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जब राष्ट्रपति भवन में सुनाई गई शहीद कैप्टन अंशुमान सिंह की वीरगाथा, गम नहीं छुपा पाईं उनकी पत्नी स्मृति, राष्ट्रपति ने प्रदान किया कीर्ति चक्र

सैनिक किसी दिन देश के लिए शहीद हो जाते हैं, 

लेकिन उनकी वीरांगनाएं हर दिन, हर बार शहीद होती हैं...

 

19 जुलाई 2023 के दिन देवरिया की कैप्टन अंशुमान सिंह ने 17 हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित ग्लेशियर में देश के लिए अपना सर्वोच्च बलिदान दे दिया। पंजाब रेजीमेंट के 26वें बटालियन के आर्मी मेडिकल कोर के कैप्टन अंशुमान अपने साथियों की जान बचाते हुए शहीद हो गए। उन्होंने अपनी वीरता और जज्बे का उदाहरण दिखाते हुए 4 सैनिकों को मौत के मुंह से निकाल लिया, लेकिन वह खुद नहीं बच सके।

 

अंशुमान सिंह की वीरता और शहादत को देखते हुए उन्हें मरणोपरांत कीर्ति चक्र से सम्मानित किया गया। राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कैप्टन अंशुमान सिंह की पत्नी स्मृति और मन मंजू सिंह को कीर्ति चक्र दिया। राष्ट्रपति भवन में शहीद कैप्टन अंशुमान सिंह की वीर गाथा सुनाई गई। बताया गया कि कैसे कैप्टन ने अपनी वीरता का प्रदर्शन करते हुए देश के लिए शहीद हुए।

जब राष्ट्रपति भवन में कैप्टन की वीरगाथा सुनाई जा रही थी, उस दौरान उनकी पत्नी स्मृति सिंह अपना दु:ख छुपा नहीं पाई। इस दौरान वह कई बार भावुक भी हुईं। इस दौरान उनके चेहरे पर गर्व भी साफ देखा जा सकता था।

 

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने शहीद कैप्टन की पत्नी स्मृति को कीर्ति चक्र दिया और उन्हें ढांढस बंधाया। इस दौरान रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, पीएम मोदी और कांग्रेस नेता राहुल गांधी भी मौजूद रहे।

 

4 सैनिकों के लिए स्वयं को कर दिया बलिदान

 

घटना 19 जुलाई 2023 की है, जब 17 हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित सियाचिन ग्लेशियर में सेवा के बंकरों में अचानक आग लग गई थी। इसमें कई सैनिक भी फंस गए। तेज हवाओं की वजह से लगातार आग बढ़ती जा रही थी। देखते ही देखते आग इतनी बढ़ गई कि मेडिकल सेंटर तक पहुंच गई। जहां लाइफ सेविंग दवाइयां रखी हुई थी। 

इतना देखकर कैप्टन अंशुमान सिंह बंकर में घुसकर वहां से चार जवानों को सही सलामत बाहर निकाल लिए। इस दौरान उन्होंने मेडिकल सेंटर को भी बचाने की कोशिश की और वह सफल भी हुए, लेकिन नियति को कुछ और ही मंजूर था। कैप्टन अंशमान खुद आग चपेट में आ गए और इलाज के दौरान शहीद हो गए।

 

कैप्टन अंशुमान सिंह की पत्नी स्मृति को उनका कीर्ति चक्र लेते देख आंखे भर आती हैं। वह क्षण हर एक भारतीय के लिए भावुक कर देने क्षण था।

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