नई दिल्ली। वक्फ संशोधन बिल को लेकर सुप्रीम कोर्ट में शुक्रवार को दो याचिकाएं दायर की गईं। बिहार के किशनगंज से कांग्रेस सांसद मोहम्मद जावेद और AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने इस बिल को चुनौती दी है। लोकसभा और राज्यसभा में विस्तृत चर्चा के बाद यह बिल पारित हुआ था और अब इसे राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए भेजा जाएगा। राष्ट्रपति की सहमति मिलने के बाद यह कानून का रूप ले लेगा।
बिल पर संसद में लंबी बहस, विपक्ष ने जताई आपत्ति
लोकसभा और राज्यसभा में 2 और 3 अप्रैल को करीब 12-12 घंटे तक इस बिल पर चर्चा हुई। इसके बाद संसद के दोनों सदनों से इसे पारित कर दिया गया। राज्यसभा में बिल पास होने के बाद कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने की घोषणा की। वहीं, तमिलनाडु की DMK पार्टी ने भी इस कानून के खिलाफ याचिका दायर करने की बात कही थी।
पीएम मोदी का बयान - "बिल से पारदर्शिता बढ़ेगी, गरीबों को होगा लाभ"
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस बिल को मुस्लिम समुदाय के गरीब और पसमांदा वर्ग के लिए बड़ा सुधार बताया। उन्होंने शुक्रवार सुबह सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर लिखा कि "वक्फ संपत्तियों में हो रही अनियमितताओं को खत्म करने के लिए यह कानून जरूरी था। खासकर मुस्लिम महिलाओं और गरीब तबके को इससे फायदा होगा।"
लोकसभा की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित
शुक्रवार को लोकसभा की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी गई, जिसके साथ ही 31 जनवरी से शुरू हुआ बजट सत्र समाप्त हो गया। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने बताया कि इस सत्र में वक्फ बिल समेत कुल 16 विधेयक पारित किए गए और सदन की उत्पादकता 118% रही।
विपक्ष ने जताया विरोध, जेडीयू के मुस्लिम नेता देंगे इस्तीफा !
बिल को लेकर राजनीतिक घमासान भी देखने को मिला। जेडीयू (JDU) ने इस बिल का समर्थन किया, लेकिन इसका असर पार्टी पर पड़ा। बिल के समर्थन से नाराज 7 मुस्लिम नेताओं ने पार्टी छोड़ने की घोषणा कर दी। इस्तीफा देने वालों में अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के प्रदेश सचिव मोहम्मद शाहनवाज मलिक, प्रदेश महासचिव मो. तबरेज सिद्दीकी अलीग, भोजपुर के मो. दिलशान राईन और मोतिहारी के ढाका विधानसभा सीट से पूर्व प्रत्याशी मोहम्मद कासिम अंसारी शामिल हैं।
केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू बोले - "बिल से पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित होगी"
अल्पसंख्यक कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने बताया कि यह बिल व्यापक चर्चा और संसदीय प्रक्रियाओं के बाद पारित किया गया है। उन्होंने कहा कि संशोधित बिल में पारदर्शिता, जवाबदेही और सटीकता पर विशेष ध्यान दिया गया है।
अब यह बिल राष्ट्रपति के पास भेजा गया है और उनकी मंजूरी के बाद यह कानून का रूप ले लेगा। विपक्षी दलों और मुस्लिम संगठनों ने इस कानून को धार्मिक मामलों में हस्तक्षेप बताया है, जबकि सरकार इसे पारदर्शिता और सुधार की दिशा में बड़ा कदम मान रही है। सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिकाओं पर सुनवाई के बाद आगे की तस्वीर साफ होगी।