Ram Temple Design: सरयू ने कभी रास्ता बदला तो राम मंदिर का क्या होगा? पढ़िए मंदिर निर्माण करने वाले इंजीनियर ने सुरक्षा के बारे में क्या बताया

Ram Temple Design: अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा को एक वर्ष पूरे होने को है। शताब्दियों का हिन्दुओं का संघर्ष अब समाप्त हो चुका है। रामलला अपने आंगन में विराजमान हो चुके हैं। यह मंदिर दुनिया का एक ऐसा मंदिर है, जो सुरक्षा की दृष्टि से काफी मजबूत है। यह हजारों सालों तक सुरक्षित रहेगा।


इसी बीच भविष्य में होने वाली आशंकाओं को लेकर कुछ लोगों को चिंता सता रही है कि कभी सरयू ने रास्ता बदला, तो राम मंदिर का क्या होगा? तो इसके लिए उन्हें डरने की ज़रूरत नहीं है। मंदिर निर्माण के समय अतीत की घटनाओं से सबक लेते हुए भविष्य का भी पूरा ध्यान रखा गया है। मंदिर पूरी तरह से सुरक्षित है और रहेगा।

 

Ram Temple Design: सरयू के रास्ता बदलने का नहीं पड़ेगा असर


श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने मंदिर निर्माण के शुरुआत में ही कहा था कि भगवान राम का ऐसा मजबूत मंदिर बनाने की दिशा में काम चल रहा है कि न तो वह भूकंप से डिगे और न ही सरयू नदी के रास्ता बदलने से उस पर कोई विपरीत प्रभाव पड़े। उन्होंने कहा था कि मंदिर निर्माण के लिए तमाम तकनीकी विशेषज्ञों ने बहुत गहराई से होमवर्क किया।

 


चारों तरफ बनाई रिटेनिंग वॉल


दरअसल यह सारी कवायद करने का कारण यह है कि अयोध्या सरयू नदी के तट पर बसी है। मंदिर की नींव की खुदाई हुई तो यहां नीचे भुरभुरी बालू की सतह मिली। जिससे राम मंदिर की मजबूत नींव बनाने की चुनौती खड़ी हो गई थी। लेकिन भारतीय इंजीनियरों ने इसे स्वीकार किया। राम मंदिर को सरयू नदी की बाढ़ और उसके मार्ग बदलने पर सुरक्षित करने के लिए उसके चारों तरफ रिटेनिंग वॉल (क्रंकीट की दीवार) का निर्माण किया गया है। ताकि भविष्य में सरयू नदी का कटान मंदिर की ओर बढ़े तो उसे कोई खतरा पैदा ना हो। वह वैसा का वैसा ही सुरक्षित बना रहे।


ग्रेनाइट पत्थर की मुख्य भूमिका


मंदिर निर्माण में उसकी ऊपरी सुरक्षा के साथ ही जमीन के नीचे भी सुरक्षा कवच तैयार किया गया है। मंदिर की 20 फीट ऊंची प्लिंथ पर रिटेनिंग वॉल का निर्माण किया गया है। प्राकृतिक आपदाओं से बचाने के लिए रिटेनिंग वॉल एक सुरक्षा कवच की तरह तैयार की गई है। यह सुरक्षा दीवार मंदिर की तीन दिशाओं पश्चिम, उत्तर और दक्षिण में बन रही है। इस दीवार को 12 मीटर जमीन के अंदर गहराई तक बनाया गया है। इसमें ग्रेनाइट के पत्थर लगाए गए हैं, क्याेंकि उनमें पानी को सोखने की क्षमता अधिक होती है। दरअसल, शोध में पाया गया कि सरयू नदी अब तक पांच बार अपनी दिशा बदल चुकी है।

 


नागर शैली पर आधारित है मंदिर की डिजाईन


मंदिर पूरी तरह से प्राचीन नागर शैली में बनाया गया है। जिसकी लंबाई (पूर्व से पश्चिम) 380 फीट, चौड़ाई 250 फीट तथा ऊंचाई 161 फीट है, साथ ही मंदिर तीन मंजिला है। प्रत्येक मंजिल की ऊंचाई 20 फीट है। मंदिर में कुल 392 खंभे व 44 द्वार हैं।


मंदिर के भीतर मुख्य गर्भगृह की बात करें तो मुख्य गर्भगृह में प्रभु श्रीराम का बालरूप (श्रीरामलला सरकार का विग्रह), तथा प्रथम तल पर श्रीराम दरबार स्थापित। इस भव्य मंदिर में पांच मंडपों के रूप मंस नृत्य मंडप, रंग मंडप, सभा मंडप, प्रार्थना मंडप व कीर्तन मंडप बने हैं। वहीं खंभों व दीवारों पर देवी देवता तथा देवांगनाओं की मूर्तियां उकेरी गई हैं।

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