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मोदी 3.0 के शपथ ग्रहण से पहले भाजपा को ‘संकटमोचक’ की तलाश, पार्टी में बड़े बदलाव के संकेत, पुरनियों को दिखाया जा सकता है बाहर का रास्ता

वाराणसी/लखनऊ। लोकसभा चुनाव में यूपी की कई सीटों पर भाजपा को मिली हार ने भाजपा के माथे पर चिंता की लकीर खींच दी है। पार्टी में इस पर लगातार मंथन भी चल रहा है। उत्तर प्रदेश के कई नेताओं को दिल्ली बुलाकर उनके साथ यूपी में हार के कारणों पर चर्चा की जा रही है। प्रदेश के नेताओं के साथ बैठक कर शीर्ष नेतृत्व हार के कारणों की तलाश कर रहा है।


राजनीतिक गलियारों में इस बात की चर्चा है कि लोकसभा चुनाव में जिस प्रकार से भाजपा को करारी हार मिली है, उससे प्रदेश संगठन में फेरबदल होना तय है। इस लेकर प्रदेश संगठन के पदाधिकारियों की धुकधुकी बढ़ गयी है। माना जा रहा है कि दिल्ली में नई सरकार के शपथग्रहण होने के बाद पहले राष्ट्रीय संगठन में बदलाव होंगे, इसके ठीक बाद प्रदेश में बदलाव किये जाएंगे। 


पार्टी सूत्रों के मुताबिक, पार्टी में इस बात की चर्चा जोरों पर है कि संगठन ने जमीनी स्तर पर उस हिसाब से काम नहीं किया, जिस प्रकार से उसे ज़रूरत थी। इसे लेकर प्रदेश संगठन में सुगबुगाहट शुरू हो गई है। वैसे राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा का कार्यकाल इसी महीने पूरा हो रहा है। इससे पहले राष्ट्रीय संगठन में अध्यक्ष समेत अन्य पदों को बदलने की तैयारी की जा रही है। इसके बाद यूपी में बदलाव की आशंका जताई जा रही है। 


पार्टी में उन जिलों पर भी फोकस किया जायेगा, जहां पर भाजपा का प्रदर्शन खराब रहा है। ऐसे में क्षेत्रीय अध्यक्ष से लेकर जिला और महानगर अध्यक्षों पर भी गाज गिर सकती है। पार्टी सूत्रों का कहना है कि उन मंत्रियों को भी मंत्रीमंडल से बाहर का रास्ता दिखाया जा सकता है, जहां पर बेहतर परिणाम दिलाने में ये नाकाम रहे। विशेषकर पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र पर इसे लेकर खास फोकस किया गया है। यहां आठ विधायक, तीन एमएलसी, तीन मंत्री और संगठन की लंबी-चौड़ी फ़ौज के बावजूद पीएम मोदी के वोट प्रतिशत में गिरावट को पार्टी का शीर्ष नेतृत्व पचा नहीं पा रहा है। पार्टी सूत्रों का कहना है कि 15 जुलाई के पहले संगठन में बदलाव की तैयारी है। 


लोकसभा चुनाव तो बीत गये अब भाजपा शीर्ष नेतृत्व मंत्रीमंडल में ऐसे लोगों को शामिल करने के लिए मंथन कर रहा है, जिनके जरिए राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों में भाजपा को ऐतिहासिक जीत दिला सके। पार्टी सूत्रों की मानें तो ऐसे में भाजपा शीर्ष नेतृत्व उन चेहरों पर अपना दांव खेल सकता है, जिन्होंने इस चुनाव में ‘संकटमोचक’ बन भाजपा की नैया पार लगाई।


यूपी सियासत के कुछ महत्वपूर्ण चेहरे जिनकी भूमिका पर पार्टी की नज़र – 


- डॉ० महेंद्र सिंह की होगी मंत्रिमंडल में वापसी, मध्य प्रदेश के प्रभारी के रूप में पार्टी को सभी सीटों पर जीत दिलाई। 


- श्रीकान्त शर्मा की होगी वापसी, हिमाचल प्रदेश में प्रभारी थे सभी लोकसभा सीटें पार्टी विजयी रही। 


- ⁠सिद्धार्थ नाथ सिंह आंध्र प्रदेश में प्रभारी थे मंत्रिमंडल में इनकी वापसी की अटकलें है। 


- ⁠लक्ष्मीकान्त बाजपेयी, राज्यसभा सांसद, झारखंड के प्रभारी थे। पार्टी ने विपरीत हालत में वहाँ अच्छा प्रदर्शन किया, मोदी मंत्रिमंडल में मिल सकती है जगह। 


- ⁠डॉ० राधा मोहन दास अग्रवाल, सांसद, राज्यसभा - कर्नाटक के प्रभारी थे पार्टी वहाँ सरकार न होने के बावजूद अपनी ज़मीन बचाने में कामयाब रही। ख़ास कर मुश्किल सीटों पर पार्टी ने विजय हासिल की। 


- ⁠डॉ दिनेश शर्मा, राज्यसभा सांसद दिल्ली में केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल किए जा सकते है, पार्टी कैडर के नेता है, महाराष्ट्र के प्रभारी थे, यूपी में अवध क्षेत्र में संगठन में उनकी मज़बूत पकड़ है ऐसे में एक बड़े ब्राह्मण चेहरे के तौर पर शामिल किए जा सकते है। 


- ⁠पंकज चौधरी, सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री, पूर्वांचल में मुश्किल हालात में सीट निकाल कर लाए, पार्टी का बड़ा कुर्मी (पिछड़ा) चेहरा हैं। पार्टी उन्हें एक बार फिर मौक़ा दे सकती है। 


- ⁠कांग्रेस से बीजेपी में आये आरपीएन सिंह राज्यसभा में MP है उनके आने से आसपास की लोकसभा सीटें जीतने में बीजेपी को सफलता मिली पार्टी उन्हें मौक़ा दे सकती है। 


- ⁠जितिन प्रसाद, रुहलखंड में बीजेपी के लिए बड़ा ब्राह्मण चेहरा, अब पीलीभीत से MP है, राज्य सरकार में पीडब्लूडी का अहम ओहदा संभालते हैं, ऐसे में दिल्ली में भी महत्वपूर्ण ज़िम्मेदारी मिल सकती है। 


- ⁠इनके अलावा कमलेश पासवान, अशोक रावत, जय प्रकाश रावत, डॉ० महेश शर्मा, SP सिंह बघेल और गठबंधन की अनुप्रिया पटेल की भूमिका महत्वपूर्ण रहेगी।



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