राजस्थान के सीमावर्ती जिले जैसलमेर से देश की सुरक्षा के खिलाफ गंभीर साजिश का पर्दाफाश हुआ है। यहां भारतीय खुफिया एजेंसियों ने पाकिस्तान की कुख्यात खुफिया एजेंसी ISI के लिए जासूसी कर रहे एक व्यक्ति पठान खान को गिरफ्तार किया है। गुरुवार को उसे आधिकारिक रूप से आधिकारिक गोपनीयता अधिनियम, 1923 की कई धाराओं के तहत हिरासत में लिया गया।
जानकारी के अनुसार, पठान खान को पहले 28 मार्च 2025 को संदिग्ध गतिविधियों के चलते पूछताछ के लिए हिरासत में लिया गया था। प्रारंभिक पूछताछ में उसकी गतिविधियाँ खुफिया एजेंसियों को संदिग्ध लगीं, जिसके बाद उसे जयपुर लाकर विस्तृत पूछताछ की गई। इस दौरान कई चौंकाने वाले खुलासे सामने आए, जिनसे पता चला कि वह भारतीय सेना से जुड़ी गोपनीय सूचनाएँ, सीमावर्ती इलाकों की तस्वीरें और वीडियो ISI तक पहुंचा रहा था।
सबसे हैरान करने वाली बात यह सामने आई कि पठान खान को पाक खुफिया एजेंसी ISI ने भारतीय सिम कार्ड उपलब्ध कराया था, ताकि वह आसानी से देश के भीतर रहते हुए संवेदनशील जानकारियाँ भेज सके। उसने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स और अन्य डिजिटल माध्यमों का इस्तेमाल करते हुए सेना से संबंधित सूचनाएँ पाकिस्तान तक पहुंचाई थीं।
जांच में यह भी सामने आया है कि पठान वर्ष 2019 में पाकिस्तान गया था, जहां उसके कई रिश्तेदार रहते हैं। एजेंसियों को संदेह है कि उसी यात्रा के दौरान उसकी ISI से मुलाकात हुई और वहीं से उसका जासूसी नेटवर्क शुरू हुआ। अब उसके खिलाफ जयपुर में मामला दर्ज कर लिया गया है और विस्तृत जांच जारी है।
सूत्रों की मानें तो पठान खान ने देश की सुरक्षा से जुड़ी अत्यंत गोपनीय जानकारियाँ विदेशी एजेंसी को सौंपी हैं, जिनमें सीमावर्ती सैन्य चौकियों की तस्वीरें और उनके मूवमेंट से जुड़ी जानकारियाँ भी शामिल हो सकती हैं। जांच अधिकारी यह भी पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि उसके संपर्क में और कौन-कौन लोग थे और इस पूरे जासूसी नेटवर्क में और कौन शामिल हो सकता है।
यह गिरफ्तारी उस समय हुई है जब हाल ही में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव की स्थिति बनी हुई है। ऐसे वक्त में पठान की गिरफ्तारी को सुरक्षा एजेंसियों ने बड़ी सफलता माना है, क्योंकि अगर वह पकड़ा नहीं जाता तो देश की सामरिक जानकारी दुश्मन के हाथों में जा सकती थी, जिससे बड़े खतरे की आशंका बनी रहती।
अब एजेंसियाँ पठान खान के डिजिटल उपकरणों, कॉल रिकॉर्ड्स और सोशल मीडिया गतिविधियों की बारीकी से जांच कर रही हैं। सुरक्षा एजेंसियों को उम्मीद है कि आने वाले दिनों में इस केस से जुड़ी और भी अहम जानकारियाँ सामने आएँगी, जो दुश्मन देशों की जासूसी गतिविधियों को लेकर बड़ी चेतावनी साबित हो सकती हैं।