नई दिल्ली। 2024 का साल भारतीय राजनीति के लिए बेहद हलचल भरा और विवादों से लबरेज रहा। लोकसभा चुनावों के साथ-साथ कई राज्यों में विधानसभा चुनाव भी हुए, और इन चुनावों ने भारतीय राजनीति की दिशा को नया मोड़ दिया। लेकिन जितना महत्त्वपूर्ण यह चुनावी साल था, उससे कहीं अधिक सुर्खियों में रहा वह बयानबाजी, जो नेताओं की जुबान से निकलकर पूरे देश में राजनीतिक हंगामा खड़ा करती रही। इस दौरान नेताओं ने कई बार अपनी निजी रायों और विवादित बयानों से विवादों को जन्म दिया। आइए, जानते हैं कुछ प्रमुख बयानों के बारे में, जिन्होंने राजनीति को गर्माया।
महबूबा मुफ्ती की बेटी इल्तिजा मुफ्ती का विवादास्पद बयान
कश्मीर की प्रमुख राजनीतिक पार्टी PDP की नेता महबूबा मुफ्ती की बेटी इल्तिजा मुफ्ती ने नवंबर 2024 में 'हिंदुत्व' को बीमारी करार दिया था। उनके बयान ने हंगामा मचा दिया, और इल्तिजा ने सफाई देते हुए कहा कि उन्हें गलत को गलत कहने में कोई संकोच नहीं है। यह बयान न केवल कश्मीर बल्कि पूरे देश में चर्चा का विषय बन गया।
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे का बयान
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने भाजपा और आरएसएस को 'जहर' बताया और कहा कि ये दोनों ताकतें भारत के लिए खतरे की घंटी हैं। खड़गे का बयान बहुत हद तक राजनीतिक ध्रुवीकरण की ओर इशारा करता है। उन्होंने यह भी कहा कि सांप अगर किसी को काटे तो वह व्यक्ति मर जाता है, ऐसे जहरीले सांपों को मार देना चाहिए। कांग्रेस के कुछ अन्य नेताओं ने भी चुनाव आयोग पर विवादित टिप्पणी की, जिसे लेकर राजनीतिक माहौल गरमा गया।
लालू यादव जा रहे थे नैन सेंकने !
राजद प्रमुख और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू यादव भी अपनी विवादित टिप्पणियों के लिए सुर्खियों में रहे। 10 दिसंबर को उन्होंने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की महिला संवाद यात्रा पर सवाल उठाते हुए कहा, "वह नैन सेंकने जा रहे हैं।" यह बयान न केवल राजनीतिक बल्कि सामाजिक मुद्दों को भी उबालने का काम करता है, जिसके बाद उन्हें तीव्र आलोचनाओं का सामना करना पड़ा।
दक्षिण भारत में हिंदुत्व पर विवाद
दक्षिण भारत में भी इस साल हिंदुत्व पर कई विवादित बयान सामने आए। डीएमके के नेता उदयनिधि मारन ने सनातन धर्म को बीमारी कहा था, जबकि कर्नाटक के मंत्री दिनेश गुंडू राव ने वीर सावरकर के विचारों को कट्टरपंथी बताते हुए गांधीजी के विचारों को प्रगतिशील कहा। इन बयानों ने न केवल दक्षिण भारत की राजनीति को प्रभावित किया, बल्कि पूरे देश में इस मुद्दे को लेकर बहसें शुरू हो गईं।
हिमाचल प्रदेश मंत्री का कंगना रनौत पर बयान
हिमाचल प्रदेश के राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी ने बॉलीवुड अभिनेत्री कंगना रनौत पर विवादित टिप्पणी की थी। उन्होंने कहा कि कंगना भारी बारिश की चेतावनी के बावजूद मंडी नहीं आईं क्योंकि उनका मेकअप खराब हो सकता था। इस बयान ने मनोरंजन और राजनीति दोनों क्षेत्रों में हलचल मचा दी और कंगना ने इसका कड़ा विरोध किया।
सैम पित्रोदा की नस्लीय टिप्पणी
कांग्रेस नेता सैम पित्रोदा ने मई 2024 में एक नस्लीय टिप्पणी की थी, जिसमें उन्होंने उत्तर, पूर्व, दक्षिण और पश्चिम भारत के लोगों को लेकर आपत्तिजनक शब्दों का इस्तेमाल किया। कांग्रेस ने बाद में इसे पित्रोदा की व्यक्तिगत राय बताते हुए इससे खुद को अलग किया। लेकिन इस टिप्पणी ने पित्रोदा और कांग्रेस दोनों की साख को नुकसान पहुँचाया।
भाजपा नेता का संविधान पर बयान
भाजपा. के पूर्व सांसद लल्लू सिंह ने संविधान में संशोधन की बात की और यह सुझाव दिया कि दो-तिहाई बहुमत से नया संविधान बनाना चाहिए। इस बयान ने भारतीय संविधान और लोकतंत्र के मूल्यों पर बहस छेड़ दी, और विपक्ष ने इसे एक गंभीर राजनीतिक मुद्दा बना लिया।
2024 में भारतीय राजनीति में नेताओं के विवादित बयान, चुनावी बयानबाजी और आपत्तिजनक टिप्पणियों ने राजनीतिक वातावरण को गरमाया। इन बयानों ने ना सिर्फ राजनीतिक दलों के बीच मतभेद बढ़ाए, बल्कि जनमानस में भी नई बहसें शुरू की। इन बयानों का असर चुनावों और राजनीतिक विमर्श पर पड़ा और आगामी सालों में इन घटनाओं के राजनीतिक परिणाम भी देखे जा सकते हैं।