Gadar Ek Prem Katha: ग़दर एक प्रेम कथा, वर्ष 2001 में रिलीज़ हुई इस फिल्म (Gadar Ek Prem Katha) में देशभर में 265 करोड़ का कलेक्शन किया था। आज के हिसाब से यह रिकॉर्ड देखा जाय, तो आज का आंकड़ा लगभग 5000 करोड़ के आसपास का होता है। आज देशभर में 5000 से अधिक स्क्रीन्स हैं, लेकिन आज से 22 वर्ष पहले भारत में सिर्फ 350 स्क्रीन्स थी। बावजूद इसके फिल्म (Gadar Ek Prem Katha) ने 10 करोड़ टिकट बेचने का रिकॉर्ड बनाया था।
यह फिल्म (Gadar Ek Prem Katha) भारत की सबसे ज्यादा देखी जाने वाली फिल्मों में से एक है। फिल्म (Gadar Ek Prem Katha) की सफलता की जब भी बात होगी, तो इसकी कहानी, एक्टिंग और निर्देशन की बात भी ज़रूर होगी, जो कि अव्वल दर्जे का था।
फिल्म (Gadar Ek Prem Katha) में पाकिस्तान का जो सच हिम्मत के साथ दिखाया गया, उसकी तुलना आज के ‘द कश्मीर फाइल्स’ और ‘द केरल स्टोरी’ से बेशक किया जा सकता है। फिल्म (Gadar Ek Prem Katha) विभाजन और उसकी आड़ में हुए पाकिस्तान के भारत विरोधी सांप्रदायिक दंगो को दिखाता है।
इसका भारत के मुस्लिमों से कोई लेना देना नहीं था। बावजूद इसके, भारत के मुस्लिमों ने इसे सांप्रदायिक, प्रोपोगेंडा, इस्लामोफोबिक, और कम्युनल घोषित किया था और दंगे भड़काकर बैन करने की मांग हुई थी। जैसा कि वे इस तरह की सच्चाई पर आधारित फिल्मों के प्रति हमेशा करते हैं। भारत के मुस्लिमों को न जाने पाकिस्तान से इतनी हमदर्दी हमेशा रहती है।
भोपाल, दिल्ली, अहमदाबाद और मुंबई में इस फिल्म (Gadar Ek Prem Katha) के खिलाफ भारी प्रदर्शन देखने को मिले थे। एक रिपोर्ट के अनुसार, अहमदाबाद में मुस्लिमों ने छः वाहनों को आग लगा दी थी और एक थिएटर को भी जला दिया था। इंडिया टूडे की रिपोर्ट एक अनुसार, गदर की रिलीज़ के 10 दिनों बाद 25 जून 2001 को भोपाल, 1992 के बाबरी दंगों की पुनरावृत्ति के कगार पर था। कांग्रेस के जिला युवा अध्यक्ष आरिफ मसूद के नेतृत्व में 400 लोगों की भीड़ ने पेट्रोल बम, तलवार, रॉड, लाठियां और पत्थर लेकर गदर दिखाने वाले सिनेमा हॉल पर हमला किया था।
Gadar Ek Prem Katha: मुस्लिम लीग ने महाराष्ट्र के तत्कालीन मुख्यमंत्री विलासराव देशमुख को लिखा था पत्र
इस हमले में एक कांस्टेबल घायल हो गया था और दर्जनों को चोटें आई थीं। मुंबई क्षेत्रीय मुस्लिम लीग ने महाराष्ट्र के तत्कालीन मुख्यमंत्री विलासराव देशमुख को पत्रलिखकर फिल्म को बैन कराने की मांग की थी। इस बाबत मुस्लिम लीग ने सेंसर बोर्ड के विरोध में उच्च न्यायलय में याचिका दायर करने की धमकी भी दी थी। लीग के अध्यक्ष मो० फारुक आजम ने अमीषा पटेल के फिल्म (Gadar Ek Prem Katha) के नाम ‘सकीना’ को लेकर आपत्ति भी जताई थी क्योंकि मुहम्मद पैगंबर की वंशज और हुसैन इब्न अली की बेटी का नाम भी ‘सकीना’ था।
इसके बाद शिव सेना प्रमुख बाला साहब ठाकरे ने इसे लेकर स्पष्टीकरण दिया था। उन्होंने अपने पार्टी के मुखपत्र ‘सामना’ में लिखा था कि ‘फिल्म (Gadar Ek Prem Katha) में कुछ भी आपत्तिजनक नहीं है।’ तत्कालीन शिवसेना के सांसद संजय निरुपम ने कहा था कि ‘फिल्म (Gadar Ek Prem Katha) भारतीयों को सहिष्णु और पाकिस्तानियों को सांप्रदायिक और रूढ़िवादी दिखाती है।
अगर भारतीय मुसलमान फिल्म (Gadar Ek Prem Katha) का विरोध करते हैं, तो इसका मतलब है कि उनका दिल पाकिस्तान के करीब है।‘ लखनऊ में गदर की रिलीज़ से पहले ही विरोध शुरू हो गया था जब शिया मुसलमानों ने नवाब आसिफुद्दौला के ऐतिहासिक मकबरे बड़ा इमामबाड़ा के अंदर फिल्म (Gadar Ek Prem Katha) की शूटिंग का विरोध किया था।
तत्कालीन राज्यसभा सदस्य शबाना आजमी ने भी फिल्म (Gadar Ek Prem Katha) को उत्तेजक बताया था। उन्होंने रिकॉर्ड पर कहा था कि “फिल्म (Gadar Ek Prem Katha) इस अफवाह को पुष्ट करती है कि हर मुसलमान पाकिस्तानी है।” तत्कालीन परिस्थितियों में मुंबई, भोपाल और लखनऊ में गदर दिखाने वाले सिनेमाघरों में पुलिस फाॅर्स को तैनात किया गया था।