पश्चिम बंगाल के मालदा में नहीं लगेगा रथयात्रा का मेला, 629 वर्ष पुरानी परम्परा को ममता सरकार ने नहीं दी अनुमति, जगन्नाथ मंदिर को बनाया नया राजनीतिक अखाड़ा

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पश्चिम बंगाल के मालदा जिले में 629 वर्षों से चली आ रही परंपरा इस वर्ष ठहर गई है। जलालपुर कस्बे में हर साल आयोजित होने वाला ऐतिहासिक रथ मेला इस बार ममता सरकार की मंजूरी न मिलने के कारण नहीं लग पाएगा। प्रशासन ने केवल रथ यात्रा की इजाज़त दी है, लेकिन मेला आयोजन को अस्वीकृति दे दी गई है, जिससे इलाके के हिंदू समुदाय में रोष फैल गया है।


क्या है मामला?


यह रथ मेला जलालपुर स्थित श्री महाप्रभु मंदिर के पास हर साल जुलाई में आयोजित होता है और लगभग एक सप्ताह तक चलता है। इसमें रथ यात्रा एक केंद्रीय आकर्षण होती है, लेकिन आसपास दुकानें, सांस्कृतिक कार्यक्रम और श्रद्धालुओं की भारी भीड़ इसे उत्सव का रूप देती है।


हालांकि इस वर्ष पुलिस प्रशासन ने केवल रथ खींचने की अनुमति दी है, जबकि मेला व्यवस्था को लेकर आपत्ति जताते हुए कहा कि इससे कानून-व्यवस्था बिगड़ सकती है। पुलिस का तर्क है कि पिछले वर्षों में इस दौरान हत्या जैसी गंभीर घटनाएं सामने आई हैं और असामाजिक तत्वों ने त्योहार की आड़ में उपद्रव मचाया।

 


मन्दिर प्रशासन ने बताया धार्मिक स्वतंत्रता पर हमला


मंदिर समिति के सचिव गौतम मंडल ने इसे धार्मिक स्वतंत्रता पर हमला बताते हुए कहा कि यह मेला बाबर और मुगलों के भारत आगमन से भी पहले शुरू हुआ था और पहली बार इसे रोका जा रहा है। उन्होंने इस निर्णय को वोट बैंक की राजनीति से प्रेरित बताया और अब जिला प्रशासन और न्यायालय का रुख करने का निर्णय लिया है।


स्थानीय लोगों का कहना है कि यह मेला केवल धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि क्षेत्रीय अर्थव्यवस्था का महत्वपूर्ण आधार भी है, जिससे हर जाति और धर्म के लोग प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से जुड़े होते हैं।


सियासी रुख और आरोप


तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के राज्य महासचिव कृष्णेंदु नारायण चौधरी ने प्रशासन के निर्णय का समर्थन करते हुए इसे नियम और शांति व्यवस्था का विषय बताया। वहीं, भाजपा नेता अजय गांगुली ने आरोप लगाया कि यह निर्णय प्रशासन ने नहीं, बल्कि ममता सरकार की राजनीतिक मंशा के तहत लिया गया है।


दीघा के जगन्नाथ मंदिर में ‘हलाल मिठाई’ का विवाद


इसी बीच, पश्चिम बंगाल के दीघा में हाल ही में बने जगन्नाथ मंदिर की प्रतिकृति को लेकर भी एक नया विवाद खड़ा हो गया है। भाजपा ने आरोप लगाया है कि मंदिर में श्रद्धालुओं को जो प्रसाद वितरित किया जा रहा है, वह मुस्लिम दुकानों द्वारा तैयार किया गया है, जो धार्मिक आस्थाओं का उल्लंघन है।

 


भाजपा का दावा और प्रमाण


भाजपा आईटी सेल प्रमुख अमित मालवीय ने इस मुद्दे को एक्स (पूर्व ट्विटर) पर उठाया और उन दुकानों की सूची साझा की जिनसे मंदिर के लिए पेड़ा, गाजा जैसे प्रसाद मंगवाए गए। इन दुकानों के मालिक मुस्लिम समुदाय से हैं, जो भाजपा के अनुसार, हिंदू आस्थाओं की पवित्रता के विरुद्ध है।


मालवीय ने आरोप लगाया कि जहाँ ओडिशा के पुरी स्थित मूल जगन्नाथ मंदिर में गैर-हिंदुओं को प्रवेश की अनुमति नहीं है, वहीं दीघा में ममता सरकार प्रसाद निर्माण तक मुसलमानों को शामिल करके धार्मिक भावनाओं को आहत कर रही है।


राजनीति में बढ़ी तल्खी


इस मुद्दे पर प्रदेश में राजनीतिक उबाल देखने को मिल रहा है। भाजपा ने इसे ‘हिंदू आस्था के साथ खिलवाड़’ करार दिया है और इसे लेकर ममता सरकार की नीतियों पर सवाल उठाए हैं।


जहाँ टीएमसी ने अब तक इस पर कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है, वहीं राजनीतिक पर्यवेक्षकों का मानना है कि यह विवाद आगामी स्थानीय चुनावों में भी एक बड़ा मुद्दा बन सकता है।

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