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देव दीपावली पर ‘दिया-बाती का मेल, होगा करोड़ों का खेल’: रोशनी के महाकुंभ की छटा निहारने लाखों पर्यटक पहुंचेंगे बनारस, 30 अरब के कारोबार का अनुमान - Dev Deepawali in Kashi

वाराणसी। भारत की सांस्कृतिक धरोहर और आध्यात्मिक राजधानी, हर साल कार्तिक पूर्णिमा पर आयोजित देव दीपावली के अवसर पर दीपों के इस महाकुंभ में डूब जाती है। ज्योति पर्व दीपावली के बाद शहरवासियों, देशभर के विभिन्न प्रांतों और विदेश से आने वाले पर्यटकों को इस अनोखे उत्सव का बेसब्री से इंतजार रहता है। सिर्फ शहरवासियों और पर्यटकों के लिए ही नहीं, बल्कि कारोबारियों के लिए भी यह दिन साल का सबसे महत्वपूर्ण दिन बनता जा रहा है। बनारस में देव दीपावली न केवल श्रद्धा का प्रतीक है, बल्कि स्थानीय और बाहरी व्यापारियों के लिए एक सुनहरा अवसर भी है। इस उत्सव के दौरान विभिन्न सेक्टर के व्यापारियों ने एक ही दिन में करोड़ों रुपये का कारोबार दर्ज किया है, जो इसे बनारस का एक प्रमुख ब्रांड बना रहा है।

बनारस का ब्रांड बना देव दीपावली: करोड़ों के कारोबार की उम्मीद


साल-दर-साल देव दीपावली का बाजार स्थानीय कारोबारियों के लिए समृद्धि का प्रतीक बनता जा रहा है। इस मौके पर तेल, दिया, बाती से लेकर हर छोटे-बड़े उत्पाद की मांग चरम पर होती है। बनारस के घाटों पर दीयों की जगमगाहट और पर्यटकों के हुजूम के बीच स्थानीय उत्पादों की बिक्री में अप्रत्याशित उछाल देखने को मिलता है। देव दीपावली के व्यापार में हर साल 15-20% की वृद्धि हो रही है, और इस बार भी कारोबारियों को अच्छे मुनाफे की उम्मीद है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा "वोकल फॉर लोकल" की अपील के चलते स्थानीय उत्पादों की मांग में बढ़ोतरी हुई है। व्यापारियों ने पहले से ही तैयारी कर रखी है ताकि इस अवसर का पूरा लाभ उठा सकें।

 


देव दीपावली का लक्खा मेला: 15 नवंबर को दिखेगी दीपों की असंख्य छटा


इस वर्ष देव दीपावली का आयोजन 15 नवंबर को होगा। कार्तिक पूर्णिमा के इस शुभ दिन का इंतजार देश-विदेश से आने वाले पर्यटक सालभर करते हैं। जैसे ही सूर्यास्त होता है, घाटों पर दीपों की जगमगाहट से घाटों का नजारा किसी अलौकिक स्वर्ग जैसा हो जाता है। काशी के लगभग 7-8 किलोमीटर लंबे गंगा किनारे के सभी घाट दीयों से सजे रहते हैं, जो मानो आकाश से उतरे तारों की तरह धरती पर आकर नृत्य कर रहे हों। इस अद्वितीय दृश्य को कैमरे में कैद करने के लिए हजारों की संख्या में देशी और विदेशी पर्यटक वाराणसी पहुंचते हैं। इस अवसर पर आने वाले पर्यटक काशी की यादों को संजोने के लिए स्थानीय बाजारों में जमकर खरीदारी भी करते हैं। देव दीपावली का बाजार सज चुका है। देव दीपावली बाजार पर गहरी नजर रखने वालों की मानें तो अब तो सभी तरह का मार्केट चल निकला है। लिहाजा, अबकी करीब 20 अरब तक का व्यापार होने का अनुमान लगाया जा रहा है।

 


व्यंजनों और खरीदारी का लुत्फ उठाने आते हैं देशी-विदेशी पर्यटक


देव दीपावली के अवसर पर वाराणसी के विभिन्न बाजार सजीव हो उठते हैं। पर्यटक यहां के लजीज व्यंजनों का स्वाद चखने से नहीं चूकते और साथ ही बनारसी परिधान, मूर्तियां, रुद्राक्ष की मालाएं, बनारसी चाट, जलेबी-कचौड़ी जैसे व्यंजनों का आनंद लेते हैं। बाजार में बनारसी साड़ी, पीतल के बर्तन, मिट्टी के दीये और अन्य पारंपरिक उत्पादों की बिक्री भी जोरों पर रहती है। वुलेन कपड़े, स्टोन उत्पाद, आर्टिफिशल माला, पीतल की मूर्तियां, गंगा आरती के कैसेट्स जैसे विशेष उत्पाद भी देव दीपावली के इस अवसर पर सैलानियों को आकर्षित करते हैं। फास्ट फूड और स्थानीय व्यंजनों का स्वाद भी पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र होता है।

 


ट्रांसपोर्ट और होटलों की एडवांस बुकिंग से 'हाउसफुल' का माहौल


देव दीपावली पर वाराणसी में रुकने वाले होटलों, गेस्ट हाउसों और लॉजों में जगह मिलना मुश्किल हो जाता है। पर्यटक पहले से ही बुकिंग करा लेते हैं, जिससे 'हाउसफुल' का माहौल बन जाता है। सभी बड़े होटलों के अलावा छोटे-बड़े गेस्ट हाउस, लॉज और धर्मशालाओं तक में पर्यटकों की बुकिंग फुल हो जाती है। यहां तक कि स्थानीय धर्मशालाओं में भी रुकने की व्यवस्था मुश्किल हो जाती है। बनारस की पारंपरिक नौकाएं, मोटरबोट और बजड़े भी हाउसफुल हो जाते हैं, जिससे घाटों पर वॉटर टैक्सी और नौका विहार के लिए पहले से बुकिंग करानी पड़ती है।

 


रोजगार में भी योगदान: ट्रैवल्स, टैक्सी और ई-रिक्शा वालों के लिए कमाई का अवसर


देव दीपावली के अवसर पर ट्रैवल्स एजेंसियों और टैक्सी वालों के लिए भी कमाई का अच्छा मौका होता है। ट्रैवेल्स की गाड़ियों, ई-रिक्शा, ऑटो रिक्शा और यहां तक कि पारंपरिक रिक्शों की भी मांग बढ़ जाती है। यातायात के विभिन्न साधनों की एडवांस बुकिंग के चलते यहां के ड्राइवरों को अतिरिक्त आय होती है। हर तरह के वाहन सजाकर तैयार रहते हैं और स्थानीय पर्यटकों के अलावा विदेशी पर्यटक भी इनका लुत्फ उठाते हैं। वाराणसी की तंग गलियों में घूमने का आनंद लेते हुए लोग देव दीपावली की छटा को निहारते हैं।

 


देश-विदेश से सैलानियों का जमावड़ा: हर जगह देव दीपावली का उत्साह


देव दीपावली का यह पर्व स्थानीय ही नहीं, बल्कि विदेशी सैलानियों के बीच भी बेहद लोकप्रिय हो गया है। इस वर्ष स्पेन, इटली, अमेरिका, इंग्लैंड, थाईलैंड, कोरिया, श्रीलंका, जर्मनी, रशिया, ब्राजील और ब्रिटेन जैसे कई देशों से पर्यटक यहां आने के लिए तैयार हैं। विदेशी पर्यटकों के साथ-साथ विभिन्न राज्यों से भी बड़ी संख्या में लोग वाराणसी आ रहे हैं। ट्रैवल एजेंसियों के अनुसार लगभग 98% पर्यटक भारतीय होंगे, जबकि बाकी विदेशी सैलानी होंगे। पर्यटकों की इस बढ़ती संख्या के चलते शहर के सभी प्रमुख होटलों, गेस्ट हाउसों और लॉजों में 'हाउसफुल' का माहौल है।

 


होटल के अलावा गेस्ट हाउस और लॉज भी ‘हाउसफुल’


देव दीपावली के इस अद्भुत पर्व पर सिर्फ गंगा किनारे के होटलों में ही नहीं, बल्कि पूरे शहर के छोटे-बड़े होटल, गेस्ट हाउस, लॉज और धर्मशालाओं में भी 'हाउसफुल' का माहौल होता है। होटलों में बुकिंग के चलते वहां की जगह भी कम हो जाती है। स्थानीय गेस्ट हाउस और धर्मशालाओं में भी स्थान नहीं मिलता। खासकर घाट किनारे के होटलों और लॉजों में पहले से ही पर्यटकों के लिए बुकिंग हो चुकी होती है। ऑनलाइन बुकिंग साइट्स पर 'हाउसफुल' का साइन देखा जा सकता है। 

 


बनारसी उत्पाद और सांस्कृतिक छटा आकर्षण के केंद्र


देव दीपावली के इस लक्खा मेले में पर्यटक बनारसी साड़ी, बनारसी परिधान, रुद्राक्ष की माला, पीतल की मूर्तियां, सजावटी सामान, लकड़ी के खिलौने और अन्य सांस्कृतिक उत्पादों की खरीदारी करते हैं। पवित्र गंगा घाटों की यात्रा करने के बाद पर्यटक यहां के सांस्कृतिक उत्पादों के साथ साथ स्वादिष्ट व्यंजनों का भी लुत्फ उठाते हैं। बनारसी चाट, मिठाइयां, स्ट्रीट फूड और अन्य परंपरागत व्यंजनों की महक पर्यटकों को अपनी ओर खींचती है। इसके अलावा बनारसी ज्वेलरी, आर्टिफिशल माला, मोमबत्तियां और दीये भी प्रमुख आकर्षण होते हैं।


प्रशासन के विशेष इंतजाम: भीड़ नियंत्रण और पर्यटकों की सुरक्षा


देव दीपावली के अवसर पर वाराणसी के प्रशासन ने भीड़ नियंत्रण के लिए विशेष इंतजाम किए हैं। घाटों पर यात्रियों के सुरक्षा के प्रबंध किए गए हैं और प्रमुख क्षेत्रों में ट्रैफिक व्यवस्था को सुगम बनाने के लिए विशेष इंतजाम किए गए हैं। सुरक्षा बलों की तैनाती, मार्गदर्शन और निगरानी के लिए विशेष प्रबंध किए गए हैं ताकि घाटों पर कोई अप्रिय घटना न हो।

 


देव दीपावली का यह पर्व वाराणसी को एक नई पहचान दिला रहा है। शहर की गलियों, घाटों, और बाजारों में उत्सव का माहौल बन जाता है। देवी-देवताओं का स्वागत करने के लिए असंख्य दीपों की रौशनी में नहाए घाटों का अद्वितीय नजारा विश्व पटल पर वाराणसी को खास बना देता है।

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