हलेलुइया के मेला में प्रार्थना सभा, बड़े पैमाने पर चल रहा था धर्मांतरण का खेल, मिशनरी गिरोह में शमिल होकर फेरी वाले ने खड़ी कर ली करोड़ों की संपत्ति, 20 गिरफ्तार

https://admin.thefrontfaceindia.in/uploads/725834745_hallelujah-prayer-meet-mass-conversion-unnao.jpg

उन्नाव जिले के अचलगंज थाना क्षेत्र के हुलासखेड़ा गांव में सामने आए कथित धर्मांतरण प्रकरण ने ग्रामीण अंचल में गहरी हलचल पैदा कर दी है। रविवार को गांव में मचे शोर-शराबे के बाद पुलिस ने शांति व्यवस्था बनाए रखने के उद्देश्य से 20 लोगों को हिरासत में लेकर शांतिभंग की कार्रवाई की। हालांकि प्रशासन की ओर से अब तक धर्मांतरण की गतिविधियों की आधिकारिक पुष्टि नहीं की गई है, लेकिन गांव के ही एक युवक पंकज राजपूत को लेकर उठ रहे सवालों ने इस पूरे मामले को संदेह के दायरे में ला दिया है।

 

ग्रामीणों के अनुसार, पंकज राजपूत की पहचान कुछ साल पहले तक एक साधारण युवक के रूप में थी, जो साइकिल पर गांव-गांव घूमकर कपड़ों की फेरी लगाया करता था। उसकी आमदनी सीमित थी और रहन-सहन भी उसी के अनुरूप था। लेकिन बीते दो वर्षों में उसकी आर्थिक स्थिति में जो अप्रत्याशित बदलाव आया, उसने गांव वालों को चौंका दिया। खेत में करीब तीन हजार वर्ग फीट में पक्का मकान निर्माणाधीन है, कस्बे में कपड़ों की दुकान खुल चुकी है और जीवनशैली पहले की तुलना में कहीं अधिक भव्य हो गई है।

 

गांव के बुजुर्गों और पड़ोसियों का कहना है कि फेरी लगाकर कपड़े बेचने से इतनी बड़ी आर्थिक उन्नति संभव नहीं लगती। इसी असामान्य प्रगति ने संदेह को जन्म दिया। हालांकि पंकज का स्वभाव शांत और मृदुभाषी होने के कारण किसी ने उससे खुलकर सवाल नहीं किए। ग्रामीण बताते हैं कि इसी बीच वह कथित तौर पर मिशनरी संगठनों के संपर्क में आया और फिर धीरे-धीरे खेत में बन रहे अपने मकान को प्रार्थना सभाओं का केंद्र बना दिया।

 

बताया जा रहा है कि इन सभाओं में बीमारी से पीड़ित लोगों को विशेष रूप से बुलाया जाता था। उन्हें यह भरोसा दिलाया जाता कि प्रार्थना के माध्यम से उनकी शारीरिक व्याधियां दूर हो जाएंगी। रविवार की शाम को इन सभाओं में न केवल हुलासखेड़ा बल्कि आसपास के गांवों से भी सैकड़ों लोग जुटने लगे। वहां पहले से मौजूद कुछ लोग कथित रूप से यह प्रचार करते थे कि वे स्वयं गंभीर बीमारियों से यहां प्रार्थना के बाद ठीक हो चुके हैं, जिससे नए आने वालों का विश्वास और गहरा हो जाता था।

 

ग्रामीणों का आरोप है कि इन सभाओं के बाद जरूरतमंदों को सहायता के नाम पर धन और मवेशी भी दिए जाते थे, ताकि वे आयोजकों पर निर्भर हो जाएं। इसी प्रक्रिया में गांव के भोले-भाले लोग कब अपने पारंपरिक धार्मिक विश्वासों से दूर होते चले गए, किसी को समय रहते इसका आभास नहीं हुआ। जब कुछ लोगों को यह शक गहराने लगा कि यहां केवल प्रार्थना नहीं बल्कि धर्मांतरण की कोशिशें हो रही हैं, तो उन्होंने स्थानीय हिंदू संगठनों को सूचना दी।

 

सूचना मिलने पर रविवार को हिंदू संगठनों से जुड़े लोग मौके पर पहुंचे, जिसके बाद तनाव की स्थिति बन गई। पुलिस को भी बुलाया गया और शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए 20 लोगों को थाने लाया गया। हालांकि शिकायत करने वालों की ओर से लिखित तहरीर न मिलने के कारण पुलिस ने शांतिभंग की आशंका में ही कार्रवाई की।

 

अचलगंज थाना प्रभारी ब्रजेश कुमार शुक्ला ने बताया कि हुलासखेड़ा में धर्मांतरण की गतिविधियों की अभी तक ठोस पुष्टि नहीं हुई है। सभी पहलुओं की जांच की जा रही है। फिलहाल बिना अनुमति धार्मिक या प्रार्थना सभा आयोजित करने पर रोक लगा दी गई है। आयोजकों को स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं कि भविष्य में किसी भी धार्मिक आयोजन के लिए प्रशासनिक अनुमति अनिवार्य होगी।

 

ग्रामीणों का कहना है कि हुलासखेड़ा की घटना अकेली नहीं है। क्षेत्र के बंथर, रजवाखेड़ा, बदरका, छेरिहा, गड़ारी, जगजीवनपुर, मालमऊ, रिठनई, सातन, बाबूखेड़ा, घोरवाखेड़ा, पड़री और नेवरना जैसे गांवों में भी इसी तरह की गतिविधियों की चर्चा है। आरोप है कि मिशनरी संगठनों ने पूरे इलाके में अपना नेटवर्क फैला रखा है और स्थानीय एजेंटों के माध्यम से लोगों को प्रभावित किया जा रहा है।

 

एक चौंकाने वाला तथ्य यह भी सामने आया है कि अचलगंज कस्बे में थाने के ठीक पीछे पिछले चार वर्षों से एक मिशनरी केंद्र संचालित होने की चर्चा है। दो वर्ष पहले बजरंग दल के कार्यकर्ताओं की उससे झड़प भी हुई थी, लेकिन उस समय पुलिस कार्रवाई कार्यकर्ताओं पर ही हुई थी। बाद में राजनीतिक हस्तक्षेप के बाद मामला शांत हो गया।

 

हुलासखेड़ा के निवासी राजकुमार ने बताया कि वह भी लंबे समय से अस्वस्थ रहता था और इलाज की आस में कई बार इन प्रार्थना सभाओं में गया। वहां उसे एक बोतल में पानी देकर कहा गया कि इसे पीने से वह ठीक हो जाएगा, लेकिन कोई लाभ नहीं हुआ। बाद में जब उसने डॉक्टर से इलाज कराया तो ब्लड प्रेशर कम होने की बात सामने आई और दवाओं से आराम मिला।

 

गांव के ही नरपत का कहना है कि हर रविवार को पंकज के निर्माणाधीन घर के बाहर हल्ला लुइयाजैसा माहौल बन जाता था, जो अब कथित तौर पर कमाई का साधन बन चुका है। उनके अनुसार लालच में लोग अपने मूल विश्वासों से समझौता कर रहे हैं, जिसका परिणाम भविष्य में गंभीर हो सकता है।

 

इससे पहले भी जिले में ऐसी गतिविधियों को लेकर कार्रवाई हो चुकी है। अजगैन थाना क्षेत्र के नवाबगंज कस्बे में स्थित एक इंटर कॉलेज में इसी वर्ष अप्रैल में तड़के प्रार्थना सभाओं का आयोजन प्रस्तावित था। हिंदू संगठनों की शिकायत पर पुलिस ने हस्तक्षेप किया था और बाद में कानपुर से लाई जा रही बसों में बैठे लोगों को भी रोका गया था।

 

फिलहाल हुलासखेड़ा प्रकरण की जांच जारी है। प्रशासन का कहना है कि किसी भी निष्कर्ष पर पहुंचने से पहले सभी तथ्यों और साक्ष्यों की गहन पड़ताल की जाएगी। वहीं गांव में यह मामला अब भी चर्चा और बहस का विषय बना हुआ है, जहां सवाल सिर्फ धर्म का नहीं, बल्कि भरोसे, लालच और सामाजिक जिम्मेदारी का भी है।

इसे भी पढ़ें

Latest News