जौनपुर में कोडीनयुक्त कफ सिरप की अवैध तस्करी से जुड़ी जांच ने बड़ा मोड़ ले लिया, जब एसआईटी ने रैकेट के मुख्य सरगना शुभम जायसवाल और उससे जुड़े तीन अन्य दवा कारोबारियों के पांच बैंक खातों को फ्रीज कर दिया। ये खाते यूनियन बैंक ऑफ इंडिया और एचडीएफसी बैंक में संचालित हो रहे थे। प्रारंभिक जांच में करोड़ों रुपये के संदेहास्पद लेन-देन का खुलासा होने पर फर्मों की वित्तीय गतिविधियों को तत्काल प्रभाव से रोक दिया गया है।
एसआईटी को इस कार्रवाई में सेंट्रल जीएसटी और इनकम टैक्स विभाग का तकनीकी सहयोग मिल रहा है। अधिकारियों के अनुसार, फ्रीज किए गए खातों का पूरा ऑडिट किया जा रहा है ताकि यह स्पष्ट हो सके कि अवैध कारोबार को किस तरह वित्तीय मदद मिल रही थी और पैसों के प्रवाह को किस तंत्र से छिपाया गया था। टीम अगले एक-दो दिनों में रैकेट से जुड़े अन्य फर्म संचालकों के बैंक खातों को भी सीज़ करने की तैयारी में है।
जांच में खुलासा हुआ है कि रांची के कारोबारी भोला प्रसाद और उसका बेटा शुभम जायसवाल इस नेटवर्क के मूल संचालक हैं। वर्ष 2023 से इन्होंने जौनपुर व आसपास के जिलों के कई दवा व्यापारियों को अपने गिरोह में शामिल कर लिया था। अब तक एसआईटी की जांच में 15 लोगों के नाम स्पष्ट रूप से सामने आ चुके हैं।
सोमवार को की गई कार्रवाई में शुभम जायसवाल की रांची स्थित प्रमुख फर्म शैली ट्रेडर्स का बैंक खाता सीज़ किया गया। इसके अलावा जौनपुर के ओलंदगंज में स्थित निगम मेडिकल एजेंसीज का खाता भी फ्रीज कर दिया गया है। एजेंसी के संचालक देवेश कुमार निगम पर आरोप है कि उसने 2023 से निरंतर तस्करी नेटवर्क को बढ़ावा दिया। उसके माध्यम से 25 हजार से अधिक कफ सिरप की शीशियां सिटीमेडी सेल्स (चुनार-मिर्जापुर) और शिव इंटरप्राइजेज (चंदौली) जैसी फर्मों को भेजी गई थीं।
इसी क्रम में अरुण प्रकाश मौर्य के मिलन हुग सेंटर के दो बैंक खातों को भी निरस्त कर दिया गया। जांच में सामने आया कि वर्ष 2023 से इस सेंटर के माध्यम से 1 लाख 87 हजार 950 शीशियां कफ सिरप की खरीद शैली ट्रेडर्स, रांची से दिखाए जाने का रिकॉर्ड मौजूद है। इसी तरह ओम प्रकाश मौर्य की बलुञ्पाट स्थित मिलन मेडिकल एजेंसी का बैंक खाता भी फ्रीज कर दिया गया है, जहां से 18,795 शीशियां कफ सिरप अवैध तरीके से खपाई गई थीं।
जांच की निगरानी कर रहे ट्रेनी आईपीएस गोल्डी गुप्ता ने बताया कि इन खातों में भारी-भरकम लेन-देन के नए पैटर्न मिले हैं, जिनका संबंध 2,000 करोड़ रुपये के व्यापक नेटवर्क से होने की आशंका है। सभी संदेहास्पद ट्रांजैक्शनों की गहन जांच जारी है, और टीम जल्द ही नेटवर्क में शामिल अन्य फर्मों व व्यक्तियों पर भी कठोर कार्रवाई करेगी।