भारत के ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को लेकर पाकिस्तान के राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी का बड़ा बयान सामने आया है, जिसने दोनों देशों के बीच तनाव को एक बार फिर सुर्खियों में ला दिया है। जरदारी ने सार्वजनिक मंच से यह स्वीकार किया कि भारत की सैन्य कार्रवाई ने पाकिस्तान को गहरी चिंता में डाल दिया था। उन्होंने खुलासा किया कि मई 2025 के दौरान पाकिस्तानी सेना ने उन्हें सुरक्षा कारणों से बंकर में जाने की सलाह तक दी थी।
एक सार्वजनिक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति जरदारी ने उस समय के हालात का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि जब हालात बिगड़ने लगे तो सैन्य अधिकारियों ने उनसे कहा कि युद्ध की स्थिति बन चुकी है और उन्हें बंकर में शरण लेनी चाहिए। हालांकि, जरदारी ने दावा किया कि उन्होंने इस सलाह को ठुकरा दिया। उनके शब्दों में, “अगर शहादत लिखी होगी तो यहीं मिलेगी, बंकर में नहीं। मौत मैदान में आती है, छिपकर नहीं।”
जरदारी के इस बयान को पाकिस्तान में साहसिक रुख के तौर पर पेश किया जा रहा है, लेकिन राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह स्वीकारोक्ति खुद इस बात का संकेत है कि ‘ऑपरेशन सिंदूर’ ने पाकिस्तान की सत्ता और सुरक्षा प्रतिष्ठान को हिला कर रख दिया था। बंकर में जाने की सलाह अपने आप में इस बात का सबूत मानी जा रही है कि भारत की चेतावनी और सैन्य दबाव को हल्के में नहीं लिया गया।
डर और दबाव की बात स्वीकारने के बावजूद राष्ट्रपति जरदारी ने भारत को लेकर आक्रामक तेवर भी दिखाए। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से पाकिस्तान को दी गई चेतावनी पर पलटवार करते हुए विवादित बयान दिया। जरदारी ने कहा, “यह मत समझो कि सिर्फ रोटी की बात होगी, गोली भी होगी। हम गोलियां चलाएंगे, तुम क्या गोले चलाओगे?”
इस बयान को पाकिस्तान की आंतरिक राजनीति और घरेलू दबाव से जोड़कर देखा जा रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि एक ओर जरदारी भारत की कार्रवाई से उपजे डर को स्वीकार कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर ऐसे बयान देकर वे कट्टरपंथी और सैन्य लॉबी को संतुष्ट करने की कोशिश कर रहे हैं।
बलोच नेता का तंज
राष्ट्रपति जरदारी के इस बयान को बलोचिस्तान के प्रमुख नेता मीर बलोच ने सोशल मीडिया पर साझा किया है। मीर बलोच ने इस पर तंज कसते हुए कहा कि जरदारी की भाषा और धमकी से ऐसा लगता है मानो पाकिस्तान भविष्य में किसी नए सैन्य दुस्साहस की तैयारी कर रहा हो। उन्होंने कटाक्ष करते हुए कहा कि पाकिस्तान शायद 2026 में ‘ऑपरेशन सिंदूर 2.0’ जैसी किसी स्थिति की ओर बढ़ने का सपना देख रहा है।
बलोच नेता के इस बयान को पाकिस्तान के भीतर चल रहे असंतोष और केंद्र सरकार के प्रति अविश्वास के रूप में भी देखा जा रहा है। बलोचिस्तान लंबे समय से पाकिस्तानी सत्ता प्रतिष्ठान की नीतियों का विरोध करता रहा है, और ऐसे बयानों से वहां की नाराजगी फिर उजागर हुई है।
विरोधाभासों में उलझा पाकिस्तान
जरदारी के ताजा बयान पाकिस्तान की रणनीतिक दुविधा को साफ दिखाते हैं। एक तरफ भारत की सैन्य कार्रवाई से उपजा डर और बंकर में छिपने जैसी सलाह, दूसरी तरफ मंच से दी जा रही युद्ध की धमकियां—ये दोनों बातें एक-दूसरे के बिल्कुल उलट नजर आती हैं।