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देवकीनंदन ठाकुर बोले – सनातन धर्म को सबसे ज्यादा खतरा ‘जयचंदों’ से है; कश्मीरी पंडितों के नरसंहार का भी किया जिक्र, सनातन बोर्ड की अपील के लिए जारी किया नंबर
वाराणसी। संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय में चल रहे नौ दिवसीय सिय पिय मिलन महामहोत्सव के दूसरे दिन, प्रख्यात भागवत कथा वाचक देवकीनंदन ठाकुर महाराज ने सनातन धर्म की महिमा और इसके महत्व को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि सनातन धर्म किसी भी वर्ण, वर्ग या धर्म का अपमान नहीं करता और स्त्री-पुरुष में समानता का आदर्श स्थापित करता है।
कश्मीरी ब्राह्मणों और जयचंदों का संदर्भ
अपने प्रवचन में ठाकुर जी ने इतिहास में कश्मीरी ब्राह्मणों के नरसंहार और जयचंदों की भूमिका का जिक्र करते हुए कहा कि सनातन को सबसे बड़ा खतरा अपने ही समाज में मौजूद गद्दारों से है। उन्होंने चेताया कि जो लोग आज सनातन धर्म की रक्षा की बात करते हैं, उन्हें "समाज में जहर घोलने वाला" कहकर बदनाम किया जा रहा है।
सनातन बोर्ड के लिए आह्वान
ठाकुर जी ने सनातन बोर्ड के गठन की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने बताया कि जैसे आजादी के बाद वक्फ बोर्ड बना, उसी प्रकार सनातन धर्म बोर्ड भी स्थापित होना चाहिए। उन्होंने इस मांग के समर्थन में एक मिस्ड कॉल नंबर (992730037) जारी कर लोगों से अपील की कि वे इस अभियान में सक्रिय भूमिका निभाएं।
संतों के विचार और धार्मिक आयोजन
वृंदावन से आए संतों, जैसे नाभा पीठाधीश्वर, सुदामा कुटी के सुतीक्षण दास महाराज, और नरहरि दास, ने भी कथा में अपने विचार रखे। इस दौरान, श्री किशोरी जी के प्राकट्य की लीला मंचित की गई, जिसमें "राम रघुबर की प्राण पिया" और "जनकपुर में बाजे बधइयां" जैसे भजन गाकर श्रद्धालुओं ने उत्सव मनाया।
आरती और आयोजन की झलक
कार्यक्रम का समापन व्यासपीठ की आरती के साथ हुआ, जिसमें सिया दीदी, अशोक अग्रवाल, और अन्य श्रद्धालुओं ने हिस्सा लिया। लीला का निर्देशन नरहरि दास महाराज ने किया, और मंच संचालन जय शंकर शर्मा ने। देवकीनंदन ठाकुर ने अपने प्रवचन में सनातन धर्म के संरक्षण और प्रचार के लिए एकजुट प्रयासों की आवश्यकता पर बल देते हुए काशीवासियों से इस अभियान में बढ़-चढ़कर भाग लेने की अपील की।