सुप्रीम कोर्ट में फिर खुलेगा सिकरौरा नरसंहार का मामला, बढ़ सकती हैं बाहुबली बृजेश सिंह की मुश्किलें, हाईकोर्ट के फैसले को दी गई है चुनौती

नई दिल्ली/वाराणसी/चंदौली। पूर्वांचल के बाहुबली नेता और पूर्व एमएलसी बृजेश सिंह की मुश्किलें एक बार फिर बढ़ सकती हैं। 39 साल पुराने सिकरौरा नरसंहार कांड में उनकी दोषमुक्ति को लेकर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई करने जा रहा है। इस मामले में पीड़िता हीरावती देवी की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने पत्रावली तलब की है और केस की सुनवाई में तेजी लाने के निर्देश दिए हैं।


सुप्रीम कोर्ट ने तलब किए केस के मूल दस्तावेज


सुप्रीम कोर्ट की न्यायमूर्ति बीवी नागरत्ना और न्यायमूर्ति सतीश चंद्र शर्मा की खंडपीठ ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय और सत्र न्यायालय से इस केस की मूल फाइलें मंगाने का आदेश दिया है। कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया है कि इस मामले की तेजी से सुनवाई सुनिश्चित की जाए।

 


क्या था सिकरौरा नरसंहार कांड?


यह मामला 9 अप्रैल 1986 का है जब चंदौली जिले के बलुआ थाना क्षेत्र के सिकरौरा गांव में तत्कालीन ग्राम प्रधान रामचंद्र यादव और उनके परिवार के चार मासूम बच्चों (मदन, उमेश, टुनटुन और प्रमोद) सहित सात लोगों की नृशंस हत्या कर दी गई थी।


इस मामले में मुख्य आरोपी बृजेश सिंह को 16 अगस्त 2018 को सत्र न्यायालय ने दोषमुक्त कर दिया था। उनके अलावा 12 अन्य आरोपियों को भी बरी कर दिया गया था।


इलाहाबाद हाईकोर्ट ने भी रखा था जिला कोर्ट का फैसला बरकरार


इस हत्याकांड के बाद रामचंद्र यादव की पत्नी हीरावती देवी ने सत्र न्यायालय के फैसले के खिलाफ इलाहाबाद हाईकोर्ट में अपील दाखिल की थी। लेकिन हाईकोर्ट ने भी तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश प्रीतिंकर दिवाकर और न्यायमूर्ति अजय त्यागी की पीठ के फैसले में जिला कोर्ट के निर्णय को बरकरार रखा।


हालांकि, इस मामले में चार अन्य आरोपियों (पंचम सिंह, वकील सिंह, राकेश सिंह और देवेंद्र सिंह) को हाईकोर्ट ने दोषी ठहराते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई थी।


सुप्रीम कोर्ट में फिर खुलेगा केस


हीरावती देवी ने हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी और बृजेश सिंह सहित सभी दोषमुक्त आरोपियों की रिहाई को रद्द करने की मांग की। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को सुनवाई के लिए स्वीकार कर लिया है और दोषमुक्ति के आदेश की पुन: जांच का निर्देश दिया है।


सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान ही इस केस में सजा पाए आरोपी पंचम सिंह सहित चार दोषियों की जमानत याचिका खारिज कर दी। साथ ही बृजेश सिंह और अन्य आरोपियों की दोषमुक्ति पर भी सुनवाई का आदेश जारी कर दिया।


1985 में पहला हत्या का मुकदमा, 1989 में हिस्ट्रीशीट खुली


बृजेश सिंह का नाम पूर्वांचल के कुख्यात बाहुबलियों में गिना जाता है।


•    उनके खिलाफ पहला हत्या का मुकदमा 1985 में दर्ज हुआ था।


•    1989 में उनकी हिस्ट्रीशीट खोली गई थी।


•    1998 में उनका अंतरराज्यीय गैंग (नंबर-195) पंजीकृत हुआ।


•    1987 से 2008 तक वे फरार रहे और भुवनेश्वर, ओडिशा से गिरफ्तार किए गए।


•    उनके खिलाफ 40 से अधिक आपराधिक मुकदमे लखनऊ, बिहार, झारखंड, महाराष्ट्र, गुजरात, दिल्ली और ओडिशा में दर्ज हैं।


जेल में रहकर बने एमएलसी, अब जमानत पर बाहर


बृजेश सिंह ने 2016 में जेल में रहते हुए उत्तर प्रदेश विधान परिषद (MLC) का चुनाव जीता। हालांकि, अगस्त 2022 में वे जमानत पर रिहा हो गए। वर्तमान में उनकी पत्नी अन्नपूर्णा सिंह वाराणसी से दूसरी बार एमएलसी चुनी गई हैं।

 


गवाहों के बयान और सुप्रीम कोर्ट का रुख


सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में पीड़िता हीरावती देवी ने तर्क दिया कि गवाहों के बयानों में कुछ भिन्नता के आधार पर ही बृजेश सिंह को बरी कर दिया गया था। अब सुप्रीम कोर्ट ने केस की गहन समीक्षा करने और बृजेश सिंह सहित दोषमुक्त किए गए सभी आरोपियों की भूमिका पर दोबारा सुनवाई करने का फैसला किया है।


बृजेश सिंह को सजा देने की मांग


पीड़िता की ओर से दायर अपील में यह मांग की गई है कि सुप्रीम कोर्ट बृजेश सिंह को दोषी ठहराए और उन्हें कड़ी सजा दी जाए। अब देखने वाली बात होगी कि सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई में क्या बृजेश सिंह की दोषमुक्ति बरकरार रहती है या वे इस हत्याकांड में फिर से फंस जाते हैं।

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