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Achaleshwar Mahadev Temple: महादेव के इस मंदिर में शिवलिंग तीन बार बदलता है रंग, विज्ञान भी रहस्यों से हैरान, जानिए इसका इतिहास

भगवान शिव भी अपने भक्तों को आये दिन अपने होने का विश्वास दिलाते रहते हैं। उनके चमत्कारों को देख हर कोई आस्था और भक्ति के सागर में डूब जाता है। आज हम भगवान शिव के उस मंदिर के बारे में बताने जा रहे, जिसके चमत्कार के बारे में जानकर आपके रोंगटे खड़े हो जायेंगे।

राजस्थान के धौलपुर से पांच किलोमीटर दूर चंबल नदी के किनारे बीहड़ों में स्थित अचलेश्वर महादेव मंदिर किसी रहस्य से कम नहीं है। दरअसल कई वर्षों पहले नागपुर में भोला नाम का एक व्यक्ति रहता था, जिसने तीन वर्ष की आयु में ही एक दुर्घटना में अपने माता पिता को खो दिया था।

तीन वर्ष की आयु से ही वह अपने गाँव में बने भगवान शिव के मंदिर में रहता था। उसने भगवान शिव तथा मां पार्वती को ही अपना माता-पिता मान लिया था। वह दिन रात उनकी और शिवलिंग पूजा करता था, उन्हें अपना माता पिता समझकर उनकी सेवा करता था तथा मंदिर में आने वाले सभी श्रद्धालुओं की मदद भी किया करता था।  मंदिर में रोजाना आने वाले श्रद्धालु और पुजारी जी ने ही बच्चे के स्वभाव को देख उसका नाम भोला रखा था। वह अक्सर शिवलिंग की पूजा करने के बाद उसके सामने खड़े होकर उनसे विनती कर कहता- हे परमपिता मैं आपकी भक्ति में हमेशा ही लीन रहता हूँ, अतः आप मुझे कोई ऐसा संकेत दीजिये जिससे मुझे ये आभास हो जाए कि आप मेरी भक्ति से प्रसन्न हैं। लेकिन उसे कभी संकेत नहीं मिला और वह निराश हो जाता।

 

रंग बदलते शिवलिंग का रहस्य

भोला जब वह तेईस वर्ष का हुआ तो उसे एक दिन स्वप्न आया।  जहां पर भगवान शिव ने उसे अचलेश्वर महादेव मंदिर जाने को कहा। भोला ने अपने स्वप्न की बात पुजारी जी से बताई। अतः पुजारी जी भी समझ गए थे कि भगवान शिव जरूर उसे कोई न कोई संकेत देना चाहते हैं। इसलिए उन्होंने भोले से राजस्थान में स्थित अचलेश्वर महादेव मंदिर जाने को कहा। भोला बिना देर किये शाम को ही मंदिर के लिए निकल पड़ा। अगली सुबह वह राजस्थान पहुंचा। मंदिर में उसने यंहा पर स्थित अद्भुत शिवलिंग शिवलिंग के दर्शन किए।  लेकिन वह समझ नहीं पा रहा था कि आखिर भगवान शिव (Lord Shiva ) ने उसे यंहा इतनी दूर क्यों बुलाया है। वह सुबह से लेकर शाम तक शिवलिंग के आगे बैठा रहा लेकिन यहां बैठना उसके लिए किसी चमत्कार से कम साबित नहीं हुआ।

दरअसल यहां आना, ये उससे स्वप्न का वहम था या इसके पीछे कोई रहस्य छिपा था? वह मन ही मन इसी गुत्थी में उलझा था कि अचानक से से उसने जो देखा। उसे देख उसके होश उड़ गए। दरअसल उसने देखा कि मंदिर में स्थापित शिवलिंग का रंग बदल चुका था। वह हैरान था कि अचानक शिवलिंग ने फिर से अपना रंग बदल दिया। भोला हैरान था कि आखिर शिवलिंग तीन बार अपना रंग कैसे बदल सकता है। लेकिन भोला समझ चुका था कि महादेव  ने उसे यहां किस लिए बुलाया था। वो संकेत दिखाने जिसकी प्रतीक्षा वह लगभग बीस सालों से कर रहा था। वह मन ही मन प्रसन्न हुआ और मन ही मन धन्यवाद कर, जोर जोर से “हर हर महादेव” कहने लगा।  

 

माना जाता है कि अचलेश्वर महादेव मंदिर में स्थापित  शिवलिंग दिन में तीन बार अपना रंग बदलता है। ऐसा क्यों होता है इस रहस्य को सुलझाने कई वैज्ञानिक भी मंदिर में आये लेकिन वह इस गुत्थी को नहीं सुलझा पाए। एक और हैरान कर देने वाली बात ये है कि इस शिवलिंग की लम्बाई कितनी है, इस बात का पता आज तक कोई नहीं लगा पाया है।  कहा जाता है कि जो भी इस मंदिर में आता है उसकी सभी मनोकामनाएं अवश्य पूर्ण होती है।

 

रहस्य का कोई नहीं लगा पाया पता

राजस्थान के धौलपुर से पांच किलोमीटर दूर चंबल नदी के किनारे बीहड़ों में स्थित अचलेश्वर महादेव मंदिर मंदिर कितना पुराना है और इस शिवलिंग की स्थापना कब हुई। इसके बारे में भी जानकारी नहीं है। श्रद्धालुओं की माने तो करीब एक हजार साल पुराना बताया जाता है। शिवलिंग धरती में कितना भीतर तक है, इसे जानने के लिए एक बार खुदाई भी की गई थी। कई दिनों तक खुदाई के बाद भी लोग इसके अंतिम छोर तक नहीं पहुंच पाए तो खुदाई का काम रोक दिया गया। आज तक इस शिवलिंग की गहराई का अंदाज़ा नहीं लगाया जा सका है। शिवलिंग की खुदाई प्राचीन समय में राजा-महाराजाओं ने भी कराई। लेकिन शिवलिंग का कोई छोर नहीं मिलने पर खुदाई (miracle shiva temple) बंद का दी गई। 

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