काल बना कोहरा: यमुना एक्सप्रेस-वे पर टकराई 8 बसें-3 कारें, भाजपा नेता समेत 13 लोगों के उड़े चिथड़े, पॉलीथिन में ले गये शवों के टुकड़े, 70 से अधिक घायल

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मथुरा में यमुना एक्सप्रेस-वे पर मंगलवार सुबह घने कोहरे ने ऐसा भयावह मंजर रच दिया, जिसने पूरे प्रदेश को झकझोर कर रख दिया। थाना बलदेव क्षेत्र के माइलस्टोन 127 के पास एक के बाद एक गाड़ियां आपस में भिड़ गईं। इस भीषण हादसे में 8 बसें और 3 कारें चपेट में आ गईं। टक्कर के तुरंत बाद कई वाहनों में आग लग गई, जिससे 13 लोगों की जिंदा जलकर मौत हो गई, जबकि करीब 70 लोग गंभीर रूप से घायल हो गए। मृतकों में एक भाजपा नेता भी शामिल बताए जा रहे हैं। आशंका जताई जा रही है कि मरने वालों की संख्या और बढ़ सकती है, क्योंकि बसों के भीतर से मानव अंगों के कटे हुए अवशेष मिले हैं, जिनकी पहचान डीएनए जांच के जरिए की जाएगी।

 

प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, सुबह के वक्त एक्सप्रेस-वे पर दृश्यता लगभग शून्य थी। अचानक एक स्लीपर बस के सामने घनी धुंध छा गई, जिसके चलते चालक ने तेजी से ब्रेक लगा दिए। पीछे से आ रही अन्य बसें और कारें एक-एक कर उसमें जा घुसीं। कुछ ही पलों में जोरदार धमाकों की आवाजें गूंजने लगीं। टक्कर इतनी भीषण थी कि एक एसी बस में तुरंत आग लग गई। आग ने देखते ही देखते अन्य वाहनों को भी अपनी चपेट में ले लिया। यात्रियों को संभलने और बाहर निकलने तक का मौका नहीं मिल पाया।

 

हादसे की सूचना सबसे पहले एक राहगीर ने पुलिस को दी। पुलिस के पहुंचने से पहले ही आसपास के ग्रामीण और राहगीर मौके पर पहुंच गए और किसी तरह लोगों को बाहर निकालने की कोशिश करने लगे। प्रत्यक्षदर्शी भगवान दास ने बताया कि टक्कर के बाद ऐसा लगा जैसे कोई बड़ा विस्फोट हो गया हो। लोग जान बचाने के लिए बसों के शीशे तोड़कर बाहर कूदते दिखे, लेकिन कुछ ही देर में बसें पूरी तरह आग की लपटों में घिरकर राख में तब्दील हो गईं। स्थानीय लोगों की मदद से एक बस से 8 से 9 शव बाहर निकाले गए।

 

हालांकि, स्थानीय लोगों का आरोप है कि रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू होने में करीब एक घंटे की देरी हुई। बाद में पुलिस, फायर ब्रिगेड, SDRF, NHAI और प्रशासन की टीमें मौके पर पहुंचीं। करीब 50 से अधिक जवानों और 9 थानों की पुलिस ने संयुक्त रूप से राहत एवं बचाव कार्य संभाला। छह घंटे की कड़ी मशक्कत के बाद रेस्क्यू ऑपरेशन पूरा किया जा सका। इस दौरान एक्सप्रेस-वे पर करीब तीन किलोमीटर लंबा जाम लग गया, जिससे यातायात पूरी तरह ठप हो गया।

 

पुलिस ने खरोंच कर निकाले शव

 

घायलों को तत्काल 11 एंबुलेंस की मदद से मथुरा जिला अस्पताल और वृंदावन संयुक्त जिला अस्पताल भेजा गया। गंभीर रूप से घायल यात्रियों को आगरा मेडिकल कॉलेज रेफर किया गया है। डॉक्टरों के मुताबिक कई घायलों की हालत नाजुक बनी हुई है। पुलिस को बसों के भीतर जले हुए और क्षत-विक्षत शवों को खरोच-खरोच कर निकालना पड़ा। कटे हुए मानव अंगों को 17 पॉलिथीन बैग में सुरक्षित रखकर पोस्टमॉर्टम हाउस भेजा गया है। इनकी शिनाख्त डीएनए परीक्षण के जरिए की जाएगी।

 

हादसे की गंभीरता को देखते हुए जिलाधिकारी और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक समेत तमाम प्रशासनिक अधिकारी मौके पर पहुंचे। आग पर काबू पाने के बाद मलबा हटाने का काम शुरू कर दिया गया। सुबह कोहरा छंटने पर एक्सप्रेस-वे पर हर तरफ जली हुई बसों और गाड़ियों का मंजर दिखाई दिया, मानो पूरी सड़क राख में बदल गई हो।

 

इस हादसे की मजिस्ट्रेट जांच के आदेश दे दिए गए हैं। अपर जिलाधिकारी प्रशासन अमरेश के नेतृत्व में चार सदस्यीय जांच टीम गठित की गई है, जिसमें एसपी देहात, लोक निर्माण विभाग के अधिशासी अभियंता और एआरटीओ प्रवर्तन को शामिल किया गया है। टीम को 48 घंटे के भीतर अपनी रिपोर्ट प्रशासन को सौंपने के निर्देश दिए गए हैं।

 

पीएम और सीएम ने जताया शोक

 

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस दर्दनाक हादसे पर गहरा शोक व्यक्त करते हुए मृतकों के परिजनों को 2-2 लाख रुपये की आर्थिक सहायता देने की घोषणा की है। वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी घटना पर दुख जताया और घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना की। प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष से मृतकों के परिजनों को 2-2 लाख रुपये और घायलों को 50-50 हजार रुपये की सहायता राशि देने का ऐलान किया गया है।

 

प्रशासन ने जारी किया हेल्पलाइन नंबर

 

जिला प्रशासन ने हादसे के बाद हेल्पलाइन नंबर भी जारी किए हैं, ताकि परिजन और आमजन जानकारी प्राप्त कर सकें। पोस्टमॉर्टम हाउस पहुंचकर मंडलायुक्त शैलेंद्र कुमार सिंह और डीआईजी शैलेश कुमार पांडे ने मृतकों के परिजनों से मुलाकात कर उन्हें ढांढस बंधाया और हरसंभव मदद का भरोसा दिलाया।

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