भारतीय वायुसेना के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला ने गुरुवार, 26 जून को अंतरिक्ष में भारत के लिए एक नया इतिहास रच दिया। वे करीब 28 घंटे की अंतरिक्ष यात्रा के बाद शाम 4:01 बजे इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) पर सफलतापूर्वक पहुंचे। शाम 6 बजे स्टेशन का हैच खुलने के बाद वे अपने तीन विदेशी साथियों के साथ स्टेशन के अंदर दाखिल हुए। इस मिशन के साथ शुभांशु अंतरिक्ष की दहलीज लांघने वाले दूसरे भारतीय बन गए हैं। उनसे पहले केवल राकेश शर्मा ने 1984 में सोवियत मिशन के तहत अंतरिक्ष यात्रा की थी।
अंतरिक्ष में पहुंचने के बाद शुभांशु ने स्पेसक्राफ्ट से लाइव संदेश भेजा और कहा, “नमस्कार फ्रॉम स्पेस! मैं एक बच्चे की तरह हर चीज़ सीख रहा हूं – चलना, तैरना, खाना… सब कुछ। यह अनुभव अविस्मरणीय है।”
एक्सियम मिशन-4 का हिस्सा हैं शुभांशु
शुभांशु और उनकी टीम 25 जून को दोपहर करीब 12 बजे कैनेडी स्पेस सेंटर (अमेरिका) से फाल्कन-9 रॉकेट से जुड़े स्पेसएक्स के ड्रैगन कैप्सूल में सवार होकर रवाना हुए थे। यह मिशन कई तकनीकी खामियों और मौसम संबंधी अड़चनों के कारण 6 बार टाला गया था, लेकिन आखिरकार तय समय पर उड़ान पूरी हुई। स्पेसक्राफ्ट ने करीब 27 हजार किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से उड़ान भरते हुए ISS की कक्षा में प्रवेश किया।
स्पेस से शुभांशु का भावुक संदेश
स्पेस से लाइव संदेश में शुभांशु ने अपने दिल की बात साझा की। उन्होंने कहा, “लॉन्चपैड पर बैठना एक अलग ही अनुभव था। 30 दिनों के क्वारंटाइन के बाद बस एक ही इच्छा थी कि हम उड़ान भरें। जब रॉकेट ने रफ्तार पकड़ी, तो ऐसा लगा जैसे शरीर सीट में धंसा जा रहा है। लेकिन जैसे ही हम अंतरिक्ष में पहुंचे, सब कुछ शांत हो गया। जब बेल्ट खोली, तो खुद को शून्य में तैरता पाया।”
उन्होंने आगे कहा, “मैं इस उपलब्धि को अपनी नहीं, बल्कि उन सभी लोगों की सामूहिक सफलता मानता हूं जिन्होंने इस सफर को संभव बनाया – वैज्ञानिक, तकनीकी टीम, परिजन और दोस्त – आप सभी को दिल से धन्यवाद।"
भारतीय संस्कृति की झलक भी दिखाई
शुभांशु ने अपने मैसेज में एक प्रतीकात्मक चीज़ “हंस” का भी ज़िक्र किया। उन्होंने कहा, “हमने जोय और ग्रेस दिखाए – यह हंस है। यह भारतीय संस्कृति में बुद्धिमत्ता का प्रतीक है। इसका महत्व सिर्फ भारत में ही नहीं, बल्कि पोलैंड और हंगरी जैसी संस्कृतियों में भी है।”
घरवालों की आंखों में गर्व और आंसू
लखनऊ में शुभांशु के माता-पिता – मां आशा शुक्ला और पिता शंभु दयाल शुक्ला – ने इस ऐतिहासिक पल को टीवी पर लाइव देखा। उनके चेहरों पर गर्व और आंखों में आंसू थे। उनका बेटा वह मुकाम छू चुका है, जहां पहुंचने का सपना दुनिया के करोड़ों लोग देखते हैं।
“यहां मज़ा आ रहा है… गलतियां भी कर रहा हूं और सीख रहा हूं”
शुभांशु ने यह भी बताया कि अंतरिक्ष में जीवन कैसा है। उन्होंने कहा, “यहां रहना किसी बच्चे जैसा अनुभव है। सबकुछ नया है – चलना, खाना, खुद को स्थिर रखना। गलतियां करना स्वाभाविक है, लेकिन किसी और को गलती करते देखना और मजेदार होता है। हर क्षण का आनंद ले रहा हूं।”
उन्होंने बताया कि शुरुआती घंटों में उन्हें थोड़ा असहज महसूस हुआ, लेकिन अब वह खुद को वातावरण में ढलता महसूस कर रहे हैं।
(नोट: यह मिशन अमेरिका की प्राइवेट कंपनी 'Axiom Space' द्वारा संचालित है, जिसमें विभिन्न देशों के चार अंतरिक्ष यात्री शामिल हैं। शुभांशु भारत की ओर से इस अभियान का हिस्सा बने हैं।)