Arun Yogiraj: ‘रामलला हम आएंगे मंदिर वहीं बनाएंगे’ करोड़ों सनातनियों की पांच शताब्दियों की तपस्या का अंत होने वाला है। रामलला की प्राण प्रतिष्ठा में अब चंद दिन ही शेष बचे हैं। आज से ही इसकी तैयारी शुरू कर दी जाएगी। आज से ठीक छठवें दिन नवनिर्मित भव्य मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की जाएगी।
मैसूरू के शिल्पकार अरुण योगीराज द्वारा बनाई गई रामलला की एक नई मूर्ति को अयोध्या में राम मंदिर की स्थापना के लिए चुना गया है। इसकी जानकारी राम मंदिर ट्रस्ट क्षेत्र के प्रमुख चंपत राय ने सोमवार को दी। चंपत राय ने बताया कि रामलला की वर्तमान मूर्ति को भी नए मंदिर के गर्भगृह में रखा जाएगा।
चंपत राय ने अरुण योगीराज की तारीफ करते हुए कहा कि कई पीढ़ियों से उनके परिवार में मूर्ति निर्माण का कार्य चल रहा है। बताया कि केदारनाथ में शंकराचार्य जी की प्रतिमा और दिल्ली में सुभाष चंद्र बोस जी की भी प्रतिमा इसी नौजवान ने बनाई है। अरुण बहुत कम उम्र का है और वह काफी हंसमुख और विनम्र है। जिस तरह से उसने यह जीवन जिया है, उसे आप सोच भी नहीं सकते। रामलला की मूर्ति बनाते समय उसने अपने परिवार से 15-15 दिन तक बात तक नहीं की। ट्रस्ट उसकी एकाग्रता और काम की प्रशंसा करता है।
Arun Yogiraj: बचपन से बना रहे महापुरुषों की मूर्तियां
मैसूर के प्रसिद्ध मूर्तिकारों वाले परिवार की पृष्ठभूमि से आने वाले अरुण योगीराज वर्तमान में देश में सबसे अधिक मांग वाले मूर्तिकार हैं। अरुण के पिता योगीराज भी एक कुशल मूर्तिकार हैं। उनके दादा बसवन्ना शिल्पी को मैसूर के राजा का संरक्षण प्राप्त था। अरुण योगीराज भी बचपन से ही नक्काशी के काम से जुड़े रहे हैं।
अरुण की अपनी ऑफिशियल वेबसाइट के मुताबिक, MBA पूरा करने के बाद उन्होंने कुछ समय तक एक प्राइवेट कंपनी में काम किया। मगर जन्मजात मूर्तिकला पेशे कौशल के कारण उनका नौकरी में मन नहीं लगा। इसके बाद वर्ष 2008 से उन्होंने नक्काशी में अपना कैरियर जारी रखा है।