यूपी में लड़कियों के धर्मांतरण और सेक्स रैकेट का सरगना एटीएस के बाद अब ईडी के चंगुल से फंस चुका है। उत्तर प्रदेश के बलरामपुर जिले से गिरफ्तार किए गए जमालुद्दीन उर्फ छांगुर बाबा पर अब केंद्रीय एजेंसियों का शिकंजा कसता जा रहा है। धर्मांतरण रैकेट के मास्टरमाइंड माने जा रहे छांगुर बाबा इस समय यूपी एटीएस की रिमांड में हैं, और अब प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की एंट्री के बाद मामला बहुस्तरीय आर्थिक अपराध की दिशा में बढ़ता दिख रहा है।
ईडी को जांच में जो आंकड़े मिले हैं, उन्होंने सुरक्षा एजेंसियों की नींद उड़ा दी है। जांचकर्ताओं के मुताबिक, छांगुर बाबा से जुड़े कुल 30 बैंक खातों में से 18 की जानकारी अब तक ईडी के हाथ लग चुकी है, जिनमें लगभग 68 करोड़ रुपये का संदिग्ध लेनदेन दर्ज किया गया है। विशेष रूप से पिछले तीन महीनों के भीतर ही करीब 7 करोड़ रुपये की विदेशी फंडिंग इन खातों में दर्ज की गई है। यह पैसा अलग-अलग देशों से एकाधिक बार भेजा गया है, जिससे अंतरराष्ट्रीय हवाला नेटवर्क की आशंका प्रबल हो गई है।
सूत्रों के अनुसार, ये रकम बाबा के कथित 'धार्मिक और आध्यात्मिक कार्यक्रमों' के नाम पर भेजी गई थी, लेकिन इसका असली इस्तेमाल किस उद्देश्य के लिए हुआ, इस पर ईडी की जांच जारी है। जांच एजेंसी यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि क्या यह पैसा मनी लॉन्ड्रिंग के जरिए भारत में घुसाया गया, और क्या इसका इस्तेमाल धर्मांतरण से जुड़े नेटवर्क को मजबूत करने में किया गया।
ईडी अब बाबा की सम्पत्तियों का भी लेखा-जोखा खंगाल रही है। बाबा की आय, टैक्स रिटर्न, प्रॉपर्टी खरीद-बिक्री और लेन-देन से जुड़े दस्तावेजों की पड़ताल तेज कर दी गई है। आशंका जताई जा रही है कि कई अचल संपत्तियां फर्जी ट्रस्टों और सहयोगियों के नाम पर खरीदी गई हैं, लेकिन असली मालिक खुद छांगुर बाबा ही हैं। यदि यह आरोप सिद्ध होता है, तो मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत उन संपत्तियों को जब्त किया जा सकता है।
वहीं, जिन 12 खातों की जानकारी अब तक ईडी को नहीं मिली है, उनके डेटा प्राप्त होने के बाद जांच और व्यापक हो जाएगी। एजेंसी यह भी देख रही है कि विदेशी फंडिंग किन माध्यमों से भारत पहुंची और इसके पीछे कौन-कौन लोग या संगठन सक्रिय थे। अंतरराष्ट्रीय वित्तीय निगरानी एजेंसियों से भी संपर्क साधा जा रहा है ताकि ट्रांजेक्शन के स्रोत को पूरी तरह से उजागर किया जा सके।
जांच अधिकारियों का कहना है कि अब छांगुर बाबा का नेटवर्क सिर्फ धार्मिक गतिविधियों तक सीमित नहीं रहा, बल्कि यह पूरी तरह से एक योजनाबद्ध अंतरराष्ट्रीय आर्थिक-सामाजिक साजिश के रूप में सामने आ रहा है। आने वाले दिनों में ईडी द्वारा बड़ी जब्ती और गिरफ्तारियों की संभावना जताई जा रही है।
इस मामले में बाबा के करीबी कई सहयोगियों पर भी एजेंसी की नजर है, जिनके नाम ट्रस्टों और बैंक खातों में सामने आए हैं। अनुमान है कि धर्मांतरण की आड़ में एक बड़ा मनी ट्रेल छिपा हुआ है, जिसकी परतें जैसे-जैसे खुलेंगी, मामले की गंभीरता और गहराई और बढ़ती जाएगी।