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मां गंगा के तट पर बही शिवभक्ति की धारा: शिव महापुराण कथा का वाराणसी के डोमरी में भव्य शुभारंभ, सिहोर वाले पंडित प्रदीप मिश्रा बोले - एक लोटा जल सभी समस्याओं का समाधान
वाराणसी। उत्तरवाहिनी मां गंगा की कलकल छलछल करती धारा, लाखों श्रद्धालुओं की भीड़ के बीच बुधवार को कल्याणकारी शिव महापुराण कथा का शुभारम्भ हुआ। इसके बाद सिहोर वाले पंडित प्रदीप मिश्रा ने भगवान शिव की महिमा का गायन किया। इस दौरान पूरा माहौल शिवभक्ति में रम गया।
कार्यक्रम का उद्घाटन कथा मंच के पूजन के साथ हुआ, जिसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालु शामिल हुए। सिहोर वाले पंडित प्रदीप मिश्रा ने अपने प्रेरक प्रवचनों से श्रद्धालुओं को शिव महापुराण की कहानियों में भगवान शिव की महिमा से परिचित कराया। उन्होंने बताया कि एक लोटा जल सभी समस्याओं का समाधान है। इसे भगवान शिव को अर्पित करने से 33 कोटि देवी-देवताओं की पूजा का फल मिलता है। यह छोटा सा कर्म जीवन की बड़ी समस्याओं का समाधान बन सकता है।
श्री शिवाय नमस्तुभ्यं का महत्व
पंडित मिश्रा ने कहा कि कोई भी भक्त यदि ‘श्री शिवाय नमस्तुभ्यं’ मंत्र का जप करता है, तो उसे किसी भी अनिष्ट का सामना नहीं करना पड़ेगा। उन्होंने शिव भक्ति को जीवन में शांति और सुकून का माध्यम बताया।
काशी और मां गंगा की महिमा का विस्तार
कथा के दौरान उन्होंने काशी विश्वनाथ धाम और मां गंगा के महत्व पर प्रकाश डाला। पंडाल में उपस्थित श्रद्धालुओं से गंगा की स्वच्छता बनाए रखने और उसकी पवित्रता का ध्यान रखने की अपील की।
लाखों श्रद्धालुओं की उपस्थिति
कथा के पहले दिन दो लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने आयोजन में भाग लिया। गंगा तट पर गूंजते ‘हर हर महादेव’ और ‘श्री शिवाय नमस्तुभ्यं’ के जयघोष ने माहौल को भक्तिमय बना दिया।
भोलेनाथ की कृपा से जीवन बदलने का संदेश
पंडित मिश्रा ने कहा, ‘भगवान शिव अपने भक्तों पर सदा कृपा बरसाते हैं। यदि हम सच्चे मन से शिव से प्रेम करते हैं और उनकी पूजा में एक लोटा जल अर्पित करते हैं, तो हमारे जीवन की परेशानियां दूर हो सकती हैं। शिवलिंग पर जल चढ़ाकर मंदिर जाएं और मुस्कुराते हुए भगवान को प्रणाम करें।’
आयोजन समिति और उपस्थित श्रद्धालु
इस भव्य आयोजन में महामंडलेश्वर संतोषदास सतुआ बाबा, विट्ठलेश सेवा समिति और उनके साथ संजय केशरी, संदीप केशरी, नीरज केशरी सहित लाखों श्रद्धालु शामिल रहे। कथा मंच पर पूजन और प्रवचन के माध्यम से शिव महापुराण की महिमा को जीवंत रूप में प्रस्तुत किया गया।
भक्ति और सेवा का संगम
भोजन भंडारे और रुद्राक्ष धारण करने का महत्व बताते हुए आयोजन समिति ने भक्तों से सनातन धर्म के प्रति सेवा भाव अपनाने की अपील की। कथा के माध्यम से न केवल शिव की महिमा का बखान हुआ, बल्कि भक्तों को स्वच्छता, सेवा और शिव से जुड़ने का संदेश भी दिया गया।