महाराष्ट्र के 21वें मुख्यमंत्री के तौर पर देवेंद्र फडणवीस ने बुधवार को शपथ ली। यह मुख्यमंत्री के रूप में उनकी तीसरी पारी है। फडणवीस को बुधवार को BJP विधायक दल का नेता चुना गया। यह निर्णय न केवल महायुति (BJP-शिवसेना-एनसीपी) की जीत का परिणाम है, बल्कि एक पूर्व नियोजित रणनीति का हिस्सा भी है।
RSS और BJP की पहले से बनी योजना
RSS से जुड़े सूत्रों के अनुसार, फडणवीस के मुख्यमंत्री बनने की स्क्रिप्ट अगस्त में ही लिखी जा चुकी थी। निर्णय यह हुआ था कि महायुति की सरकार बनने पर BJP का मुख्यमंत्री होगा, और यदि सरकार नहीं बनी, तो फडणवीस को BJP का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया जाएगा।
23 नवंबर को विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद, जब महायुति को बहुमत मिला, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने फडणवीस को फोन करके उन्हें बधाई दी।
एकनाथ शिंदे की भूमिका
महायुति की सरकार में मुख्यमंत्री पद को लेकर एकनाथ शिंदे की नाराजगी की खबरें आईं। शिंदे ने यह सुनिश्चित करने की कोशिश की कि जनता के बीच यह संदेश जाए कि वे आखिरी दम तक अपने अधिकार के लिए लड़े।
वरिष्ठ पत्रकार विनोद राउत के अनुसार, "शिंदे को यह साबित करना था कि उनकी शिवसेना उद्धव ठाकरे वाली शिवसेना से कमजोर नहीं है। उन्होंने जनता को यह मैसेज देने के लिए वक्त लिया कि वे एक जुझारू नेता हैं। हालांकि, शिंदे को पहले से पता था कि मुख्यमंत्री BJP का होगा।"
BJP की रणनीति और फडणवीस का कद
2019 में शिवसेना के साथ गठबंधन टूटने से सबक लेते हुए BJP ने इस बार अपने सहयोगियों को पूरा सम्मान देने का प्रयास किया। यह सुनिश्चित किया गया कि अमित शाह और अन्य नेता शिंदे से लगातार संवाद बनाए रखें।
प्रधानमंत्री मोदी और RSS प्रमुख मोहन भागवत के समर्थन से फडणवीस BJP के भीतर एक मजबूत नेता के रूप में उभरे हैं। 2022 में डिप्टी CM की भूमिका स्वीकार करने के बाद उन्होंने पार्टी नेतृत्व के प्रति निष्ठा दिखाई, जिसका इनाम उन्हें अब मुख्यमंत्री बनकर मिला है।
महायुति की सरकार में पावर शेयरिंग
शिंदे और अजित पवार के साथ महायुति के अन्य नेताओं को संतुष्ट करने के लिए मंत्रिमंडल में पावर शेयरिंग का फॉर्मूला तैयार किया गया है। गृह और वित्त जैसे मंत्रालयों पर चर्चाएं अभी जारी हैं।
आसान नहीं है आगे की चुनौतियां
फडणवीस के सामने अब महायुति के भीतर समन्वय बनाए रखना और सरकार को सुचारू रूप से चलाना सबसे बड़ी चुनौती होगी। वहीं, शिंदे और अजित पवार की महत्वाकांक्षाओं को भी संतुलित करना जरूरी होगा।