यूपी के चर्चित जिले के रामपुर कारतूस कांड (Kartoos Kand) में कोर्ट ने यूपी मे तैनात 24 पुलिसकर्मियों को दोषी करार दिया है। ये एक ऐसा कांड था जिसके सामने आते ही पुलिस विभाग व सुरक्षा एजेंसी एक दम हिल गई थीं। इस कांड में दोषी पाए हुए सभी पुलिसकर्मियों को कोर्ट शुक्रवार को सजा सुना देगी। रामपुर के इस चर्चित व बदनाम कारतूस कांड के बारे में विस्तार से जानकारी देते हैं।Kartoos Kand: क्या था कारतूस कांड?29 अप्रैल साल 2010 में यूपी की एसटीएफ की टीम एक आरोपी को गिरफ्तार करती है और इस मामले की जांच एसटीएफ टीम के एस० आई प्रमोद कुमार करते हैं। इस मामले के जांच के दौरान आरोपी के पास से एक डायरी सामने आती हैं, जिसमे कई लोगों के नाम व नंबर लिखा हुआ मिलता है। इस डायरी में मिले नाम व नंबर के आधार पर एसटीएफ की टीम 25 लोगों की गिरफ्तारी करती है। आश्चर्य की बात है कि एसटीएफ की टीम (Kartoos Kand) जिन लोगों की गिरफ्तारी करती है, वे सभी पुलिसकर्मी होते हैं। इनमे से कुछ सीआरपीएफ तो कुछ पीसीएस मे भी तैनात होते हैं।एसटीएफ की टीम पूरी जांच के बाद यह खुलासा करते हुए कहती है कि ये सभी पुलिस कर्मी व सुरक्षा बल के जवान नक्सलियों और आतंकवादियों (Kartoos Kand) को चोरी से कारतूस सप्लाई किया करते थे। मामले के सामने आते ही पूरे यूपी में हड़कंप मच गया था। क्योंकि पकड़े गए हुए कई सिपाही सीआरपीएफ और पीसीएस जैसे सुरक्षा बलों में तैनात थे।कारतूस का इस्तेमाल छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा में हुआछत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा जिले में नक्सलियों द्वारा एक बहुत बड़ा हमला किया गया जिसमे सेना के कई जवान शहीद हो गए थे। जब इस मामले की पूरी जांच की गई तो सामने आया कि इस मामले में नक्सलियों द्वारा इस्तेमाल किया हुए कारतूस का संबंध रामपुर (Kartoos Kand) से हैं। तभी से सभी जांच एजेंसी की निगाह यहां लग गई। जांच के दौरान यह बात सामने आई कि खाली खोखों को कारतूस से बदल दिया जाता था, जैसे-जैसे मामले की जांच बड़ती गई, मामला सारा खुलता गया। जांच में सामने आया कि नक्सलियों द्वारा इस्तमाल कारतूस सीडब्ल्यूडी रामपुर (Kartoos Kand) से निकलते थे। और इन कारतूस की सप्लाई आतंकवादियों और नक्सलियों को की जा रही थी।कोर्ट ने माना दोषीरामपुर (Kartoos Kand) के ईसी एक्ट स्पेशल कोर्ट ने पुलिस और सुरक्षा बल में रहकर नक्सलियों और आतंकवादियों को कारतूस सप्लाई करने वाले 25 आरोपियों को कोर्ट ने दोषी ठहराते हुए 10 साल की सजा सुनाई है।