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सर्राफा कारोबारी के कर्मचारियों से साढ़े 42 लाख की लूट करने वाला दरोगा समेत तीन गिरफ्तार, तीन की तलाश जारी, ‘क्राइम ब्रांच’ का अधिकारी बताकर डराया धमकाया
वाराणसी। सर्राफा व्यापारी के कर्मचारियों से 42.50 लाख के लूट मामले में पुलिस ने कैंट थाने पर तैनात चौकी प्रभारी समेत तीन आरोपियों को पुलिस ने गिरफ्तार किया है। उनके पास से लूट के पैसों में से 8 लाख 5 हजार रुपए नगद, 2 पिस्टल, जिंदा कारतूस व घटना में शामिल एक मोटरसाइकिल बरामद किया है। डीसीपी काशी जोन डीसीपी गौरव बंशवाल और एडीसीपी नीतू कादयान ने संयुक्त रूप से इसका खुलासा किया। पुलिस घटना में शामिल तीन आरोपियों की धरपकड़ के लिए दबिश दे रही है।
गिरफ्तार तीनों आरोपियों में विकास मिश्रा (27 वर्ष), अजय गुप्ता (20 वर्ष) चोलापुर थाना अंतर्गत आयर बाजार के रहने वाले हैं। वहीं सूर्य प्रकाश पांडेय (32 वर्ष) प्रयागराज के कर्नलगंज थाना के सलोरी मार्केट का रहने वाला है। इनमें सूर्य प्रकाश कैंट थाना के एक प्रसिद्ध चौकी पर प्रभारी के पद पर तैनात था। वहीं अजय गुप्ता पहले से सजायाफ्ता है। उसके ख़िलाफ़ चोलापुर थाने में धारा 302 में मुकदमा दर्ज है।
डीसीपी ने घटना का खुलासा करते हुए बताया कि पुलिस ने सर्विलांस के आधार पर इन तीनों को गिरफ्तार किया है। पुलिस के हाथ कई सबूत लगे हैं। जो कि इनका गुनाह साबित करने के लिए पर्याप्त हैं। पुलिस की पूछताछ में इन्होने बताया कि 22 जून को इनलोगों ने रामनगर थाना अंतर्गत भीटी पर बस रोकी। उसमें पहले से सवार सर्राफा कारोबारी के कर्मचारियों से स्वयं को क्राइम ब्रांच व चंदौली के सैयदराजा थाने का अधिकारी बताते हुए उन्हें डरा धमकाकर 42.50 लाख रुपए लूट लिए थे।
डीसीपी ने आगे बताया कि इस घटना में इनके साथ नीलेश यादव, मुकेश दुबे उर्फ़ हनी व योगेश पाठक उर्फ़ हनी शामिल थे। जिनकी तलाश में पुलिस विभिन्न जगहों पर दबिश दे रही है। उक्त घटना में दरोगा सूर्यप्रकाश पांडेय ने ही अपनी वर्दी का धौंस देकर बस रुकवाया था और घटना को अंजाम दिया था। इनके खिलाफ जांच चल रही है, जांच में और भी लूट के केस सामने आये हैं, जिनमें पीड़ित ने पुलिस से शिकायत ही नहीं की. दरअसल, ये सभी लूट की घटना में हमेशा आधे पैसे ही लूटते थे. जिससे कोई पुलिस के पास न जा सके. दरोगा को लगता था कि आधा पैसा होने के कारण कोई केस नहीं करेगा, लेकिन वह फंस गया। सर्विलांस की जांच में दरोगा अपने दो साथियों समेत क्राइम ब्रांच के हत्थे चढ़ गया।
कोतवाली थाना क्षेत्र के नीचीबाग़ के रहने वाले सर्राफा कारोबारी जयपाल कुमार के दो कर्मचारियों से लूट की जांच कर रही पुलिस की सर्विलांस टीम जब लोकेशन खंगाल रही थी, तो उनके हाथ एक नंबर लगा, जिसे ट्रेस करने पर दरोगा का नाम सामने आया, जो कि कैंट थाने के एक फेमस चौकी पर तैनात था।
वारदात में उठते सवालों के बीच पुलिस कमिश्नर ने अपनी स्पेशल टीम लगाई तो कहानी कुछ और ही निकली। टीम ने दरोगा की कुंडली खंगाली तो सुई उस पर जाकर रुक गई। बातचीत में दरोगा ने अपने काम के लिए जाने की बात कही लेकिन सही जवाब नहीं दे पाया। उक्त दरोगा इतनी बड़ी लूट की घटना को अंजाम देने के बाद काफी सतर्क हो गया था.
वर्दी की आड़ में कर रहा था गिरोह संचालित
दरोगा वर्दी की आड़ में अपना गिरोह संचालित कर रहा था। पुलिस की जांच में उसके और भी लूट के कई केस सामने आए हैं। सूत्रों के मुताबिक, क्राइम ब्रांच की टीम को उसके मोबाइल से घटना से सम्बंधित फोटो, वीडियो सहित चैटिंग भी मिली है। वह वर्दी की हनक में इस तरह के अपराधों को अंजाम देता था। वर्दी पहनकर लूट करने वाले दरोगा ने वाराणसी कमिश्नरेट की छवि दागदार की है। जनता की सुरक्षा का दावा करने वाले पुलिस की छवि पर प्रश्नचिन्ह खड़े हो रहे हैं।
ये है पूरा मामला
जानकारी के मुताबिक, 22 जून की रात वाराणसी के नीचीबाग कूड़ाखाना गली निवासी सर्राफ कारोबारी जयपाल कुमार के दो कर्मचारी 93 लाख रुपये का पेमेंट लेकर वाराणसी से कोलकाता के लिए रवाना हुए। जयपाल ने दोनों कर्मचारी अविनाश और धनंजय को भुल्लनपुर से बस में बैठाया और खुद घर आ गए। कुछ देर बाद कर्मचारी ने फोन कर कहा कि पुलिस ने कैश पकड़ लिया है और बताया कि क्राइम ब्रांच की स्पेशल टीम 42.50 लाख रुपये लेकर गई है। हम दोनों को बस से उतार दिया है। सर्राफ ने सोना खरीद के लिए जा रही धनराशि के दस्तावेज साथ होने की बात कही, लेकिन तब तक कार सवार जा चुके थे।
कर्मचारी ही बने थे आरोपी
सूचना पर सर्राफा कारोबारी आनन फानन में सैयदराजा पहुंचे तो पुलिस ने ऐसी किसी कार्रवाई से इंकार किया। मामले में दोनों कर्मचारियों को आरोपी मानते हुए कारोबारी ने तहरीर दी, पुलिस ने पूछताछ भी की लेकिन कुछ खास पता नहीं चला।
दोनों कर्मचारियों ने बताया कि वाराणसी कोलकाता हाईवे पर पहुंचने पर बस में एक व्यक्ति पुलिस की वर्दी में और दो व्यक्ति सादे कपड़े में चढ़े। तीनों ने खुद को चंदौली जिले के सैयदराजा थाना की क्राइम टीम की पुलिस बताया।
इसके बाद तीनों बैग के साथ कर्मचारी अविनाश और धनंजय को नीचे उतारकर बस रवाना कर दी और उन्हें बिना नंबर प्लेट की कार में बैठा लिया। अविनाश का मोबाइल स्विच ऑफ कर दिया, फिर दोनों को रोककर पुलिसिया अंदाज में पूछताछ की।
दोनों को डरा सहमाकर कर उसके बैंग से 42 लाख 50 हजार रुपए ले लिए और बनारस रवाना हो गए। दरोगा ने अपने दो साथियों को बड़ागांव तक छोड़ा इसके बाद तीसरे को कैंट क्षेत्र में छोड़कर नगदी लेकर कमरे पर जाकर सो गया।
रामनगर थाने में चल रही थी विवेचना
अविनाश गुप्ता और धनंजय यादव ने 42 लाख 50 हजार रुपए के छीने जाने की सूची देर रात लगभग 1:30 बजे मालिक को दी। जयपाल कुमार ने कटरिया बॉर्डर स्थित बनारस ढाबा पहुंचे। अविनाश ने जयपाल कुमार को बताया कि पुलिस वाले 50 लाख 50 हजार रुपए छोड़ दिए हैं। 42 लाख 50 हजार रुपए वह अपने साथ ले गए हैं।
घटनास्थल को लेकर असमंजस में थे और 22 जून को घटना के कई दिन बाद में उन्होंने रामनगर थाने में तहरीर दी। बाद में घटनास्थल चंदौली जिले का चंदरखा निकला, जांच चंदौली पुलिस को हस्तांतरित कर दी गई। तब सर्राफ का आरोप था कि अविनाश गुप्ता और धनंजय यादव ने ही उनके 42.50 लाख रुपए गायब किए हैं।