैं, तो पीएम पद का उम्मीदवार भी उनके बराबरी का होना चाहिए। इस पद के लिए विपक्ष को ऐसा चेहरा लाना होगा, जो लोकप्रिय हो। लेकिन यहां तो पहले से ही बंदरबांट की स्थिति है। फ़िलहाल ऐसा कोई उम्मीदवार विपक्ष में दिखाई तो नहीं दे रहा। आगे यह देखना मजेदार होगा कि विपक्ष (Opposition Alliance) किसी नए चेहरे को सामने करता है या फिर इन्हीं पुराने चेहरों में से किसी को चुना जाता है। इसी बीच बिहार के उपमुख्यमंत्री सजायाफ्ता लालू यादव के बेटे तेजस्वी यादव ने पीएम पद के उम्मीदवार को लेकर कहा है कि पीएम पद का उम्मीदवार नरेंद्र मोदी से भी ज्यादा ईमानदार होगा।
अब सवाल यह उठता है कि ईमानदारी का दायरा क्या होता है। या फिर इनके पिता ने पशुओं के चारे को जिस तरह से एक वृहद् आयाम तक पहुंचाया। क्या यही ईमानदारी की पराकाष्ठा होती है? यह अलग बात है कि संघी और भाजपाइयों ने लालू यादव को जेल भिजवा दिया। मैं इन भाजपाइयों से पूछता हूं कि इन्हें जरा सी भी दया नहीं आई कि बिहार के तारणहार ईमानदार छवि वाले लालू यादव को चारा घोटाले में जेल भिजवाया। अरे इन भाजपा वालों में जरा सी भी दया नहीं बची है। तभी तो लालू यादव ने कहा कि नरेंद्र मोदी का गर्दन ऐंठने जा रहे हैं।
बेंगलुरू में विपक्ष की बैठक (Opposition Alliance) के बाद आयोजित प्रेस कांफ्रेंस में लालू यादव और नीतीश कुमार मौजूद नहीं थे। चर्चा थी कि नीतीश कुमार संयोजक बनाए जाने से नाराज थे। सूत्रों के मुताबिक, वे बारात में आए फूफा की तरह मुंह फुलाए निकल लिए थे। वे संयोजक (Opposition Alliance) न बनाए जाने से नाराज थे। उधर, लालू यादव भी उम्मीद लगाए बैठे हैं कि नीतीश कुमार संयोजक बनें, तो वे सीएम का पद छोड़ें, उसके बाद वे अपने बेटे तेजस्वी यादव को सीएम की कुर्सी पर बैठा देख सकें। लालू यादव बस इसी जुगाड़ में लगे हैं कि कैसे अपने बेटे को सीएम की कुर्सी पर बैठाएं, कहां से नीतीश कुमार से खेला करें।
गौरतलब है कि इस गठबंधन (Opposition Alliance) की नींव नीतीश कुमार ने ही रखी थी। इसके लिए वे दिल्ली, कोलकाता, लखनऊ से लेकर भुवनेश्वर और चेन्नई तक गए थे। क्या ऐसा भी संभव है कि आज के समय में ऐसा कोई नेता हो, जो बिन अपना भला सोचे इतना दौड़ेगा? वह भी एक पिछड़े राज्य का नेता, जहां न ही उद्योग है, न रोजगार है। जहां न शिक्षा है, न ही स्वास्थ्य संबंधी जनता की मूलभूत जरूरतें। लेकिन हां, अपराध ज़रूर है।
यहां दिनदहाड़े घर में घुसकर पत्रकार को गोली मार दी जाती है। थानों में घुसकर थानेदार पर फायरिंग कर दी जाती है। पिछले कई वर्षों से इस राज्य की नैया केवल और केवल गठबंधन की सरकार ने डुबोई है। अब यही गठबंधन पूरे देश में होने जा रहा है।
Opposition Alliance: चंद्रयान-3 पर ममता बनर्जी का अलौकिक ज्ञान
संयोजक अथवा पीएम पद के उम्मीदवार की लिस्ट (Opposition Alliance) में ममता बनर्जी का भी नाम है। जो चंद्रयान-3 के लांच होने के बाद से अपना मानसिक संतुलन खो बैठी हैं। सबसे पहले ममता बनर्जी ने अंतरिक्ष में जाने वाले पहले भारतीय राकेश शर्मा को ‘राकेश रोशन’ बता दिया, जिसके बाद मीम्स की बौछार हो गई। राकेश रोशन फिल्म निर्देशक हैं और एलियंस को लेकर ‘कोई मिल गया’ (2003) बना चुके हैं। इसमें उनके बेटे हृतिक मुख्य अभिनेता थे। लोग कहने लगे कि ममता बनर्जी ने ‘चंद्रयान 3’ के लाइव टेलीकास्ट की जगह यही फिल्म देख ली होगी।
इसके बाद उन्होंने एक बयान (Opposition Alliance) में कहा कि ‘जब इंदिरा गाँधी चाँद पर गई थीं…’, जिसके बाद वो फिर से मजाक बनीं। इंदिरा गाँधी कब चाँद पर गई थीं ये तो नहीं पता, इतना ज़रूर पता चल गया है कि ममता बनर्जी खुद को विपक्ष का सबसे बड़ा नेता दिखाने के लिए हर मुद्दे पर कुछ न कुछ अजीबोगरीब बयान देकर खुद को मीडिया में बनाए रखना चाहती हैं। अब उन्होंने कह दिया है कि महाभारत काजी नज़रुल इस्लाम ने लिखा था। अब तक तो हम यही जानते आए थे कि महाभारत की रचना वेद व्यास ने की थी।
पश्चिम बंगाल में भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष शुभेंदु अधिकारी ने कहा कि ममता बनर्जी जानबूझकर हिन्दू धर्म से जुड़े तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर पेश कर रही हैं। वैसे हिन्दू धर्म के खिलाफ बोलना भाजपा विरोधी दलों का दुलारा बनने की एक योग्यता तो है ही, लेकिन इससे ये गारंटी नहीं मिलती कि आपको संयोजक बनाया ही जाएगा विपक्षी गठबंधन (Opposition Alliance) का। मुंबई पहुँचते ही ममता बनर्जी ने रक्षाबंधन पर अमिताभ बच्चन के घर जाकर राखी बाँधी। जया बच्चन पश्चिम बंगाल में TMC के लिए चुनाव प्रचार भी कर चुकी हैं। इन सबसे साफ़ है कि ममता बनर्जी लगातार मीडिया की सुर्खियाँ बनी रहना चाहती हैं।
इस लिस्ट (Opposition Alliance) में कांग्रेस के युवराज भी हैं। अब तक के उनके राजनीतिक कैरियर में कथित तौर पर भारत जोड़ो यात्रा को छोड़ दें, तो उनकी एक उपलब्धि नहीं है। वह यात्रा भी कितनी सफल हुई। यह किसी से छिपा नहीं है। हालांकि युवराज के साथ एक अच्छी बात यह है कि उन्होंने अपने आप को कभी प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार नहीं बताया। लेकिन कांग्रेस नेता और कार्यकर्ता उन्हें अपने भावी प्रधानमंत्री के रूप में देख रहे हैं, इसमें कोई शक नहीं है।

AAP के मुखिया अरविन्द केजरीवाल को ही ले लीजिए। AAP की मुख्य राष्ट्रीय प्रवक्ता प्रियंका कक्कड़ ने कारण गिना दिए कि क्यों केजरीवाल को पीएम उम्मीदवार (Opposition Alliance) होना चाहिए। इसके बाद संजय सिंह और आतिशी मर्लेना जैसों ने बयान दिया कि उनकी ऐसी कोई माँग नहीं है। ये भी दबाव बनाने और अपनी बात कहने का एक तरीका है। कभी बनारस से सांसद का चुनाव लड़ कर नरेंद्र मोदी से बुरी तरह हारने वाले अरविंद केजरीवाल की प्रधानमंत्री वाली हसरत छिपी हुई नहीं है।
असल में इन नेताओं को लगता है कि मीडिया पीएम मोदी को ज्यादा दिखाती है, इसीलिए वो पीएम हैं। जबकि सच्चाई ये है कि मोदी लोकप्रिय पीएम हैं, इसीलिए मीडिया को उन्हें दिखाना पड़ता है। वरना पीएम मोदी तो देश को संबोधित करते हैं तो पूरा देश उन्हें सुनता है। मीडिया को चलाना ही पड़ता है। ये सारे नेता राष्ट्रीय स्तर पर खुद को प्रासंगिक बनाए रखने के लिए लड़ाई लड़ रहे हैं, क्योंकि इनका अपने राज्य से बाहर कोई वजूद नहीं। इन्हें कोई और रास्ता नहीं दिखता खुद को चर्चा में बनाए रखने का।
हाल ही में सुभासपा ने सपा का दामन छोड़ भाजपा का साथ पकड़ लिया। अभी जिस महाराष्ट्र में I.N.D.I.A की बैठक (Opposition Alliance) होनी है, वहां भी NCP दो गुटों में बंट चुकी है। भी शरद पवार को मोदी विरोधी राजनीति के प्रमुख चेहरे के रूप में देखने वाले लोग आज उनकी सियासी अस्पष्टता के कारण उन्हें कोस रहे हैं। शरद पवार के भतीजे अजित ने कई विधायकों-सांसदों के साथ बगावत कर दी। कभी शरद भाजपा के साथ कभी न जाने की कसम खाते हैं तो कभी अजित पवार को पार्टी का नेता बताते हैं।
नए गठबंधन (Opposition Alliance) में इस बगावत के बाद उनकी भूमिका कम हो गई है। पश्चिम बंगाल के धुपगुड़ी में उपचुनाव हो रहा है। वहाँ कॉन्ग्रेस पार्टी ने CPM के साथ गठबंधन किया है। वहीं TMC ने भी अपना उम्मीदवार उतारा है। यहाँ कहाँ गया गठबंधन? अरविंद केजरीवाल ने हाल ही में मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ का दौरा कर के अपनी ‘गारंटियों’ के बारे में प्रचार किया। दोनों ही राज्यों में भाजपा-कॉन्ग्रेस में मुख्य लड़ाई होती है। राजस्थान में भी उनकी पार्टी ने उम्मीदवार उतारने की घोषणा कर दी है।

ये कैसा गठबंधन (Opposition Alliance) है? जिसके नेता महँगे होटलों में बैठक करते समय खुद को एक दिखाते हैं और जमीन पर आपस में लड़ते हैं? इसी तरह केरल में आ जाइए। वहाँ पुथुप्पली में उपचुनाव हो रहा है। यहाँ CPM और कॉन्ग्रेस आपस में लड़ रही है। इस साल 5 राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं, लोकसभा चुनाव से पहले ही इस नए गठबंधन (Opposition Alliance) की परीक्षा होनी है। फ़िलहाल तो इंतजार इस बैठक के निष्कर्षों का है। संयोजक कौन होता है, कोऑर्डिनेशन कमिटी में किसे-किसे जगह मिलती है।
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1 thought on “Opposition Alliance: I.N.D.I.A बैठक में संयोजक के नाम की घोषणा से पहले ही विपक्षी गठबंधन में कई फाड़, नितीश बने ‘फूफा’, लालू का अलग जुगाड़, मुंबई में एकता, केरल-बंगाल में झगड़ा”