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विजयदशमी: श्री काशी विश्वनाथ धाम में भगवान शिव के त्रिशूल और परशु की पूजा, शैव परम्परा से शस्त्रों का हुआ पूजन, स्वर्णकार समाज ने लाइसेंसी शस्त्रों को पूजा

वाराणसी। धर्म और अध्यात्म की नगरी काशी में विजयादशमी का पर्व धूमधाम से मनाया गया, जिसमें कई स्थानों पर शस्त्र पूजन का आयोजन किया गया। विजयादशमी का दिन भगवान श्रीराम की विजय और अर्जुन द्वारा शमी वृक्ष की पूजा के साथ जोड़ा जाता है। इसी दिन राजा विक्रमादित्य ने शस्त्र पूजन किया था, जिसके बाद से दशहरे पर शस्त्रों की पूजा करने की परंपरा चलती आ रही है। 

 


इस वर्ष श्री काशी विश्वनाथ धाम में पहली बार शैव परंपरा के शस्त्रों की पूजा का भव्य आयोजन किया गया। भगवान शिव के त्रिशूल, पिनाक धनुष, रुद्रास्त्र, चक्र भवरेंदु, और पाशुपात सहित विभिन्न शस्त्रों का विधिवत पूजन किया गया, जो सनातन धर्म की शौर्य और वीरता की प्रतीक परंपरा को दर्शाता है। 

 

 


श्री काशी विश्वनाथ धाम में इस विशेष अवसर पर शैव शस्त्रों की पूजा मंदिर प्रांगण में आयोजित की गई। पूजन स्थल पर माता अन्नपूर्णा विग्रह के सामने कलश स्थापना स्थल के पास समारोह का आयोजन हुआ। इस पूजा के दौरान भगवान शिव के उन प्रमुख शस्त्रों का आह्वान किया गया, जिनका धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व है। 

 


भगवान शिव के प्रमुख शस्त्रों में त्रिशूल सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है, जो सत, रज और तम का प्रतीक है। शिवजी ने इसी त्रिशूल से कई राक्षसों का वध किया। पिनाक धनुष, शिवजी का महाप्रलयकारी धनुष, भी पूजन का हिस्सा बना। इस धनुष का निर्माण भगवान विश्वकर्मा ने किया था, और इसके प्रहार से शिवजी ने त्रिपुरासुर का वध किया था। रुद्रास्त्र, जो 11 रुद्रों की शक्ति से प्रहार करता है, और चक्र भवरेंदु, शिवजी का अचूक शस्त्र, भी पूजन में शामिल रहे। 

 


इसके अलावा, पाशुपात अस्त्र, जिसे अर्जुन ने शिवजी से घोर तपस्या के बाद प्राप्त किया था, का भी पूजन हुआ। यह अस्त्र महाभारत के युद्ध में अर्जुन ने प्रयोग किया था। खड़ग, जो मेघनाद को भगवान शिव से प्राप्त हुआ था, भी शस्त्र पूजन का हिस्सा बना।

 


अन्य स्थानों पर भी शस्त्र पूजन का आयोजन


काशी के अन्य क्षेत्रों में भी विजयादशमी के अवसर पर शस्त्रों की पूजा की गई। दारानगर स्थित क्षत्रिय स्वर्णकार समाज के कार्यालय में लोगों ने अपने लाइसेंसी शस्त्रों की पूजा कराई। समाज के सदस्य अपनी बंदूकें, रिवॉल्वर और अन्य हथियार लेकर पहुंचे, जहां पंडित ने मंत्रोच्चारण के साथ शस्त्रों का विधिवत पूजन कराया। 

 


पारंपरिक शस्त्रों का प्रदर्शन


इस विशेष अवसर पर शाम को शस्त्रों के पारंपरिक प्रदर्शन का भी आयोजन किया गया। पूर्वांचल से आए प्रशिक्षित कलाकारों ने लाठी, भाला, तलवार, त्रिशूल जैसे शस्त्रों का प्रदर्शन किया। यह पहली बार था जब श्री काशी विश्वनाथ धाम में इस प्रकार का आयोजन हुआ, जो पूरी तरह से शैव परंपरा के अनुसार किया गया। 


विश्वनाथ मंदिर के मुख्य कार्यपालक अधिकारी विश्वभूषण मिश्र ने बताया कि यह आयोजन परंपरा के तहत किया गया और इसमें धनुष, तलवार, त्रिशूल और अन्य शैव शस्त्रों का विशेष पूजन हुआ। बताया कि श्री काशी विश्वनाथ धाम में कई सनातनी परम्पराएं विलुप्त हो चुकी थीं, जिसे फिर से शुरू कराया जा रहा है।

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