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मणिपुर में लगा राष्ट्रपति शासन, चार दिन पहले बीरेन सिंह ने दिया था इस्तीफा, राज्य में हिंसा से अब तक 250 से ज्यादा मौतें

मणिपुर में मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह के इस्तीफे के बाद राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया गया है। बीरेन सिंह ने चार दिन पहले मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दिया था, लेकिन उनके उत्तराधिकारी के नाम पर सहमति नहीं बन सकी। ऐसे में राज्य में संवैधानिक संकट की स्थिति पैदा हो गई, जिसके चलते राष्ट्रपति शासन लागू करने का निर्णय लिया गया।


मणिपुर में पिछले वर्ष मई 2023 से मैतेई और कुकी समुदाय के बीच भयंकर हिंसा जारी है, जिसमें अब तक 250 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है। इस जातीय संघर्ष के चलते राज्य में राजनीतिक अस्थिरता बनी हुई थी। माना जा रहा है कि बीरेन सिंह इस हिंसा को नियंत्रित करने में असफल रहे, जिसके कारण उन्होंने इस्तीफा दे दिया।


भाजपा में नहीं बन पाई मुख्यमंत्री के नाम की सहमति


बीरेन सिंह के इस्तीफे के बाद बीजेपी विधायक दल में नए मुख्यमंत्री के नाम पर सहमति नहीं बन पाई। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, बीजेपी नेतृत्व मुख्यमंत्री पद का उपयुक्त उम्मीदवार नहीं खोज सका, जिससे राष्ट्रपति शासन की स्थिति उत्पन्न हुई।


बीजेपी विधायकों में अविश्वास प्रस्ताव लाने की भी चर्चा थी। ऐसी खबरें थीं कि कुछ बीजेपी विधायक कांग्रेस द्वारा प्रस्तावित अविश्वास प्रस्ताव का समर्थन कर सकते थे, जिससे सरकार संकट में आ सकती थी। इसी बीच, बीजेपी के पूर्वोत्तर प्रभारी संबित पात्रा और राज्य पार्टी अध्यक्ष ए. शारदा देवी ने इंफाल में राज्यपाल अजय कुमार भल्ला से मुलाकात की थी।


बीरेन सिंह ने खो दिया था विधायकों का समर्थन?


न्यूज एजेंसी पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार, बीरेन सिंह बीजेपी विधायकों का समर्थन खो रहे थे। कई विधायकों ने दिल्ली में पार्टी नेताओं से मुलाकात कर अपनी चिंताएं व्यक्त की थीं। हालांकि, मणिपुर बीजेपी अध्यक्ष ए. शारदा देवी ने इस तरह के मतभेदों से इनकार किया था। उन्होंने कहा था कि बीरेन सिंह का इस्तीफा शांति स्थापित करने की इच्छा से प्रेरित था और उन्होंने केंद्र सरकार से राज्य में सुरक्षा सुनिश्चित करने की अपील की थी।


क्या होता है राष्ट्रपति शासन?


भारत में राष्ट्रपति शासन तब लागू किया जाता है जब किसी राज्य में संवैधानिक तंत्र विफल हो जाता है। संविधान के अनुच्छेद 356 के तहत, राष्ट्रपति शासन लागू होने पर राज्य सरकार के सभी कार्य केंद्र सरकार को हस्तांतरित हो जाते हैं और राज्यपाल को प्रशासनिक प्रमुख बना दिया जाता है। इस दौरान राज्य विधानसभा या तो भंग कर दी जाती है या निलंबित कर दी जाती है।

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