वाराणसी। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के सरसंघचालक मोहन भागवत ने शनिवार को वाराणसी में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान हिंदू समाज की एकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि संघ का उद्देश्य केवल संगठन निर्माण नहीं, बल्कि हिंदू समाज के हर वर्ग को जोड़कर उन्हें एकसमान अधिकार दिलाना है। उन्होंने कहा “श्मशान, मंदिर और पानी – ये तीनों चीजें हर हिंदू के लिए समान रूप से सुलभ होनी चाहिए।”
भागवत शनिवार सुबह काशी विश्वनाथ मंदिर पहुंचे और विधि-विधान से भगवान शिव की पूजा-अर्चना की। करीब 15 मिनट तक मंत्रोच्चार के बीच उन्होंने बाबा का अभिषेक और दर्शन किया। इसके अलावा उन्होंने कालभैरव के दरबार में भी हाजिरी लगाई। पूजा के बाद वे सीधे IIT-BHU परिसर स्थित जिमखाना मैदान पहुंचे, जहां उन्होंने छात्रों से संवाद किया और संघ की कार्यशैली व विचारधारा पर चर्चा की।
छात्रों से पूछा – बताओ संघ क्या है?
संघ प्रमुख ने छात्रों से सीधा सवाल पूछा – "बताइए संघ क्या है?" इस पर छात्रों ने जवाब दिया – “संघ का मतलब है हिंदुत्व को बढ़ावा देना, सनातन धर्म की रक्षा करना और समाज की हर जरूरतमंद व्यक्ति की मदद करना। साथ ही युवा शक्ति को सही दिशा देना भी संघ का मकसद है।”
मोहन भागवत ने छात्रों द्वारा दिए गए जवाब की सराहना करते हुए कहा कि यही संघ की मूल सोच है – समाज के हर वर्ग को जोड़ना और भारतीय संस्कृति को मजबूत करना। उन्होंने कहा कि युवा पीढ़ी को इस दिशा में आगे आना होगा ताकि हमारी भाषा, परंपरा, और संस्कारों की रक्षा हो सके।
योग और वैदिक मंत्रों से प्रेरित दिखे छात्र
IIT-BHU के इस कार्यक्रम में 100 से अधिक छात्र शामिल हुए, जिन्होंने योग, पारंपरिक खेल और वैदिक मंत्रों का अभ्यास कर भागवत को प्रभावित किया। छात्र “जय बजरंगी”, “वंदे मातरम्” और “भारत माता की जय” के नारों के साथ संघ प्रमुख का स्वागत करते रहे।
संघ का उद्देश्य – समाज में समरसता और एकता
मोहन भागवत ने अपने संबोधन में यह भी स्पष्ट किया कि संघ किसी एक विचारधारा या वर्ग का संगठन नहीं है, बल्कि इसका उद्देश्य पूरे हिंदू समाज को संगठित कर एक समरस समाज की स्थापना करना है, जहां कोई भेदभाव न हो और सभी को समान अवसर मिलें।