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पीएम मोदी के खिलाफ चुनाव लड़ चुके हैं कांग्रेस यूपी प्रभारी ‘अजय राय’, कभी रहे बीजेपी विधायक, अब कांग्रेस ने बढ़ाया मान

आगामी लोकसभा चुनाव के मद्देनजर सभी पार्टियों ने कमर कस ली है। सभी पार्टियां अपने संगठनात्मक ढांचे में बदलाव कर रही हैं। इसी बीच कांग्रेस ने अपने संगठन में बदलाव करते हुए 17 अगस्त 2023 को  वाराणसी के पिंडरा विधानसभा से पूर्व विधायक अजय राय को उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी का अध्यक्ष नियुक्त किया है। अजय राय पीएम मोदी के खिलाफ  वाराणसी से दो बार लोकसभा चुनाव लड़ चुके हैं। हालांकि इसमें उन्हें करारी हार का सामना करना पड़ा था। माना जा रहा है कि अजय राय के रुतबे को देखते हुए पार्टी ने उन्हें यूपी का प्रभार सौंपा है।


Ajay Rai: बीजेपी के टिकट से ही कई बार विधायक रहे


अजय राय (Ajay Rai) वाराणसी के दिग्गज नेताओं में से एक हैं। भूमिहार समाज से ताल्लुक रखने वाले अजय राय की भूमिहारों में अच्छी पैठ मानी जा रही है। अजय राय के राजनीतिक कैरियर की शुरुआत भारतीय जनता पार्टी से हुई थी। वे 1996 से 2007 तक भाजपा के टिकट पर ही लगातार तीन बार विधायक रहे। 2009 में उन्होंने बीजेपी से लोकसभा का टिकट मांगा, लेकिन उन्हें यह नहीं मिला। पार्टी से नाराज होकर राय ने समाजवादी पार्टी का दामन थाम लिया। लेकिन सपा में भी उनकी एक न चली। 2009 में उन्होंने निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर पिंडरा क्षेत्र से उपचुनाव लड़ा और जीत हासिल की। इसके बाद वे 2012 में कांग्रेस से जुड़ गए।


2014 में पीएम मोदी के खिलाफ चुनाव लड़ा


अजय राय (Ajay Rai) ने 2014 में  वाराणसी सीट से पीएम मोदी के खिलाफ लोकसभा का चुनाव लड़ा, लेकिन इस चुनाव में उन्हें भारी शिकस्त मिली। इस चुनाव में वे तीसरे नंबर पर रहे, दूसरे नंबर आम आदमी पार्टी के प्रमुख अरविन्द केजरीवाल रहे। 2017 में अजय राय ने एक बार फिर से पिंडरा विधानसभा से चुनाव लड़ा, लेकिन वह जीत न सके। खैर, ये तो रही उनके राजनीतिक कैरियर की बात, अब एक नजर डालते अजय राय पर चल रहे मुकदमों पर-


मुकदमों के कारण रद्द हुआ शस्त्र लाइसेंस


अजय राय (Ajay Rai) की लोकप्रियता के साथ ही उनपर मुकदमों की संख्या भी बढ़ने लगी। अजय्राय का इतिहास अपराधिक रहा है। वर्तमान में उनपर दहाई की संख्या में मुकदमे दर्ज हैं। वर्ष 2021 में इन्हीं अपराधिक मामलों के कारण अजय राय का शस्त्र लाइसेंस भी रद्द हुआ था। तत्कालीन जिलाधिकारी कौशल राज शर्मा ने बताया था कि अजय राय पर दर्ज कई मुकदमों के कारण उनका शस्त्र लाइसेंस रद्द किया गया है।


अजय राय (Ajay Rai) के खिलाफ  वाराणसी के विभिन्न थानों सिगरा, चेतगंज, बड़ागांव, दशाश्वमेध, जैतपुरा, कैंट, फूलपुर व भदोही जनपद के थाना कोईरौना व यूपी की राजधानी लखनऊ के थाना हजरतगंज में कुल 16 मुकदमे दर्ज हैं। इनमें गैंगस्टर एक्ट के तहत एक मामला तो दो मुकदमे हत्या के प्रयास जैसे मामलों में दर्ज हैं। अजय राय पर  वाराणसी के पूर्व डिप्टी मेयर अनिल सिंह पर एके-47 से जानलेवा हमले का भी आरोप था, हालांकि बाद में कोर्ट से इस मामले में वे बरी हो गए।


अजय राय पर प्रमुख आपराधिक मुकदमे-


फरवरी 2023 में अजय राय(Ajay Rai) पर वाराणसी के एयरपोर्ट अथॉरिटी ने राहुल गांधी के विमान न उतरने देने का झूठ फ़ैलाने के आरोप में मुकदमा किया था।


जनवरी 2023 में सोनभद्र में स्मृति ईरानी पर अमर्यादित टिप्पणी करने पर मुकदमा दर्ज कराया गया था। बाद में इसपर अजय राय (Ajay Rai) ने सफाई देते हुए कहा था कि यह सब बीजेपी की एक साजिश है।


13 अक्टूबर 2015 को  वाराणसी के गोदौलिया पर अन्याय प्रतिकार यात्रा के दौरान शांतिभंग और दंगा फ़ैलाने के आरोप में अजय राय समेत 82 लोगों पर मुकदमा दर्ज किया था। बाद में इस मामले में अजय राय को छोड़ 81 लोगों पर से मुकदमा वापस ले लिया गया था। इस मामले में अजय राय को NSA कानून के तहत गिरफ्तार भी किया था। 7 महीने जेल में रहने के बाद उन्हें हाई कोर्ट से जमानत मिली।


11 सितम्बर 1996 को बिना अनुमति चुनावी जुलुस निकालने पर अजय राय पर  वाराणसी प्रशासन ने मुकदमा दर्ज किया था। इसे भी अजय राय (Ajay Rai) ने चुनावी रंजिश बताया था।


अजय राय के बाहुबली नेता बृजेश सिंह से भी संबंध बताए जाते हैं।  बनारस के एक वरिष्ठ पत्रकार लिखते हैं, “अब तो बृजेश सिंह ‘माननीय’ हो गए। लेकिन जब वे माफिया डॉन हुआ करते थे, तब उनके शरणदाताओं की सूची में अजय राय का भी नाम हुआ करता था।


बताया जा रहा है कि अजय राय की गांधी परिवार से काफी निकटता है, जिसके कारण उन्हें प्रदेश अध्यक्ष का कार्यभार सौंपा गया है। लेकिन अब जबकि चुनाव में बहुत कम समय बचा रह गया है। ऐसे में शिथिल पड़ चुकी कांग्रेस को फिर से खड़ा करने के लिए अजय राय क्या कदम उठाएंगे, यह एक बड़ी चुनौती है। दूसरी ओर, बीजेपी के लिए भी एक बड़ी चुनौती यह भी है कि क्या वे अपने प्रतिद्वंदी के रूप में 16 मुकदमे दर्ज अपराधिक छवि वाले अजय राय को स्वीकार कर पाएगी, या फिर बीजेपी जनता के बीच यह मुद्दा उठाएगी। यह तो समय ही बताएगा।


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