वाराणसी में तेंदुए का आतंक: 48 घंटे में तीन ग्रामीण घायल, गांवों में दहशत का माहौल, रातभर लाठी-डंडे लेकर पहरा देते रहे लोग

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वाराणसी में बीते 48 घंटे में तेंदुए का कहर लगातार जारी रहा, जिससे ग्रामीणों में भय और असुरक्षा की लहर दौड़ गई है। दो अलग-अलग गांवों में इस जंगली जानवर ने हमला कर तीन लोगों को घायल कर दिया। अब तक तेंदुआ वन विभाग की तमाम कोशिशों के बावजूद पकड़ में नहीं आ पाया है। बताया जा रहा है कि तेंदुआ चकमा देकर चंदौली की तरफ निकल गया है, हालांकि यह महज एक अनुमान है।


तेंदुए की गतिविधियों के चलते गौराकला, लखरांव और नवापुरा सहित आसपास के पांच किलोमीटर क्षेत्र में बसे लगभग पांच हजार परिवार दहशत के साए में जी रहे हैं। ग्रामीण अपनी सुरक्षा के लिए खुद ही लाठी-डंडे लेकर पहरेदारी कर रहे हैं, क्योंकि उन्हें वन विभाग की कार्यप्रणाली से निराशा हाथ लगी है।

 


लगातार तीन हमले, तीन घायल


23 मई की सुबह चौबेपुर के नई नवापुरा गांव के निवासी अमित मौर्य जब खेत में फूल तोड़ने गए थे, तभी उन्होंने झाड़ियों में तेंदुआ देखा। उन्होंने तुरंत शोर मचाया और लगभग 25 ग्रामीण लाठी-डंडे लेकर मौके पर पहुंच गए। इसी दौरान जब अमित ने लाठी से तेंदुए को छेड़ा तो वह बिफर गया और सीधे उन पर हमला कर दिया।


तेंदुए के हमले में अमित के हाथ, पीठ और पेट पर गहरी चोटें आईं। आनन-फानन में गांववालों ने उन्हें अस्पताल पहुंचाया और प्रशासन को इसकी सूचना दी। घटना के कुछ ही घंटों बाद तेंदुए को गौराकला के कामाख्या नजर कॉलोनी में देखा गया, जहां दो युवकों—अनिल राजभर और जयदेव राजभर—ने उसे भगाने की कोशिश की। इस पर तेंदुए ने दोनों को घायल कर दिया।

 

 

इन हमलों के बाद वन विभाग ने वाराणसी के अलावा गाजीपुर, चंदौली, भदोही और लखनऊ से टीमें बुलाकर बड़े पैमाने पर सर्च ऑपरेशन शुरू किया। वाराणसी की टीम को दो भागों में बांटा गया—एक ने लखरांव गांव के समीप डेरा जमाया, जबकि दूसरी गंगा किनारे के गांवों में गश्त कर रही है।


हालांकि, वन विभाग की तैयारियों को लेकर ग्रामीणों में भारी असंतोष है। लोगों का आरोप है कि विभाग के पास न तो पिंजड़ा था, न ही जाल या ट्रेंकुलाइज़र गन, जो तेंदुए को बेहोश करने में सहायक होती। गांव के ठाकुर नामक व्यक्ति ने बताया कि तेंदुए को पहली बार सुबह देखा गया था, लेकिन विभाग की टीम मौके पर आने में एक घंटा लगा और जरूरी संसाधनों को जुटाने में तीन घंटे से ज्यादा समय लग गया।

 


ग्रामीणों की रातें अब खौफनाक


गौराकला गांव के निवासी सुरेश राजभर ने बताया कि 23 मई की रात उनका पूरा परिवार खौफ में था और कोई भी चैन से सो नहीं पाया। बच्चों और महिलाओं में सबसे अधिक डर देखा गया। गांव के ही एक अन्य निवासी सर्वेश कुमार गुप्ता ने बताया कि विभागीय टीमें लोगों से सिर्फ इतना कह रही हैं कि तेंदुआ क्षेत्र छोड़कर चला गया है, जबकि हकीकत यह है कि अब भी कोई आश्वस्त नहीं है।


विशाल नामक युवक ने बताया कि रात में पेड़ों के बीच हलचल की आवाजें आती रहीं, जिससे ग्रामीण पूरी रात लाठी-डंडों के साथ पहरेदारी करते रहे।

 


वन विभाग का दावा—तेंदुआ क्षेत्र से बाहर निकल चुका


वन प्रभागीय अधिकारी (DFO) स्वाति श्रीवास्तव ने बताया कि 23 मई को सुबह 8 बजे वन विभाग की टीम जरूरी संसाधनों के साथ गौराकला के लखरांव गांव में पहुंची थी। उन्होंने बताया कि जिस बाग में तेंदुआ देखा गया था, वह रिहायशी इलाकों से घिरा हुआ था। कुछ समय बाद तेंदुआ दूसरी दिशा में निकल गया।


डीएफओ के अनुसार, लखनऊ, गाजीपुर और चंदौली से भी विशेष टीमें मौके पर पहुंचीं। पूरे क्षेत्र में रातभर निगरानी जारी रही। नदी किनारे वाले गांवों में गश्त बढ़ा दी गई है। उन्होंने बताया कि 24 मई की सुबह तेंदुए के पैरों के ताजा निशान मिले, जिनसे यह अनुमान लगाया जा रहा है कि वह अब चंदौली की ओर बढ़ गया है।

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