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‘संभल के जामा मस्जिद के जगह था हरिहर मंदिर’: अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन का दावा, कोर्ट कमिशन के सर्वे से सामने आएगी सच्चाई, अदालत ने दिया आदेश
संभल। यूपी के संभल जिले की जामा मस्जिद को लेकर विवाद ने तूल पकड़ लिया है। अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन द्वारा दाखिल याचिका पर कोर्ट ने सर्वे का आदेश दिया है। याचिका में दावा किया गया है कि वर्तमान में जामा मस्जिद के नाम से जाना जाने वाला यह स्थल मूल रूप से हरिहर मंदिर था, जिसे 1529 में मुगल आक्रमणकारी बाबर ने तोड़कर मस्जिद में परिवर्तित कर दिया था।
मंगलवार को संभल की जिला अदालत ने इस याचिका पर सुनवाई करते हुए विवादित स्थल का सर्वेक्षण कराने का आदेश दिया। अदालत ने एडवोकेट कमिश्नर नियुक्त कर भारतीय सिविल प्रक्रिया संहिता (CPC) के आदेश 26 के नियम 9 और 10 के तहत स्थल का सर्वेक्षण करने को कहा है।
याचिकाकर्ता का पक्ष
अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने कहा कि उनके पास ऐतिहासिक प्रमाण और हिंदू आस्थाओं के आधार पर इस स्थल को हरिहर मंदिर सिद्ध करने के पर्याप्त आधार हैं। उनका दावा है कि यह स्थान हिंदुओं की आस्था का केंद्र है, क्योंकि उनकी मान्यता है कि भविष्य में यहां भगवान कल्कि का अवतार होगा।
उन्होंने कहा कि विवादित स्थल भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) द्वारा संरक्षित क्षेत्र है, और इसका उपयोग मस्जिद के तौर पर किया जाना अनुचित है। याचिका में उत्तर प्रदेश सरकार, केंद्र सरकार, ASI, संभल के जिलाधिकारी, और जामा मस्जिद कमेटी को पक्षकार बनाया गया है।
विवादित स्थल पर आपत्ति
विष्णु शंकर जैन ने मांग की है कि विवादित स्थल का मस्जिद के रूप में उपयोग रोका जाए और यह सुनिश्चित किया जाए कि यह स्थान किसी धार्मिक विवाद का कारण न बने। उन्होंने मीडिया से बातचीत में कहा कि बाबर एक क्रूर आक्रमणकारी था, जिसने भारत की सांस्कृतिक और धार्मिक धरोहर को नष्ट किया।
ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व
याचिका में कहा गया है कि यह स्थल हिंदू संस्कृति और इतिहास का हिस्सा है। इस संबंध में अदालत ने सर्वेक्षण के आदेश दिए हैं, जिससे यह साबित हो सके कि यह स्थल प्राचीन मंदिर का हिस्सा है या नहीं।
कोर्ट के आदेश के बाद विवादित स्थल का सर्वेक्षण जल्द शुरू होने की संभावना है। विष्णु शंकर जैन ने कहा कि वह इस आदेश का पालन सुनिश्चित करवाने के लिए हर संभव कदम उठाएंगे।
बढ़ता धार्मिक और कानूनी विवाद
यह मामला अब कानूनी प्रक्रिया के साथ-साथ धार्मिक और सांस्कृतिक चर्चा का विषय बन गया है। सर्वेक्षण के परिणाम इस विवाद को किस दिशा में ले जाएंगे, यह भविष्य में स्पष्ट होगा।
नजरें टिकी हैं
सर्वेक्षण के बाद आने वाले निष्कर्ष इस मामले को धार्मिक और ऐतिहासिक दृष्टिकोण से और अधिक महत्वपूर्ण बना सकते हैं।