सिद्धार्थनगर में 17 वर्षीय नाबालिग के साथ 7 महीने तक 10 लड़कों द्वारा क्रूरता।
· मुख्य आरोपी ने टॉफी में नशीला पदार्थ देकर पहला अपराध किया और वीडियो बनाया।
· वीडियो को हथियार बनाकर ब्लैकमेलिंग और गैंगरेप का घिनौना सिलसिला शुरू हुआ।
· आरोपियों ने वॉट्सऐप ग्रुप बनाकर तय किया कि लड़की को कब और कहाँ बुलाना है।
· पीड़िता का आरोप: पुलिस ने शुरू में मामला दबाया और 20 लाख लेकर समझौते का दबाव बनाया।
· मामला तूल पकड़ने के बाद एसपी के हस्तक्षेप से 9 आरोपी गिरफ्तार, एक की तलाश जारी।
सिद्धार्थनगर। उत्तर प्रदेश के सिद्धार्थनगर जिले से मानवता को शर्मसार करने वाली एक ऐसी वहशी घटना सामने आई है, जिसने पूरे इलाके को झकझोर कर रख दिया है। यहाँ 10 लड़कों के एक ग्रुप ने एक 17 वर्षीय नाबालिग लड़की को 7 महीने तक अपनी हवस का शिकार बनाया। इन दरिंदों ने एक वीडियो को हथियार बनाकर लड़की को ब्लैकमेल किया और उसे बार-बार गैंगरेप के लिए मजबूर किया।
यह भयानक मामला तब और गंभीर हो गया जब पीड़िता ने स्थानीय पुलिस पर ही उसे धमकाने और आरोपियों से 20 लाख रुपये लेकर 'समझौता' करने का दबाव बनाने का आरोप लगाया।
एक टॉफी से शुरू हुआ 7 महीने का नर्क
यह खौफनाक दास्तां सिद्धार्थनगर मुख्यालय से लगभग 40 किलोमीटर दूर कपिलवस्तु थाना क्षेत्र के एक गाँव की है। पीड़िता, एक 17 वर्षीय लड़की, अपनी माँ, 19 वर्षीय बड़ी बहन और एक छोटे भाई के साथ रहती है। उसके पिता परिवार के भरण-पोषण के लिए मुंबई में काम करते हैं। 7वीं कक्षा के बाद पढ़ाई छोड़ चुकी पीड़िता घर के कामों में हाथ बंटाती थी।
इस बर्बरता की शुरुआत इसी साल फरवरी में हुई। पीड़िता घर का सामान लेने के लिए पास के चौराहे पर गई थी। वहीं गाँव के जुनैद नाम के एक लड़के की नजर उस पर पड़ी। पीड़िता जब साइकिल से लौट रही थी, तो जुनैद ने बाइक अड़ाकर उसका रास्ता रोक लिया और कहा कि वह उसे पसंद करता है। उसने लड़की से फोन नंबर मांगा, लेकिन लड़की ने इनकार कर दिया और घर चली गई।
कुछ दिनों बाद, जुनैद ने कहीं से पीड़िता का नंबर हासिल कर लिया। उसने फोन किया और 2-3 मिनट की बातचीत से शुरू हुआ यह सिलसिला धीरे-धीरे बढ़ने लगा। एक दिन जुनैद ने लड़की पर मिलने के लिए दबाव बनाया। कई बार मना करने के बाद, लड़की आखिरकार उससे मिलने को तैयार हो गई।
पीड़िता ने अपनी आपबीती में बताया, "जब मैं जुनैद से मिली, तो उसने मुझे एक टॉफी दी। उसे खाने के बाद मुझे कुछ समझ नहीं आया, मैं जैसे बेसुध हो गई थी। जुनैद ने मेरे साथ गलत काम किया और मेरे बिना कपड़ों के फोटो और वीडियो अपने फोन में बना लिए।"
दोस्त के हाथ लगा वीडियो और शुरू हुआ ब्लैकमेलिंग का खेल
जुनैद, जो मुंबई में काम करता था, कुछ समय बाद वापस चला गया। लेकिन जाने से पहले, उसने वह घिनौना वीडियो और लड़की का मोबाइल नंबर अपने दोस्त रैयान को दे दिया।
इसके बाद रैयान ने लड़की को फोन किया। जब लड़की ने दोस्ती से इनकार किया, तो रैयान ने उसे वही आपत्तिजनक वीडियो भेज दिए। पीड़िता ने बताया, "वीडियो देखते ही मेरा दिमाग खराब हो गया। उसने धमकी दी कि अगर मैं उससे मिलने नहीं आऊँगी, तो वह इसे वायरल कर देगा।"
इज़्ज़त खोने के डर से पीड़िता रैयान से मिलने गाँव के ही एक बाग में पहुँची। रैयान ने वहाँ उसके साथ बलात्कार किया। यह सिर्फ शुरुआत थी। रैयान की हिम्मत बढ़ गई और वह जब चाहता, लड़की को फोन करके वीडियो वायरल करने की धमकी देता और उसे बाग में बुलाकर अपनी हवस मिटाता।
एक से बने 10 दरिंदे, बाग से कमरे तक होने लगी दरिंदगी
पीड़िता की आपबीती का सबसे भयानक हिस्सा इसके बाद शुरू होता है। लगभग 4 महीने पहले, रैयान ने जब उसे बाग में बुलाया, तो वह अकेला नहीं था। उसके साथ दो और लड़के थे। पहले रैयान ने पीड़िता के साथ दुष्कर्म किया, और फिर उसके दोनों दोस्तों ने बारी-बारी से लड़की को अपनी हवस का शिकार बनाया।
यह एक घिनौना रूटीन बन गया। हर हफ्ते उसे बुलाया जाता, और हर बार रैयान के साथ 2 या 3 नए लोग होते। इन लड़कों ने अपनी वहशी हरकतों के लिए चौराहे पर ही एक कमरे का इंतजाम कर लिया। अब वे लड़की पर बाग की जगह उसी कमरे में आने का दबाव बनाने लगे।
पीड़िता के अनुसार, इन दरिंदों में जुनैद, रैयान, हलीम, मुमताज, शादाब, हफीक, वैद्य और सिराजुद्दीन शामिल थे।
वॉट्सऐप ग्रुप पर तय होता था 'अगला नंबर'
इन अपराधियों के हौसले इतने बुलंद हो गए कि उन्होंने एक वॉट्सऐप ग्रुप बना लिया। इस ग्रुप में वे तय करते थे कि अब लड़की को कब और कहाँ बुलाना है। उनकी संख्या 10 तक पहुँच गई थी और उन्हें किसी कानून या अंजाम का कोई खौफ नहीं था।
इन लड़कों ने अपने इस वहशीपन की कहानियां आसपास के लोगों को भी बतानी शुरू कर दी थीं। इसका नतीजा यह हुआ कि लड़की का जीना मुहाल हो गया। वह जहाँ भी जाती, लोग उसे बुरी नजर से देखते और फब्तियां कसते।
बहन को बताई आपबीती, तब सामने आई सच्चाई
मानसिक और शारीरिक प्रताड़ना से पूरी तरह टूट चुकी पीड़िता ने एक दिन हिम्मत करके अपनी बड़ी बहन को पूरी सच्चाई बता दी। बहन यह सब सुनकर सन्न रह गई। बहन ने कुछ स्थानीय लोगों की मदद ली और पीड़िता को लेकर कपिलवस्तु थाने पहुँची।
जैसे ही पीड़िता ने एक-एक कर आरोपियों के नाम लिए, पुलिस भी चौंक गई। पीड़िता यादव समुदाय से है और सभी आरोपी मुस्लिम समुदाय से हैं।
पुलिस पर गंभीर आरोप: "फोटो में हंस रही हो, मतलब मर्जी थी"
पीड़िता ने पुलिस पर इस मामले को शुरू में हल्के में लेने का आरोप लगाया। उसका आरोप है कि पुलिस ने शुरुआत में उसे ही गुनहगार ठहराने की कोशिश की।
पीड़िता ने एक और गंभीर आरोप लगाते हुए कहा, "पुलिस 3 नवंबर की रात 12 बजे हमारे घर आई थी। उन्होंने मुझसे कहा कि तुम फोटो में हंस रही हो, इसका मतलब तुम्हारी मर्जी थी। वे लोग हम पर समझौते का दबाव बनाने लगे। कहने लगे कि 20 लाख रुपए दिलवा देंगे। लेकिन हमें ये पैसे नहीं, न्याय चाहिए।"
राजनीतिक हस्तक्षेप के बाद हरकत में आई पुलिस
जैसे ही यह मामला हिंदू-मुस्लिम एंगल के चलते तूल पकड़ने लगा, यह तेजी से फैल गया। सदर विधायक श्याम धनी राही और डुमरियागंज के पूर्व विधायक राघवेंद्र प्रताप सिंह भी थाने पहुँच गए और पुलिस को आरोपियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई करने का अल्टीमेटम दिया।
मामला स्थानीय थाने से निकलकर जब सिद्धार्थनगर के एसपी डॉ. अभिषेक महाजन तक पहुँचा, तब पुलिस की कार्रवाई में तेजी आई। पुलिस ने छापेमारी कर एक-एक करके 9 आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया, जिसमें मुख्य आरोपी जुनैद भी शामिल है।
एसपी डॉ. अभिषेक महाजन ने बताया कि 9 आरोपी गिरफ्तार हो चुके हैं। एक और आरोपी है, जिसका नाम पीड़िता नहीं जानती, लेकिन उसने कहा है कि सामने आने पर वह उसे पहचान लेगी। एसपी ने यह भी कहा कि नाबालिग बच्ची को इस ट्रॉमा से उबारने के लिए उसे मनोवैज्ञानिक परामर्श और विशेषज्ञ सहायता भी दी जा रही है।
जुनैद की गिरफ्तारी के बाद जब पीड़िता से पूछा गया कि वह अब क्या चाहती है, तो उसने दृढ़ता से कहा, "हमें न्याय चाहिए। मैं किसी भी तरह के समझौते के पक्ष में नहीं हूँ। जिन लोगों ने मेरी जिंदगी खराब की है, उन दरिंदों को फांसी की सजा होनी चाहिए।"