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रात एक ‘चिर युवा’ ख्वाब में आया, आंख खुली तो स्वप्नदोष पाया, कुली बनने में कैसे 30 नंबर से चुके कांग्रेस के ‘जननायक

… अरे नहीं, नहीं जैसा आप सोच रहे, मैंने मंदिरा या किसी नशीली पदार्थ का सेवन नहीं किया। मैं मैडम (इटली वाली) की कसम खाकर कहता हूं। वो तो मेरे सहकर्मियों ने ही मुझे थोड़ी सी पिला दी थी। जिससे मैंने मिस्टर युवराज को गेटअप तो अमिताब बच्चन वला दे दिया, लेकिन वैसे सीन नहीं दे पाया।


लेकिन हमारे युवराज (Rahul Gandhi) भी छोटे मोटे नेता थोड़ी हैं, जब वे मधुशाला गए तो उनके भीतर मधुशाला वाले हरिवंश राय बच्चन के सुपुत्र अमिताभ बच्चन ही अवतरित हो गए। जिसके बाद वे असल मायनों में कुली बने। कानों में बस एक ही डायलाग गूंजने लगा।


‘बचपन से है सर पर अल्‍लाह का नाम, और अल्‍लाह रखा है मेरे साथ, बाजू पर है सात सौ छियासी का बिल्‍ला, बीस नंबर बीड़ी पीता हूं, काम करता हूं कुली का और नाम है इकबाल” (कुली)।


अमिताभ बच्चन आएं भी क्यों न, वे स्वर्गीय राजीव के दोस्त भी तो ठहरे। वही राजीव जिनके 53 वर्षीय युवा बेटे हैं ‘Rahul Gandhi’। ख्याल आया कि यदि अमिताभ की जगह राहुल कुली होते, तो सलीम-जावेद द्वारा लिखित डायलाग कुछ यूं होता।


बाजू पर 786 का बिल्ला, खाता हूं वायनाड की, विदेश में देश की करता हूं बुराई और नाम है जननायक


कसम से इतने रोल तो अमिताभ बच्चन ने फिल्मों में नहीं किए होंगे। जितने हमारे युवराज (Rahul Gandhi) ने असल जिंदगी में किए। अब बेचारे इन अनपढ़ भक्तों और संघियों को कौन समझाए कि हमारे युवराज(Rahul Gandhi) क्या अब कुली भी नहीं बन सकते। अभी तो बस कुली ही बने हैं, सत्ता में आने तो दो, न आलू से सोना बना दिया तो कहना। तुम भक्तों को महंगाई और बेरोजगारी तो दिखती ही नहीं। देश में बेरोजगारी इतनी ज्यादा है कि कभी ट्रक ड्राईवर, कभी मैकेनिक और कभी कुली भी बनकर अपना पेट पालना पड़ता है।


2024 के बाद आलू से सोना बनाएंगे Rahul Gandhi


साठ साल सत्ता में रहे, तो कभी जमीन पर नहीं उतरे, उससे क्या हुआ। अब तो उतर रहे हैं ना। एक बार 2024 में सत्ता (Rahul Gandhi) में आने तो दो, रामराज लाकर रहेंगे। जैसे हमारे पिता अपने कंधे पर देश में कंप्यूटर ढोकर लाए थे, वैसे ही हम भी देश से बेरोजगारी, महंगाई और अन्य समस्याओं को जड़ से उखाड़ फेकेंगे, जैसा हमने अभी राजस्थान और हिमाचल जैसे कांग्रेस शासित प्रदेशों में किया है। वहां तो बेरोजगारी इस हद तक दूर हो गई है कि वहां की कंपनियां यूपी और बिहार के बेरोजगार लौंडों को नौकरी के लिए बुला रही हैं।


तुम अनपढ़ संघियों को क्या पता कि देश से पहले अपना खजाना भरना पड़ता है, तभी तो हम समस्याओं को दूर कर पाएंगे न, जैसे कांग्रेस के परम पूज्य प्रथम प्रधानमंत्री जीप में भरकर पैसे ले जाया करते थे। प्लेन से तो बस चिट्ठीयां जाया करती हैं, पैसे तो जीप से ही जाया करते हैं।


खैर मैं तो ठहरा वामपंथ प्रेमी पत्रकार, गोदी मीडिया तो नाम से बदनाम है। 18 वर्ष से ऊपर के लौंडों को स्वप्न दोष होता है, मुझे चुनाव दोष है। इसलिए मैं सोते-सोते नींद में ही जून 2024 में पहुंच गया। मुझे पता चला कि ‘इंडि अलायन्स’ बनाम NDA के चुनाव में NDA की भारी बहुमत से जीत हो चुकी है। लोकसभा में नरेंद्र मोदी के तीसरी बार प्रधानमंत्री बनने के बाद अब सच में मेरा भारतीय राजनीति से विश्वास उठ चुका था।


जो बीजेपी कर्णाटक, हिमाचल और घोसी के चुनावों में EVM नहीं हैक कर पाई, उसे इन लोगों ने लोकसभा में मौका दे दिया। अब EVM हैक हुआ या नहीं, यह बाद का विषय है, लेकिन इस चुनाव में क्लियर हो गया कि भाजपा कि आंधी में विपक्ष के बड़े-बड़े दिग्गजों को मुंह कि खानी पड़ी है। क्या कांग्रेस, क्या TMC, क्या BSP, क्या DMK, सब मोदी लहर में साफ़ हो गए।


खैर, मैं तो एक पत्रकार हूं। शपथ ग्रहण समारोह के कवरेज के लिए मुझे दिल्ली जाना पड़ा। अल सुबह मेरी ट्रेन दिल्ली पहुंच चुकी है और मैं कुली कि तलाश कर रहा हूं। स्टेशन पर सफ़ेद कुरता और पायजामा पहने कुली किसी एक को घेरे खड़े हैं। उधर से आवाज़ आ रही थी कि राहुल गांधी (Rahul Gandhi) जिंदाबाद, कांग्रेस पार्टी जिंदाबाद, जैसे नारे गूंज रहे थे।


मुझे लगा कि सामने विपक्ष का कोई बड़ा नेता शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होने आया होगा। यह मेरे लिए भी एक सुनहरा मौका था। मुझे लगा कि स्टेशन पर ही विपक्ष के किसी नेता का बाइट मिल जायेगा, ये एक तरह से मौके पर चौका मारने वाली बात हो गई है। मैंने फट से माइक, निकाला और मोबाइल का कैमरा चालू किया और पहुंच गया भीड़ कि ओर अपनी भूमिका बनाने…


हाथ में कांग्रेस का झन्डा लिए कई खलिहर कुली खड़े थे। कुछ हद से ज्यादा जो खलिहर थे, पास में सेल्फी ले रहे थे। करीब पहुंचते ही मेरी आंखें फटी कि फटी रह गई। ये जो स्पेशल कुली था, यह सिर्फ कुली ही नहीं, बल्कि कांग्रेस के ‘चिर युवा’ राहुल गांधी थे। काला पैंट, दाग धब्बे लगी हुई सफ़ेद टीशर्ट और उस पर कुली की पहचान बताती हुई लाल शर्ट पहने राहुल (Rahul Gandhi) एक सूटकेस पर बैठे हुए थे।


राहुल गांधी (Rahul Gandhi) अपने चिर परिचित अंदाज में कॉन्ग्रेस समर्थकों के बीच अडानी और अंबानी को कोस रहे थे। लोकतंत्र पर हमला, संविधान बदलने की कोशिश और चीन ने जमीन हड़प ली जैसे वाक्यों का बार-बार दौरा पड़ रहा था। सीधे शब्दों में कहूँ तो राहुल के शब्द और लहजा पुराना था, बस कपड़े नए थे।


मेरी राहुल घांडी के साथ पूरी सहानुभूति है उनके असली मजे तो उनकी PR टीम ले रही है। खेत मे भेजा ढेर सारे कैमरे ओर लग्जरी गाड़िया साथ मे भेजकर भद्दी करा दी। ट्रक में भेजा तो सारे ट्रक में कैमरे लगवा कर पूरी फिल्म पिटवा दी।


मैं मन ही मन राहुल (Rahul Gandhi) की इस स्थिति के लिए भाजपा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को दोषी ठहरा रहा था। तभी पिताजी की जोरदार लात से मेरी नींद खुल जाती है। पिताजी जोरदार फटकार लगाते हुए कहते हैं, “रे नालायक घड़ी देखी 11 बज गए हैं। अब भी सोता ही रहेगा, उठा जा।” विपक्षी पार्टी के किसी बड़े नेता का बाइट लेने का मेरा सपना, असल में स्वप्न दोष ही निकला, क्योंकि आज घर के कैलंडर में भी तारीख 21 सितम्बर 2023 की ही थी।


मायूस हो टीवी ऑन किया। अरे ये क्या! क्या टीवी वाले भी स्वप्न दोष में चल रहे हैं!! ये क्या देख लिया रे बाबा!!! थोबड़े पर झट से एक मग पानी डाला। आँखें चियार कर टीवी पर देखा। टीवी पर तो सपना ही हकीकत था। राहुल गाँधी (Rahul Gandhi) कुली बने हुए थे। सोशल मीडिया पर भी उनकी सिर पर ट्रॉली बैग उठाए फोटो वायरल थी। चक्के वाली वही ट्रॉली जो हम खींचकर ले जाते हैं, राहुल ‘बोझे’ की तरह उठाकर चल रहे थे।


बोझ उठाए राहुल (Rahul Gandhi) की चाल कोई ‘कुली नंबर वन’ वाली नहीं थी। यह हर उस कॉन्ग्रेसी की चाल थी जो 2014 से ‘राहुल बोझा’ उठाकर चल रहे हैं। जिनके स्वप्न में हर रात दोष आता है और वे लाल किले से राहुल को देश को संबोधित करते दिखते हैं। काश चच्चा अमिताभ ने 786 वाला बिल्ला न बाँधा होता… आज भतीजे की बाँह पर 756 नहीं होता। यह केवल 30 नंबर से चूकना नहीं है। यह 2024 में कॉन्ग्रेस के गिरकर 30 पर आने के लक्षण तो नहीं!


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